झूठी शिकायतों पर नकेल कसने की तैयारी

झूठी शिकायतों
  • सीएम हेल्पलाइन पर रोजाना आ रही 8 से 12 हजार शिकायतें

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकारी विभागों में काम न होने पर अपनी शिकायत सरकार तक पहुंचाने के लिए शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन खुद समस्याओं से घिर गई है। दरअसल, सीएम हेल्पलाइन कुछ लोगों के लिए अवैध वसूली का साधन बन गई है। अब सरकार ऐसे लोगों पर सख्ती करने जा रही है, जो इसका उपयोग ब्लैकमेलिंग के लिए कर रहे हैं। सरकार ने लगातार शिकायतें कर अधिकारियों-कर्मचारियों को ब्लैकमेल करने वालों पर शिंकजा कसने की तैयारी कर ली है। राज्य सरकार अब ऐसे शिकायतकर्ताओं का चिह्नित करने जा रही है, जो लगातार शिकायतें कर अफसरों-कर्मचारियों को ब्लैकमेल कर रहे हैं।
    गौरतलब है कि सीएम हेल्पलाइन प्रदेश के आम लोगों के लिए समस्याओं व शिकायतों के निराकरण के लिए एक बड़ी उम्मीद है लेकिन इन दिनों शिकायतों का निराकरण कराने वाला यह सिस्टम ही शिकायतों से घिर गया है। वजह, जिम्मेदारों का बिगड़ा रवैया है। असल में सीएम हेल्पलाइन पर रोजाना 8 से 12 हजार शिकायतें हो रही है। जिम्मेदारों ने इनका तेजी से निराकरण कराने की बजाए झूठी शिकायत करने और रुपए ऐंठने वालों की खोजबीन पर पूरी ताकत झोंक रखी है। हाल में कलेक्टरों को एक फॉर्मेट भेजा है, जिसमें ऐसे लोगों की जानकारी मांगी है।
    सभी कलेक्टर को मिले निर्देश, तैयार करें सूची
    लोक सेवा प्रबंधन विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि जिले में ऐसे शिकायतकर्ताओं की सूची तैयार की जाए, जो आदतन और झूठी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। इसके लिए राज्य शासन ने सभी कलेक्टरों को एक फॉर्मेट भी भेजा है, जिसमें शिकायतकर्ता का नाम, नंबर, उनके द्वारा अब तक दर्ज कराई गई शिकायतें और उस पर अधिकारियों की टिप्पणी दर्ज की जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोई झूठी शिकायत कर रुपए ऐंठ रहे हैं तो कलेक्टरों के पास अधिकार है, वे ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर कराएं। कई जिलों व विभाग से थोकबंद शिकायतें मिल रही है। देखा जाना चाहिए कि ऐसे जिलों व विभागों में जमीनी स्तर पर कामकाज कमजोर तो नहीं पड़ गया, क्योंकि शिकायत की बारी तभी आती है, जब लोगों के वाजिब काम भी नहीं हो पाते हैं।
    शिकायतों के निराकरण में घालमेल
    हर महीने सीएम समाधान ऑनलाइन की बैठकों में चुनिंदा शिकायतकर्ताओं से वर्चुअली बात कर उनकी शिकायतों का समाधान करते हैं। ये वे शिकायकर्ता होते हैं, जिन्होंने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की होती है। जब भी समाधान ऑनलाइन की तारीख आती है जिलों में निराकरण का प्रतिशत अचानक बढ़ जाता है। ये भी संदेहास्पद होता है। बैतूल के सज्जन सिंह (परिवर्तित नाम) ने भीमपुर वितरण केंद्र द्वारा बगैर सूचना बिजली सप्लाई बंद करने की शिकायत की। इसके बाद केंद्र में बिजली जोड़ दी। अब शिकायत बंद करने को कॉल कर रहे। जबकि वे लापरवाह कर्मियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अड़े हैं। शिकायत बंद नहीं की तो उसकी शिकायत जबरन बंद कर दी गई। सीएम हेल्पलाइन में विकल्प दिया जाना चाहिए कि संबंधित का काम किस अधिकारी ने नहीं किया, बाद में ऐसे अधिकारियों से सवाल हो। 75 फीसदी शिकायतकर्ता ऐसे होते हैं, जो अधिकारियों से परेशान होने के बाद शिकायत करते हैं और उनके काम भी हो जाते हैं। ऐसे विभागों व जिलों से पूछा जाना चाहिए कि मांगें नियमों के अनुसार थीं तो काम क्यों नहीं किया गया। कई लोग घर बैठे शिकायत कर देते हैं कि उन्हें अमुक सुविधा नहीं मिली, काम नहीं हुए। जबकि वे संबंधित प्लेटफार्म व विभागों में संबंधित सुविधा व काम के लिए जाते ही नहीं है। शिकायत तो तभी लेनी चाहिए जब संबंधित विभागों में गए थे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। उनसे दस्तावेज मांगे जाने चाहिए कि वे अपने काम के लिए विभाग गए या नहीं।
    नए फार्मेट पर सियासी घमासान
    सीएम हेल्पलाइन को लेकर जारी किए नए फार्मेट को लेकर सियासी घमासान मचा है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने वीडियो जारी कर इस आदेश को शिकायतकर्ताओं को डराने का तरीका बताया। सिंघार ने कहा कि हजारों शिकायतें अधिकारियों ने बिना समाधान किए जबरन फोर्स क्लोज कर दी। इस आदेश की आड़ में अधिकारी यही चाहते है कि जो जागरूक नागरिक जनता की समसयाओं को लेकर शिकायत करें, उन्हें उल्टा केस में फंसाकर परेशान किया जा सके। यह आदेश लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर प्रहार है। उन्होंने कहा कि रुपए ऐंठने व झूठी शिकायतकर्ता की कुंडली बनाने के बजाय उन अधिकारियों की सूची तैयार की जानी चाहिए जिन्होंने गलत जवाब देकर शिकायतें जबरन फोर्स क्लोज कराईं। सिंघार ने मुख्यमंत्री से इस आदेश को वापस लेने की मांग की चाहिए।

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