प्रदेश के एक सैकड़ा जलाशयों पर सौर ऊर्जा उत्पादन की तैयारी

  • जलभराव का कराया जा रहा है सर्वे

विनोद उपाध्याय
सरकार की मंशा प्रदेश के प्रमुख जलाशयों का उपयोग अब सौर ऊर्जा उत्पादन करने की है। यही वजह है कि इस पर काम शुरु कर दिया गया है। किस जलाशय के उपयोग से कितनी बिजली उत्पादन हो सकता है इसका आंकलन करने की तैयारी कर ली गई है। इसके लिए जलाशयों का एक सर्वे कराया जा रहा है जिससे यह पता लगाया जा सके कि अगले दो दशक तक जलाशय की क्या स्थिति रहने वाली है। इसमें साल भर का भी आंकलन किया जाएगा  कि बारिश और गर्मी के मौसम में किस जलाशय की क्या स्थिति  रहती है इसका भी आंकलन कराया जा रहा है। दरअसल केन्द्र के साथ ही प्रदेश सरकार का भी फोकस सौर ऊर्जा पर बना हुआ है। यह बिजली न केवल सस्ती पड़ती है, बल्कि पर्यावरण प्रदूषण से भी राहत देती है। फिलहाल इसके लिए केन्द्र सरकार ने प्रदेश के 106 बांधों, जलाशयों को चिह्नित कर उनकी रिपोर्ट मांगी है कि इन जल भंडारण स्थलों में सामान्य दिनों में और बारिश में जलभराव के दौरान कितना जल भंडारित रहता है। सोलर पावर की संभावनाओं पर फिट बैठने के बाद इनमें सोलर एनर्जी के लिए काम किया जाएगा। जल संसाधन विभाग को इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त सर्वे एजेंसी को आवश्यक जानकारी देने और सर्वे में सहयोग करने के लिए कहा गया है। भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश के सभी राज्यों में सोलर पावर के डेवलपमेंट से संबंधित मुद्दों और संभावनाओं के लिए एक कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी को जलाशयों, जल निकायों पर फ्लोटिंग सोलर की संभावनाओं के सर्वे और जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मध्यप्रदेश के लिए यह जिम्मेदारी एनएचपीसी को सौंपी गई है। इसके लिए राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग से प्रदेश के 106 जलाशयों, वाटर बॉडीज की जानकारी देने के लिए कहा गया है। एनएचपीसी ने इसके लिए टाटा कंसल्टेंसी की सेवाएं हायर की हैं जो एमपी में सर्वे का काम करेगा।
यह मांगी जानकारी
केंद्र सरकार के निर्देश पर तैयार की जा रही रिपोर्ट में जल संसाधन विभाग से कहा गया है कि इन 106 डैम, रिजरवायर, जलाशयों में अधिकतम जल भंडारण क्षमता, रिजरवायर एरिया, फुल रिजरवायर लेवल, मिनिमम ड्रा डाउन लेवल, बीस साल के हिसाब से रोज का वाटर लेवल, फ्लड इंवेंट्स की जानकारी देना है। साथ ही करेंट स्टोरेज कैपेसिटी, प्लांड एरिया, डेली, मंथली और एनुअल इन फ्लो की रिपोर्ट भी मांगी गई है।
इन बांधों की मांगी रिपोर्ट
केन्द सरकार ने प्रदेश के जिल जलाशयों की रिपोर्ट मांगी है उनमें अंबक नाला-खरगोन, अमिया-बहादुरपुर, उज्जैन, अवदा-मुरैना, बंदिया नाला-गुना, बाणसागर डैम-शहडोल, बानसुजारा मेजर प्रोजेक्ट-टीकमगढ़, बरगी जबलपुर बारना डैम- रायसेन, बावनथड़ी राजीव सागर-बालाघाट, भैसाठोरी-गुना, भैंसवार-सतना, भैकरखेड़ी-खरगोन, बीजना-सिवनी, बिलगांव मीडियम प्रोजेक्ट-डिंडोरी, बिरसिंहपुर-उमरिया, चंबलेश्वर-नीमच, बुधना नाला-शिवपुरी, बुंदला-बैतूल, चंद्रकेसर-देवास, चंदोरा-बैतूल, दाहोद-रायसेन, चोरल-इंदौर।
यह  बांध भी शामिल
देजला देवड़ा-खरगोन, देवगांव-छिंदवाड़ा, देवेंद्र सागर-पन्ना, देवीखेड़ा-उज्जैन, धोलावाड़-रतलाम, दोराहा-सीहोर, गाडिगअल्टर-खरगोन, गंभीर (पीएचई)-उज्जैन, गांधी सागर डैम-मंदसौर, घोड़ापछाड़ -भोपाल, गोपीकृष्ण सागर-गुना, हरसी डैम-ग्वालियर, इंदिरा सागर-खंडवा, जोहिला-अनूपपुर, काका साहब गाडगिल सागर प्रोजेक्ट- मंदसौर, काकेटो डैम-ग्वालियर, कलियासोत डैम-भोपाल, कान्हर गांव-छिंदवाड़ा, काजीखेड़ी -उज्जैन, केरवा डैम-भोपाल, केठान-विदिशा, खमेरी बागसारी-दमोह, मोहिनी पिकप वियर-शिवपुरी, नरेन-खंडवा, निम्ब टैंक-शिवपुरी, ओंकारेश्वर डैम-खंडवा, पगरा-मुरैना, पगरा टैंक फीडर-सागर, पारसडोह टैंक-बैतूल, परोंच-सागर, पवई मीडियम इरिगेशन प्रोजेक्ट-पन्ना, पेहसारी डैम-ग्वालियर, पेंच डायवर्सन-छिंदवाड़ा, राजघाट डैम-अशोकनगर, राजघाट सागर-विदिशा, राजीव सागर मकसूदनगढ़-सीहोर, रामपुरा खुर्द-जबलपुर, रंगवान डैम-छतरपुर, रानी अवंतीबाई लोधी सागर एनवीडीए-विदिशा, रेटाम बैराज-मंदसौर, एस अशोक सागर-उज्जैन, सागद डैम-विदिशा, साहिबखेड़ी-राजगढ़, सहमसेरपुरा-गुना, संजय सागर-खंडवा, संजय सागर बाह प्रोजेक्ट-विदिशा, सिंहपुर बैराज-छतरपुर, सुकता-छिंदवाड़ा, तवा-मंडला, थंवर (राजीव सागर)-आगर मालवा, तिगरा डैम-मंडला, तिल्लर-सतना, टोंस बैराज एमपीएसईबी-उमरिया, उमरार-रायसेन, अपर ककेटो डैम-श्योपुर, अपर पलकमती-सिवनी, अपर वेनगंगा-खरगोन, उर्मिल डैम-छतरपुर, वाग्या नाला-छिंदवाड़ा, वेनगंगा संजय-सरोवर सिवनी, बरचर-सीधी।

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