निकाय चुनाव से पहले पंचायत चुनाव की तैयारी

पंचायत चुनाव
  • निर्वाचन आयोग दोनों चुनाव कराने के लिए तैयार…

    भोपाल/विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम।
    एक बार फिर स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई है। जबलपुर हाईकोर्ट में राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से एक आवेदन देकर निकाय और पंचायत चुनाव कराने की मांग की है। चुनाव आयोग का कहना है कि हम चुनाव के लिए तैयार हैं। बताया जा रहा है कि जो याचिकाएं आरक्षण को लेकर लगी हैं, उन निकायों को छोड़कर शेष निकायों पर चुनाव कराने की मांग भी आयोग की ओर से रखी गई। साथ ही आयोग ने निकाय चुनाव से पहले पंचायत चुनाव कराने की बात कही है।  
    विदित है कि प्रदेश में 2019 में स्थानीय निकाय चुनाव होना थे, लेकिन आरक्षण संबंधी याचिकाएं लगने के कारण चुनाव में देरी हो रही हैं। वहीं राज्य सरकार ने कोरोना काल में चुनाव नहीं कराने के लिए भी राज्य निर्वाचन आयोग से कहा था। अभी भी सरकार की ओर  से यही कहा जा रहा है कि तीसरी लहर को देखकर चुनाव कराना अभी ठीक नहीं रहेगा। हालांकि आयोग चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है और हाईकोर्ट में दर्ज याचिकाओं का निराकरण हो जाता है तो नवम्बर-दिसम्बर में चुनाव हो सकते हैं। वैसे आयोग ने पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है, क्योंकि इसमें किसी प्रकार का पेंच नहीं है।
    पंचायत चुनाव में कोई बाधा नहीं: प्रदेश में निकाय चुनाव की प्रक्रिया समय से पूरी होने में भले ही अंदेशा हो लेकर पंचायत चुनाव जल्द ही हो सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग निकाय चुनावों से पहले पंचायत चुनाव करा लेना चाहता है। इसके लिए आयोग ने सभी तैयारियां भी लगभग पूरी कर ली हैं। प्रदेश सरकार नवम्बर बाद चुनाव कराना चाहती है। इस मामले में आयोग ने हाईकोर्ट में एक आवेदन भी दिया है। राज्य निर्वाचन आयोग अक्टूबर महीने में ही पंचायत चुनाव करवाना चाहता है। दूसरी तरफ प्रदेश सरकार ने नवम्बर के बाद चुनाव कराने की मांग रखी है। निर्वाचन आयोग ने मामले में हाई कोर्ट में आवेदन पेश करते हुए अपील है कि कोर्ट आरक्षण सम्बन्धी सभी याचिकाओं का जल्द निराकरण करें। आवेदन में कहा गया है कि हाई कोर्ट सरकार को निर्देशित करे की जल्द जिला पंचायत अध्यक्षों की आरक्षण प्रक्रिया पूरी की जाए। आयोग ने कहा है कि जिन निकायो में आरक्षण को चुनौती दी गई है, उन निकायों को छोड़कर बाकी प्रदेश में निकाय चुनाव करवाने की भी अनुमति दी जाए।
    अब पिछड़े तो मार्च तक टल जाएंगे चुनाव: राज्य निर्वाचन आयोग निकाय चुनाव कराने की तैयारी भी लगभग पूरी कर चुका है। जानकारों का भी मानना है कि निकाय चुनाव अगर दिसम्बर तक नहीं हुए तो मार्च तक चुनाव की प्रक्रिया टल सकती है। दिसंबर में चुनाव न हो सकने की स्थिति में निर्वाचन आयोग को नए सिरे से मतदाता सूची का प्रकाशन करना होगा। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि चुनाव प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो पाएगी।
    भाजपा नहीं चाहती चुनाव, कांग्रेस जल्दी में
    स्थानीय निकाय चुनाव कराने की जल्दी कांग्रेस को हैं, ताकि उसे फायदा मिल सके। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि बढ़ती महंगाई और अन्य मुद्दों पर भाजपा फेल हो गई है, उसका फायदा उन्हें स्थानीय चुनाव में मिलेगा, वहीं भाजपा अभी चुनाव टालने के मूड में हैं। भाजपा नेताओं का मानना है कि अगर चुनाव हुए तो उन्हें लोगों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया का कहना है कि भाजपा केवल दिखावा कर रही है। वास्तव में भाजपा की जमीन कोरोना महामारी के चलते खिसक गई है। भाजपा चुनाव कराने से डर रही है। धनोपिया का कहना है कि भाजपा चुनाव कराकर देखे तो पता चल जाएगा कि वह धरातल पर कहां खड़ी है। कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से तैयार है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कार्यकाल में जनहितैषी योजनाओं के साथ अच्छा कामकाज हुआ है। इसका फायदा कांग्रेस को मिलना तय है।
    कमलनाथ सरकार ने टाल दिए थे चुनाव
    नगरीय निकाय चुनाव पहले कमलनाथ सरकार ने टाल दिए थे। कांग्रेस सरकार ने करीब 6 महीने के लिए चुनाव आगे बढ़ा दिए थे। इस दौरान राज्य में भाजपा की सरकार बन गई। हालांकि नगरीय निकाय चुनाव की तारीख भाजपा ने भी आगे दी थी। मार्च 2021 में चुनाव आयोग ने नगरीय निकाय चुनाव कराने की पूरी तैयारी कर ली थी। इसके बाद अध्यक्ष व महापौर के आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगने से चुनाव प्रक्रिया पर रोक लग गई थी। इन याचिकाओं का अभी तक निराकरण नहीं हो पाया है। जानकारी के मुताबिक, निर्वाचन आयोग ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर जिन निकायों में आरक्षण का मसला है वहां छोड़कर बाकी प्रदेश में चुनाव कराए जाने की अनुमति मांगी है।

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