कांग्रेस में बड़े एक्शन की तैयारी: निष्क्रिय नेताओं पर गिरेगी गाज

  • गौरव चौहान
कांग्रेस

मप्र में कांग्रेस अब पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है। पार्टी जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक बदलाव करने की तैयारी में है। इसके लिए पीसीसी चीफ कमलनाथ ने जिला अध्यक्षों से प्रकोष्ठों की सक्रियता संबंधित रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट के आधार पर निष्क्रिय नेताओं से जिम्मेदारी छीनी जा सकती है। दरअसल, कांग्रेस विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती है।  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ खुद हर काम की मॉनिटरिंग कर रहे हैं , जिसमें सामाजिक समीकरण को साधने से लेकर संगठन की मजबूती पर जोर दिया जा रहा है। विधानसभा चुनाव में जीत के लिए स्थानीय स्तर पर योजना बनाने की रणनीति पर भी कांग्रेस काम कर रही है।
गौरतलब है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी लगातार अलग-अलग अभियान चलाकर जनता के बीच पहुंच रही है। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस ऐसे नेताओं पर एक्शन की तैयारी में है, जिनसे  नुकसान विधानसभा चुनाव में भी हो सकता है। इसी कड़ी में प्रदेश कांग्रेस में प्रकोष्ठों की जिलों में कितनी सक्रियता है, इस पर पहली बार पीसीसी चीफ सीधे नजर रखे हुए हैं। संगठन के जिला अध्यक्षों से इन प्रकोष्ठों की सक्रियता की रिपोर्ट मांगी गई है। इस रिपोर्ट के बाद कई प्रकोष्ठों के जिला अध्यक्षों को पद से हटाया जा सकता है। जबकि जिन प्रकोष्ठों के जिलों में अध्यक्ष नहीं बने हैं, उन प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष की नियुक्ति इसी महीने करना होगी। चंद महीनों बाद होने जा रहे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा ने अपने सभी मोर्चा संगठन और प्रकोष्ठों को भी एक्टिव कर दिया है। इसके साथ ही अपने से संबंधित वर्गों को पार्टी के साथ जोड़ने का जिम्मा दिया है। बहरहाल देखना होगा कि चुनावी समर में कौन से दल की रणनीति ज्यादा कारगर साबित होती है और जनता किसे सत्ता का सरताज बनाती है।
हर बूथ को जीतने का लक्ष्य
मध्यप्रदेश में यह चुनावी साल है, भाजपा के सामने जहां एक बार फिर सरकार बनाने की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस भी प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस पार्टी का दावा है कि बूथ स्तर पर संगठन मजबूत है। सभी 65 हजार बूथ अध्यक्ष बना दिये गए हैं। हर बूथ को जीतने का लक्ष्य है। पीसीसी चीफ कमलनाथ भली भांति जानते हैं कि अगर एक बार फिर से प्रदेश की सत्ता का सिंहासन हासिल करना है, तो बूथ पर जमकर काम करना होगा। यही वजह है कि कांग्रेस ने बूथ स्तर पर अपनी पुख्ता रणनीति तैयार कर ली है, पार्टी की मानें तो सभी बूथों पर संगठन को सक्रिय कर दिया गया है। बूथ अध्यक्षों को जमीन से सोशल मीडिया तक सक्रिय रहने की हिदायत दी गई है। इन सभी गतिविधियों पर पीसीसी लगातार निगरानी भी कर रही है। पार्टी के दिशा निर्देश बूथ स्तर तक पहुंचाने के लिए बूथ प्रकोष्ठ का भी गठन किया गया है। बूथ स्तर पर मजबूत तैयारी के जरिए प्रदेश का चुनावी रण जीतने की कांग्रेस की कवायद पर भाजपा ने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को बूथ पर बैठाने के लिए कार्यकर्ता नहीं मिले थे। एजेंसी के लोगों को बूथ पर बैठाया गया था सोशल मीडिया पर भी कांग्रेस की कोई सक्रियता नहीं है, क्योंकि कांग्रेस के ही लोग कमलनाथ की नीतियों से संतुष्ट नहीं हैं और उन्हें शेयर और री-ट्वीट नहीं करते कांग्रेस में पहले भी शून्य बटे सन्नाटा था और अभी भी वही हाल है।
सियासी समीकरण बनाने में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस संगठन के साथ-साथ सामाजिक समीकरणों को भी मजबूत करने में जुटी है। कांग्रेस ने अलग-अलग समाज के सम्मेलन आयोजित कर उन्हें साधने की योजना बनाई है। मध्यप्रदेश की राजनीति में इनदिनों विधानसभा चुनावों को लेकर गहमागहमी बनी हुई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां सत्ता में काबिज होने के लिए रणनीति बना रही हैं। कांग्रेस सभी जातियों और क्षेत्रवाद को साधने में जुटी हुई है।
पार्टी का सबसे अधिक फोकस एससी-एसटी के साथ ओबीसी की छोटी जातियों पर भी है। गौरतलब है कि प्रदेश में एससी-एसटी और ओबीसी सबसे बड़े वोट बैंक हैं। एससी और एसटी को साधने के लिए कांग्रेस लगातार प्रयास कर रही है। अब पार्टी ओबीसी की छोटी जातियों को साधने का अभियान चलाएगी। प्रदेश में हमेशा से ही एससी-एसटी का समीकरण सत्ता की चाबी मानी जाती है। क्योंकि इन दोनों वर्गों के लिए प्रदेश की 36 फीसदी यानी 82 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं। ऐसे में जिस दल को इन वर्गों का साध मिलता है, उसका सत्ता तक पहुंचने का रास्ता आसान हो जाता है। बीते चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों की अधिकतर सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। जबकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया जिसके चलते कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव में सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इसलिए इस बार भी कांग्रेस एससी-एसटी के साथ ही ओबीसी की छोटी जातियों को साधने की कोशिश में जुट गई है।
कमलनाथ ने मांगी थी रिपोर्ट
दरअसल, इस बार नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को कई जगह नेताओं की निष्क्रियता और भितरघात की वजह से हार का सामना करना पड़ा था, कमलनाथ ने पार्टी के सभी जिला अध्यक्षों से निकाय चुनाव में पार्टी विरोधी काम करने वाले नेताओं की रिपोर्ट मांगी थी, जिला अध्यक्षों ने भी अनुशासन समिति को ऐसे नेता और कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट भेजी है, जिन्होंने निकाय और पंचायत चुनाव में अनुशासन का दायरा तोड़ा है, इन सभी इन सभी के खिलाफ अब एक्शन की तैयारी कर ली गई है। वहीं प्रकोष्ठों के जिलाध्यक्षों की परफॉर्मेंस का आकलन किया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रकोष्ठों के जरिए संगठन को मजबूत करने की योजना बनाई थी। इस योजना के तहत प्रदेश में 40 से ज्यादा प्रकोष्ठों का गठन किया गया। प्रदेश से लेकर जिलों तक इसकी कार्यकारिणी बनाई जाना थी। जिलों की कार्यकारिणी बनाने से पहले यहां पर अध्यक्षों की नियुक्ति प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्षों ने की है। कई जिलों के अध्यक्षों ने प्रकोष्ठों के प्रदेश प्रभारी जेपी धनोपिया को बताया है कि प्रकोष्ठों के जिला अध्यक्ष सक्रिय ही नहीं है।

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