दमोह में फिर प्रहलाद और सिद्धार्थ आमने-सामने

 प्रहलाद और सिद्धार्थ

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। बुदेंलखंड अंचल का दमोह जिला इन दिनों भाजपा के दो बड़े नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई का केन्द्र बन गया है। दरअसल स्थानीय सांसद व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल व पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बीच पुरानी अदावद जगजाहिर है, लेकिन इस आग में घी डालने का काम विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी राहुल लोधी की हुई हार ने किया था। इसके बाद जिस तरह से मलैया के पुत्र सिद्धार्थ को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया था, उससे उनके बीच की खाई और बढ़ गई थी, लेकिन अब मौका मिलते ही सिद्धार्थ मलैया ने उन पर पलटवार किया है। इस पलटवार का मौका मिला है राशन दुकान के सेल्समैन विक्की रोहित द्वारा की गई आत्महत्या से। इस मामले को लेकर अब एक बार फिर से प्रहलाद पटेल और सिद्धार्थ मलैया आमने -सामने आ गए हैं।
इस मामले में जहां पटेल आरोपित बनाए गए अपने सांसद प्रतिनिधि के पक्ष में खड़े हुए हैं तो वहीं सिद्धार्थ मलैया मृतक के पक्ष में पूरी तौर पर खुलकर खड़े हो गए हैं। दरअसल बजरिया वार्ड क्रमांक 3 के राशन दुकान संचालक विक्की रोहित ने राशन दुकान में ही आत्महत्या कर ली थी, उसके पास से 2 पन्नों का एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल के करीबी यशपाल ठाकुर, भाजपा नेता मोंटी रैकवार और दो सेल्समैन के नाम प्रताड़ित करने वालों में लिखा था। पुलिस ने इस मामले में इन चारों पर आत्महत्या के लिए प्रेरित करने की धारा के तहत अपराध दर्ज किया था। इस मामले की जानकारी मिलने पर केंद्रीय राज्य मंत्री पटेल ने गहरी नाराजगी जताते हुए पुलिस सुरक्षा तक लौटाने की घोषणा कर दी थी। इसकी खबर लगने के बाद हुए गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पूरे मामले की सीआईडी जांच के आदेश दिए थे। उधर पटले के इस बयान के विरोध में बीते रोज विभिन्न समाज के लोग जिला अस्पताल चौराहे पर एकत्र हुए और धरना-प्रदर्शन किया। जिसमें पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ भी शामिल हुए और उन्होंने बिना प्रहलाद का नाम लिए अप्रत्याक्ष रूप से जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वे न्यायालयीन कार्य में बाधक न बनें। सुसाइड नोट में जिन लोगों के नाम थे, पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की है। यदि उन्होंने गुनाह नहीं किया है तो कोर्ट उन्हें दोषमुक्त करेगा। गौरतलब है कि दमोह की सियासत पर नजर रखने वालों का मानना है कि केंद्रीय राज्यमंत्री पटेल और पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बीच सियासी अदावत किसी से छुपी नहीं है। मलैया यहां से कई बार विधानसभा का चुनाव जीते है, पिछले आम चुनाव में उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार राहुल लोधी से हार का सामना करना पड़ा था, बाद में लोधी भाजपा में शामिल हो गए और उप-चुनाव में पार्टी ने उम्मीदवार बनाया। इससे मलैया परिवार नाराज हुआ, उप चुनाव में मलैया परिवार ने पार्टी उम्मीदवार का विरोध किया, जिस पर उनके खिलाफ पार्टी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की।
उपचुनाव है मुख्य अदावद की वजह
दमोह विधानसभा सीट पर आम चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता जयंत मलैया को बेहद मामूली मतों से हार का सामना करना पड़ा था। इसकी वजह  मलैया परिवार प्रहलाद पटेल को मानकर चल रहा था। इसकी वजह थी मलैया को चुनाव हराने वाले कांग्रेस प्रत्याशी राहुल लोधी का पटेल का रिश्तेदार होना है। बाद में पटेल और उमा भारती ने राहुल को भाजपा में शामिल करवाकर न केवल वेयर हाउस कारपोरेशन का अध्यक्ष बनवा दिया था, बल्कि उन्हें उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी भी बनवाया था। इसके विरोध में मलैया के बेटे सिद्धार्थ खुलकर सामने आ गए थे। पटेल द्वारा पूरी ताकत लगाने के बाद भी राहुल को चुनाव हारना पड़ा था, जिसके बाद इन दोनों नेताओं के बीच खुलकर जंग छिड़ गई थी। इसके बाद पटले ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए सिद्धार्थ के साथ ही कई उनके समर्थकों को बाहर का रास्ता दिखवा दिया था।
यह भी एक वजह
नगरीय निकाय चुनाव के दौरान पार्टी से बाहर होने के बाद सिद्धार्थ मलैया ने नगरीय निकाय चुनाव में भी अपने प्रत्याशी उतार दिए थे, जिनमें से पांच ने जो जीत तक दर्ज कर ली थी। अहम बात यह है कि निकाय चुनाव में भाजपा की जीत के लिए केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल ने भी गलियों की खाक छाननी पड़ी, इसके बाद भी भाजपा को कई जगह हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में पटले खुलकर मलैया पर बोल रहे थे। उधर, सिद्धार्थ भी इस मामले में पीछे नहीं रहे थे। उन्होंने भी  पलटवार करते हुए कहा था कि पीठ में छुरा किसने घोंपा यह सब को 2018 विस चुनाव में सबकों पता है। सिद्धार्थ ने तब कहा था कि प्रहलाद पटेल और उनके समर्थकों ने पीठ में छुरा घोपने का काम किया। इतना ही नहीं जिले की जनता को हो रही तकलीफ के लिये भी सिद्धार्थ ने प्रहलाद पटेल को कटघरे में खड़ा किया था। इसके पूर्व लोकसभा चुनाव में दमोह शहर के वार्डों को देखें तो चार वार्डों में मोदी लहर के बावजूद भाजपा को बहुत कम मत मिले थे। बजरिया 8 में प्रहलाद को 38 वोट, बजरिया 7 के एक भाग में 8 वोट व दूसरे भाग में 38 वोट और बजरिया 1 में प्रहलाद को महज 15 वोट ही थे।
फिल्म जैसा है इतिहास
दमोह का राजनीतिक इतिहास कुछ फिल्मी सा है। यहां की राजनीति पर टंडन और मलैया परिवार का कब्जा बना हुआ है। सन 1967 से टंडन परिवार दमोह में सक्रिय है और कांग्रेस पार्टी का चेहरा बना हुआ है। जयंत मलैया ने टंडन परिवार से संघर्ष करते हुए दमोह में भारतीय जनता पार्टी की जड़े मजबूत की हैं। कांग्रेस पार्टी का लीगल टेंडर आज भी टंडन परिवार के पास है लेकिन भारतीय जनता पार्टी जयंत मलैया की जकड़ से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है। उम्र के आधार पर जयंत मलैया को आसानी से किनारे कर दिया गया परंतु उन्होंने अपने बेटे सिद्धार्थ के लिए उत्तराधिकार मांगा था, जो रिजेक्ट कर दिया गया था। जाति के आधार पर चुनाव जीतने के लिए महाकौशल के नेता प्रहलाद पटेल को दमोह सीट से उतारा गया। प्रहलाद पटेल सांसद भी बने और केंद्रीय मंत्री भी, परंतु अब बुंदेलखंड में अपना सिक्का जमा रहे हैं। वे परिवार से उसका सब कुछ छीन लेना चाहते हैं, लेकिन सिद्धार्थ ने भी मोर्चा खोल रखा है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव 2023 से पहले दमोह के राजनीतिक अखाड़े में सिद्धार्थ और प्रहलाद का मल्लयुद्ध सबको दिखाई देगा। यदि सिद्धार्थ हार गए तो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे लेकिन, यदि जीत गए तो प्रह्लाद क्या करेंगे, इस प्रश्न का उत्तर अभी अज्ञात है।

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