बिजली का लाइन लॉस पड़ रहा है भारी

लाइन लॉस
  • उपभोक्ताओं की कट रही जेब…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश मे देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे महंगी बिजली उपभोक्ताओं को मिल रही है। इसके बाद भी बिजली कंपनियां उसकी दरों को कम करने के उपायों पर काम करने की जगह लगातार बिजली की दरोंं में वृद्धि पर जोर देती रहती है। इसकी सबसे बड़ी वजह है, लाइन लॉस को कम करने में बिजली कंपनियों का असफल रहना। इस मामले में तीनों कंपनियां विद्युत नियामक आयोग द्वारा तय मानकों तक पर भी खरा नहीं उतर रही हैं। हालत यह है कि ट्रांसमिशन लॉस आयोग द्वारा तय किए गए  लॉस से अधिक हो रहा है। यही वजह है कि बिजली कंपनियों को अधिक बिजली खरीदनी पड़ रही है। अतिरिक्त बिजली खरीदी से कंपनियों को 3 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। दरअसल शहर हो या गांव सभी जगह झुग्गियों में जमकर अवैध रुप से बिजली का उपयोग किया जा रहा है। इसके बाद भी बिजली कंपनियों का अमला उन पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं दिखाता है। इसके उलट ईमानदार उपभोक्ताओं के खिलाफ सख्ती दिखाकर अपनी पीठ जरुर थपथपा लेता है। अगर राजधानी की ही बात की जाए तो दो दर्जन से अधिक ऐसी बस्तियां हैं, जहां पर खंभो या फिर ट्रांसफार्मर से सीधे बिजली के तार डालकर दिन रात बिजली चोरी की जाती है। इस मामले में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने जरुर अपने लॉस को कम किया है, जिससे  कंपनी ने 861.28 मिलियन यूनिट बिजली क बचत की है।  गौरतलब है कि तीनों बिजली कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में बिजली के वास्तविक आंकड़ों से संबंधित याचिका मप्र विद्युत विनियामक आयोग में लगाई है। इसमें बिजली कंपनियों ने अपना ट्रांसमिशन लॉस की जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि ट्रांसमिशन लॉस की वजह से मध्य और पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को अतिरिक्त बिजली खरीदना पड़ी। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आयोग ने पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के लिए 15.5 प्रतिशत , मध्य क्षेत्र के लिए 16.5 प्रतिशत और पश्चिमी क्षेत्र के लिए 14.5 प्रतिशत घाटे की अनुमति दी थी। इसके उलट वित्तीय वर्ष 2023-24 में पूर्व क्षेत्र ने 28.04 प्रतिशत और मध्य क्षेत्र ने 25.7 प्रतिशत वितरण घाटा होने की जानकारी आयोग को दी है। पूर्व और मध्य क्षेत्र का वितरण घाटा तय लक्ष्य ये अधिक हुआ है। इस मामले में  पश्चिम क्षेत्र वितरण कंपनी ने ही बेहतर काम किया  है। उसका लॉस 12.33 फीसदी ही हुआ है।
800 करोड़ यूनिट बिजली की खरीदी  
आयोग में दायर याचिका में बिजली कंपनियों ने बिजली खरीदी के आंकड़े भी उपलब्ध कराए हैं। घाटे की वजह से पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी 4,277.76 एमयू और मध्य क्षेत्र ने 3,711.57 एमयू अतिरिक्त मात्रा में बिजली खरीदी है। वितरण घाटा अधिक होने की वजह से बिजली कंपनियों को यह बिजली खरीदना पड़ी। वहीं, पश्चिम क्षेत्र ने 861.28 एमयू की बचत की है, क्योंकि उनका घाटा मानकों से कम है। इससे साफ होता है कि मध्य क्षेत्र को 4277.76 मिलियन यूनिट और पूर्व क्षेत्र को 3711.75 मिलियन यूनिट बिजली खरीदना पड़ी। कुल मिलाकर लगभग 800 करोड़ यूनिट ऊर्जा अतिरिक्त खरीदना पड़ी और यदि इसकी लागत की गणना की जाए 4 रुपए प्रति यूनिट की दर पर लगभग 3200 करोड़ रुपए की खरीदी हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर कंपनियां अपना यह घाटा कम कर ले, तो बिजली कंपनियों को घाटा नहीं होगा और बिजली का टैरिफ बढ़ाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
यह है ट्रांसमिशन लॉस
ट्रांसमिशन लॉस आपूर्ति की गई बिजली और बिल किए गए बिजली के बीच का अंतर है, उदाहरण के लिए यदि 10 यूनिट ऊर्जा की आपूर्ति की जाती है, और बिल केवल 8 यूनिट का बनता है, यानी केवल 8 यूनिट उपभोक्ताओं के मीटर तक पहुंचती है। उपभोक्ता तक पहुंचने में 2 यूनिट बिजली नष्ट हो जाती है। यह वितरण घाटा कहलाता है। वितरण घाटे के लिए मुख्य रूप से बिजली चोरी और बिजली के ट्रांसमिशन में टूट-फूट को जिम्मेदार ठहराया जाता है।

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