2 चपरासियों के पद, लेकिन तीन महीने बाद नियुक्ति नहीं हुई

ओबीसी आयोग
  • न बजट, न स्टाफ कैसे काम करेगा ओबीसी आयोग

    भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की 52 फीसदी आधी आबादी यानी ओबीसी राजनीति के केंद्र में हैं। इस बड़े वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने पूरा दम लगा रखा है। इस वर्ग को साधने के लिए प्रदेश सरकार ने करीब तीन माह पहले पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन किया था, लेकिन आयोग के लिए न तो बजट मिल पाया है और ने पूरा स्टाफ। ऐसे में सवाल उठता है कि ओबीसी आयोग कैसे काम करेगा।
    मप्र में तीन माह पहले गठित हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के कामकाज की पहली समीक्षा बैठक खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करने वाले हैं। बैठक में किन मुद्दों को रखना है और क्या-क्या बताना है, इसके लिए नए आयोग के पहले अध्यक्ष व पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन, सदस्य व विधायक प्रदीप पटेल ने बैठक की। इसमें ओबीसी आयुक्त गोपालचंद डाड भी पहुंचे। लेकिन वहां न तो चपरासी थे और न ही पर्याप्त स्टाफ।
    कई पद खाली पड़े हैं
    आयोग का गठन हुए तीन माह हो गया है। लेकिन अभी तक पूरा स्टाफ नहीं मिल पाया है। बैठक में सामने आया कि आयोग में कुल मिलाकर सिर्फ 2 का स्टाफ है। 2 चपरासियों के पद हैं, लेकिन नियुक्ति नहीं हुई। इसी तरह स्वीकृति 3 लोगों के स्टाफ में एक सचिव व एक कार्यालय सहायक है, जिन्हें प्रतिनियुक्ति पर आयोग में भेजा गया है। एक कार्यालय सहायक का पद भी रिक्त हैं। यह स्थिति भी तब है, जब राज्य सरकार की प्राथमिकता में ओबीसी वर्ग है।
    बजट का इंतजार
    मप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन का कहना है कि अभी तक हमने जितना काम किया और आगे क्या करना है, उसको अंतिम रूप देने के लिए बैठक हो रही है। स्टाफ कम है, इसलिए सालाना बजट भी ज्यादा नहीं होगा। जल्द ही नया मद खुलेगा। अभी तो विधायक होने के नाते हम दौरे कर ही रहे हैं।
    नए आयोग का स्थापना व्यय लगभग एक करोड़ के करीब बैठ रहा है। इसके लिए बजट प्रावधान अब अगले वित्तीय वर्ष में होगा। अभी अध्यक्ष और सदस्य चूंकि विधायक हैं, लिहाजा वे इसी मद से दौरे कर रहे हैं। सचिव डॉ. सूरज खोदरे और कार्यालय सहायक का वेतन मूल विभाग से आ रहा है। चपरासी की नई नियुक्ति नहीं है, लिहाजा पुराने आयोग के ही भृत्य सेवाएं दे रहे हैं।
    पुराना आयोग एक कमरे में सिमटा
    गौरतलब है कि पुराने पिछड़ा वर्ग आयोग को सरकार ने निष्क्रिय कर दिया है। इसका स्टॉफ, फाइलें अब आयोग भवन के एक कमरे में सिमट कर रह गए हैं। पुराना पिछड़ा वर्ग आयोग 3 मार्च 1993 में गठित हुआ था, जो 28 साल चला। इस दौरान 8 बार आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति हुई थी। 8 दिन के आखिरी अध्यक्ष जेपी धनोपिया और सदस्य शैलेंद्र पटेल रहे। कांग्रेस सरकार गिरने के बाद यह नियुक्ति विवादों में रही। अंतत: 15 अगस्त को नए पिछड़ा वर्ग आयोग की घोषणा हो गई। नए अध्यक्ष व सदस्य की भी नियुक्ति कर दी गई।

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