घटिया मोबाइल, स्लो इंटरनेट ने बढ़ाई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की परेशानी

आंगनबाड़ी


भोपाल/गौरव चौहान /बिच्छू डॉट कॉम।
महिला एवं बाल विकास को हाईटेक बनाने के लिए अफसरों ने घटिया मोबाइल खरीद कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को दे तो दिया है, लेकिन यह मोबाइल इनके लिए परेशानी का सबब बन गया है। दरअसल, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को रोजाना पोषण ट्रैकर एप पर डाटा अपलोड करना होता है। लेकिन घटिया मोबाईल और स्लो इंटरनेट की वजह से डाटा लोड नहीं हो पा रहा है। डाटा लोड नहीं होने का खामियाजा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भुगतना पड़ रहा है और उनका वेतन काटा जा रहा है।
इस संबंध में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं अफसरों को लगातार शिकायत कर रही हैं। उनका कहना है कि साहब पोषण ट्रैकर एप डाटा अपलोड करना है, लेकिन इसके लिए हमें जो मोबाइल मिले हैं, वह हैंग हो रहे हैं। नेटवर्क नहीं मिलता है। डाटा इतना अपलोड करना पड़ रहा है कि उसके लिए बार-बार रिचार्ज कराना पड़ता है, वह भी जेब से। विभाग से जो आधा अधूरा मानदेय मिल रहा है, वह पूरा इसी में खर्च हो रहा है। ऐसे में परिवार कैसे संभाले। लेकिन उनकी शिकायत पर गौर नहीं किया जा रहा है।
आश्वासन खूब मिला कुछ नहीं
आंगनबाड़ी सहायिकाओं ने बताया कि आठ घंटे कार्य करने के बावजूद उन्हें 4 हजार मानदेय मिलता है। अब डाटा अपलोड की अनिवार्यता के चलते उन्हें बार-बार डाटा रिचार्ज कराना पड़ रहा है। इससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ रहा है। महिला एवं बाल विकास अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि 200 रुपए प्रतिमाह के डाटा प्लान के हिसाब से 2400 रुपए उनके खाते आएंगे अच्छा कार्य करने वालों को 500 रुपए इंसेटिव देंगे, लेकिन अभी तक कुछ नहीं मिला। भोपाल जिला कार्यक्रम अधिकारी योंगेद्र यादव का कहना है कि पोषण ट्रैकर एप पर डाटा अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह भारत सरकार की योजना है। इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जो मोबाइल दिया है, उनमें से कई को समस्या आ रही है। कुछ जगह नेटवर्क की समस्या है। उनकी समस्या के समाधान के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया है। जल्दी ही सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। भोपाल जिले में 1872 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। भारत सरकार ने पोषण आहार की निगरानी करने के लिए पोषण ट्रैकर एप लॉन्च किया है। जिसके तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नवजात शिशुओं से लेकर छह साल तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं से लेकर दूध पिलाने वाली माताओं तक का सारा डाटा एप पर फीड करना है। इसके माध्यम से प्रदेश को भारत सरकार पोषण आहार के संबंध में बजट आवंटित करेगा।
हाई स्पीड इंटरनेट की भी व्यवस्था नहीं
दरअसल महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से पोषण ट्रैकर एप पर डाटा अपलोड करना जरूरी कर दिया गया है। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं व सहायिकाओं को मोबाइल फोन दिए गए हैं, लेकिन कई कार्यकर्ता और सहायिका के मोबाइल खराब हो गए हैं, जबकि कई मोबाइल के हैंग होने की शिकायत कर रही हैं। स्थिति यह है कि डाटा अपलोड करने के लिए विभाग ने हाई स्पीड इंटरनेट की भी व्यवस्था नहीं की है। ऐसे में इन लोगों को अपने पैसे से इंटरनेट का रिचार्ज कराना पड़ रहा है। वहीं कई आंगनवाड़ी ऐसी जगह पर है, जहां मोबाइल नेटवर्क ही नहीं मिलता। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं अपने सुपरवाइजर, जिला कार्यक्रम अधिकारी से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक से इस बारे में शिकायत कर चुकी है, लेकिन समाधान करने की बजाय उन्हें धमकी मिल रही है कि डाटा अपलोड नहीं किया तो मानदेय काट लिया जाएगा।

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