मतभेद मिटाए, अब जल्द होंगी राजनीतिक नियुक्तियां

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  • बिहार चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा खोलेगी नियुक्तियों का पिटारा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। कहने को तो गुरुवार को प्रदेश भाजपा व संगठन की छोटी टोली बैठक हुई, लेकिन इसमें कई बड़े विषयों पर जंबो चर्चा हुई। शाम 7.30 से रात 10.30 बजे चली इस बैठक में ज्यादातर विषयों का निपटारा किया गया। कुछ विषय लंबित रहे, जिन पर आगे चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक मुय बात निगम मंडलों, प्राधिकरणों और आयोगों में की जाने वाली राजनीतिक नियुक्तियों पर हुई। प्रत्येक नामों पर बारी-बारी से चर्चा की गई। 95 फीसद नाम तय कर लिए गए। बिहार चुनाव के परिणामों के बाद सूची जारी हो जाएगी। सूत्रों के मुताबिक कुछ मंत्रियों व विधायकों के अलग-अलग विषयों सामने आए मन-मुटावों को भी दूर करने के प्रयास किए गए। छोटी टोली की बड़ी बैठक में राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव समेत सभी मौजूद रहे। इस टोली का गठन डेढ़ माह पहले तैयार है। इसका मुय काम समन्वय है और बड़े विषयों पर मध्यस्थता कर उनका निपटारा करना है। बता दें इससे पहले 20 सितंबर को टोली की बैठक हुई थी।
टीम खंडेलवाल की पहली बैठक आज
भाजपा नवनिर्वाचित प्रदेश पदाधिकारियों की पहली बैठक शुक्रवार को प्रदेश कार्यालय में होगी। यह बैठक इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि पहली बैठक में संगठन से जुड़े तमाम दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। साथ ही मंथन होगा कि कैसे संगठन के कार्यों को जमीन पर विस्तार दें। समन्वय टोली में  मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रभारी डॉ महेंद्र सिंह, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला, जगदीश देवड़ा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद एवं सरकार के वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह शामिल हैं।
एसआइआर, बिहार चुनाव पर चर्चा हेमंत
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने बताया कि बैठक में एसआइआर की तैयारियों को लेकर बात हुई। इसमें निर्णय लिया कि कार्यकर्ताओं को इस काम में और अधिक सक्रिय किया जाए। ताकि आम लोगों को और अधिक मदद मिल सके। इसके अलावा बिहार चुनाव में कार्यकर्ताओं के अनुभव पर बात हुई। सरदार पटेल, बिरसा मुंडा सहित अन्य संगठनात्मक अभियानों व कार्यक्रमों को सफल बनाने पर मंथन किया गया।
समन्वय टोली के सामने अभी ये है बड़ी चुनौतियां
गुटबाजी: सत्ता-संगठन के सामने बड़ी चुनौती गुटबाजी है। इसमें पार्टी के दिग्गज नेता भी शामिल हैं। इसकी बानगी कभी इंदौर तो कभी सागर, भोपाल और विंध्य सहित ग्वालियर-चंबल से भी उभरकर सामने आती रहती है। पार्टी लाइन भूलने वाले नेता: दूसरी बड़ी चुनौती पार्टी के वो नेता हैं जो पार्टी लाइन क्रॉस कर पार्टी की छवि धूमिल कर रहे हैं। जैसे इंदौर में नेम प्लेट पर कालिख पोतना और ग्वालियर में महिला मोर्चा की एक पदाधिकारी द्वारा सार्वजनिक मंच से पार्टी के नेता पर उत्पीड़न का आरोप लगाना। ऐसे मामलों ने पार्टी की छवि धूमिल की है।

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