
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। संविधान में भले ही सभी के लिए समान अधिकार व एक कानून का प्रावधान हो , लेकिन शायद मप्र की पुलिस इसे नहीं मानती है। यही वजह है कि पुलिस कार्रवाई आरोपी का रसूख और ओहदा देखकर की जाती है। अगर आम आदमी है तो फिर उसके खिलाफ न केवल पुलिस द्वारा कार्रवाई करने में तत्परता दिखाती है , बल्कि कई तरह के गैर कानूनी कदम भी कार्रवाई के नाम पर उठाने से पीछे नही रहती है , लेकिन जैसे ही उसके सामने किसी ओहदेदार का मामला सामने आता है , वही पुलिस इस तरह की सभी कार्रवाई करना भूल जाती है। फिर भले ही उसके खिलाफ कितना भी गंभीर मामला क्यों न हो।
पहले तो गिरफ्तारी के प्रयास ही नहीं किए जाएंगे और अगर थोड़े बहुत किए भी जाएंगे तो उनके न मिलने पर कुर्की जैसी कार्रवाई तो की ही नहीं जाएगी। इस मामले में तो मलावा निमाड़ अंचल की पुलिस को पहले स्थान पर रखा जा सकता है। इसकी वजह है इंदौर के अलावा अलीराजपुर और धार में ऐसे कई कर्मचारी और अधिकारी हैं, जिन पर हत्या से लेकर बलात्कार तक के गंभीर प्रकृति के प्रकरण दर्ज हैं, लेकिन मजाल है कि पुलिस को उनकी गिरफ्तारी की कोई चिंता दिखती हो। इनमें प्रथम श्रेणी से लेकर तृतीय श्रेणी तक के कर्मचारी शामिल हैं।
ऐसा नहीं है कि इस तरह के मामलों में सिर्फ पुलिस ही लापरवाह रहती है, बल्कि सरकार व शासन का भी यही रुख रहता है। इन तरह के मामलों में आरोपी अफसरों के खिलाफ तो कई बार सिविल सेवा नियमों के तहत भी कार्रवाई नहीं की जाती है। ऐसे लोगों के खिलाफ बामुश्किल प्रकरण दर्ज होता है। अगर प्रकरण दर्ज हो भी गया तो फिर उन्हें अग्रिम जमानत कराने का भरपूर मौका दिया जाता है। इसके बाद भी जब आरोपी को राहत नहीं मिलती है तो फिर देश पर की जाने वाली कार्रवाई को ही भुला दिया जाता है। इसका उदाहरण है कुक्षी में पदस्थ रहे तहसीलदार सुनील डाबर। उन पर एक महिला ने बलात्कार का प्रकरण दर्ज कराया हुआ है। इस गंभीर मामले में पुलिस अब तक आरोपी तहसीलदार को गिरफ्तार करने में कोई रुचि नहीं ले रही है। इस प्रकरण को दर्ज कराने के लिए पीड़िता को महिनों थाने के चक्कर काटने पड़े। इसके बाद भी जब आला अफसरों ने निर्देश दिए तब कहीं जाकर तो मामला 24 अगस्त को दर्ज हो सका। इसके बाद से पुलिस रिकार्ड में फरार बने हुए हैं। खास बात यह है कि इस मामले में उनकी गिरफ्तारी न होने की वजह से पुलिस कानूनी प्रावधान के तहत फरारी घोषणा और कुर्की तक की कार्रवाई के लिए कदम नहीं उठा पा रही है। इसी तरह से एक अन्य मामला जिला आबकारी अधिकारी विनय रंगसाही का है। उन पर अलीराजपुर में पदस्थापना के समय उनकी ही पत्नी ने दहेज प्रताड़ना सहित कई अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज हुआ है। प्रकरण दर्ज करने के बाद उन्हें अग्रिम जमानत के लिए पुलिस द्वारा भरपूर मौका दिया गया। इस बीच उनके द्वारा एक अफसर को रिश्वत देने तक का प्रयास किया गया। इसके बाद भी प्रशासन द्वारा उन पर निलंबन तक की कार्रवाई नहीं की गई। अब उनका तबादला उज्जैन कर दिया गया है, लेकिन अब तक उनके द्वारा आमद नहीं दी गई है। इसी तरह से कुक्षी में पदस्थ सहकारिता निरीक्षक गवार सिंह कनेश के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास सहित कई अन्य गंभीर धाराओं में जनवरी माह में प्रकरण दर्ज किया गया था, वे तभी से फरार हैं। इसके बाद भी पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी है।