
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में जहरीली शराब लोगों की जिंदगी लगातार लीलती रही है। प्रदेश में नकली और मिलावटखोरी से बन रही जहरीली शराब पीने से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ माह में मिलावटी शराब कई जिलों में अपना कहर बरपा चुकी है, लेकिन नकली एवं मिलावटी शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने में खाद्य नियंत्रण एवं औषधि तथा आबकारी विभाग पूरी तरह फेल हुए हैं। प्रदेश में मिलावटी और नकली शराब के प्रति विभाग कितने सतर्क हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले 3 साल में मात्र 84 सैंपल ही जांचे गए। यही नहीं उनकी जांच भी फाइलों में दबी हुई हैं। गौरतलब है कि खाद्य नियंत्रण एवं औषधि तथा आबकारी विभाग को शराब में मिलावट रोकने के लिए सैंपलिंग के अधिकार दिए गए हैं। लेकिन खाद्य नियंत्रण एवं औषधि की बात करें तो उसने 2019 से अभी तक पिछले तीन साल में सिर्फ भोपाल समेत प्रदेशभर में कुल 84 सैंपल शराब के लिए हैं। इसमें 59 सैंपल की जांच में पास मिले। जबकि 18 की रिपोर्ट फेल आई। अफसरों ने ये रिपोर्ट फाइल में कहीं दबाकर रख दी। यही कारण है कि भोपाल समेत प्रदेशभर में शराब में मिलावट की जांच बंद हैं और इसका खामियाजा आम लोगों को जान देकर गंवाना पड़ रहा है।
एक भी दुकानदार के पास फूड लाइसेंस नहीं
प्रदेश में मिलावट की जांच करने वाले विभाग अपने कर्तव्य के प्रति कितने सतर्क हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भोपाल में किसी भी शराब दुकानदार के पास फूड लाइसेंस नहीं है। राजधानी में 92 अंग्रेजी और देशी शराब की दुकानें संचालित हो रही हैं। लेकिन एक भी कारोबारी ने अब तक फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी आॅफ इंडिया (एफएसएसएआई) के नियमों के तहत खाद्य नियंत्रण एवं औषधि विभाग से फूड लाइसेंस नहीं लिया है। यह ही स्थिति प्रदेश में शराब बेचने वाले कारोबारियों की भी है। ये लाइसेंस लेते नहीं और न ही फूड इंस्पेक्टर सैंपल लेते हैं। नकली एवं मिलावटी शराब की बिक्री न हो, इस पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने फूड सेफ्टी एक्ट में 2006 में बदलाव कर दिया था। इसे 2011 में लागू कर दिया गया। ये एक्ट लागू होने के बाद कई बार फूड डिपार्टमेंटों को शराब के सैंपल लेने के अधिकार दिए गए हैं। साथ ही शराब कारोबारियों को फूड लाइसेंस लेना जरूरी कर दिया गया है।
दो माह बाद भी नहीं आई रिपोर्ट
खाद्य नियंत्रण एवं औषधि विभाग ही नहीं बल्कि आबकारी विभाग की भी स्थिति यही है। जुलाई में इंदौर में 5 लोगों की मौत मिलावटी शराब पीने से होने के बाद भोपाल में अगस्त में आबकारी विभाग की टीम ने शहर की 40 शराब दुकानों से 35 सैंपल लिए गए थे। इसमें एमडी, रॉयल स्टैग, रॉयल चैलेंज, ब्लेंडर्स ब्रांड के सैम्पल जांच के लिए भेजे गए थे। ये सैंपल सबसे पहले भोपाल में भदभदा रोड स्थित एफएसएल लैब में भेजा, लेकिन यहां पर जांच नहीं हो पाने की बात कहकर सैंपलों को लौटा दिया गया। इसके बाद इन सैंपलों को जांच के लिए इंदौर की एफएसएल लैब में भेजा गया है। लेकिन आलम ये है कि अब तक इन सैंपलों की जांच रिपोर्ट नहीं आ पाई है। कंट्रोलर आबकारी भोपाल सजेंद्र मोरी कहते हैं कि भोपाल में शराब के कई ब्रांडों के सैम्पल लिए गए गए थे। लेकिन इनको जांच के लिए पहले भदभदा स्थित लैब में भेजा गया था। लेकिन वहां पर सैंपल की जांच नहीं हो पाने की बात कही गई। इसलिए उसे इंदौर की लैब में भेजा गया है। अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है।
कारोबारी नहीं सुन रहे विभागों की
प्रदेश में शराब कारोबारी व्यवस्था पर इस कदर भारी हैं कि वे विभागों के निर्देश भी नहीं सुनते हैं। केंद्र सरकार के नियम की दुहाई देकर फूड डिपार्टमेंट के बेबस अफसर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आबकारी विभाग को पत्र लिखकर फूड लाइसेंस कारोबार के लिए लेने के बात कह रहे हैं। फूड डिपार्टमेंट के पत्र के जवाब में आबकारी विभाग के अफसरों ने भी कारोबारियों को निर्देश दिए गए हैं कि लाइसेंस लेकर कारोबार करें। लेकिन न तो कारोबारी आबकारी विभाग की सुन रहे हैं और न ही फूड डिपार्टमेंट के अफसरों के आदेश को मान रहे हैं। इस एक्ट को लागू करने के पीछे फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के सेफ्टी आॅफिसर ने बताया कि फूड लाइसेंस लेने पर शराब की क्वालिटी के सैंपल लेकर जांच कराई जा सकती है। संयुक्त संचालक फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभिषेक दुबे कहते हैं कि शराब की फैक्टरी का संचालन करने वाले संचालकों को बताया गया था कि उनको लाइसेंस लेना होगा। ज्यादातर फैक्ट्री संचालकों ने लाइसेंस लिए लेकिन रिटेल दुकानदार ने कितने लाइसेंस लिए हैं, इसकी जांच कराई जाएगी।