
- अब शिक्षा मंडल ने गणित व अंग्रेजी की पढ़ाई में दी छूट
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल भी अजब- गजब है। शासन और मंडल में पदस्थ अफसरों को रिजल्ट सुधारने की चिंता है , लेकिन छात्रों के भविष्य की नहीं। यही वजह है अब मंडल ने दसवीं के लगातार खराब आ रहे परीक्षा परिणाम सुधारने के लिए छात्रों को अंग्रेजी व गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों में फिर से छूट प्रदान कर दी है।
इन दोनों ही विषयों में पढ़ाई न करने वाले छात्रों को भविष्य में नौकरी मिलना मुश्किल हो जाएगी। दरअसल बताया जा रहा है की मंडल ने यह फैसला शासन के दबाव के बाद लिया है। इसकी वजह से एक बार फिर से नियमों में बदलाव करना पड़ा है। शिक्षा से जुड़े लोग भी इसे विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ मानकर चल रहे हैं। उनका कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग को सिर्फ आंकड़ों की बाजीगिरी दिखाकर रिजल्ट बढ़ाना ही उसका उद्देश्य रह गया है। प्रदेश में मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं परीक्षा में छह विषय तय हैं। इनमें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, सामाजिक विज्ञान, गणित व विज्ञान शामिल है। साथ नेशनल स्किल्स क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के विषय भी रहेंगे। इससे दसवीं में कुल सात विषय हो रहे हैं। इसे लेकर पूर्व में मंडल ने निर्देश जारी किए थे कि दसवीं के विद्यार्थियों को हिंदी व अंग्रेजी लेना अनिवार्य होगा। साथ ही विज्ञान, गणित व सामाजिक विज्ञान मुख्य विषय रहेंगे। छटवें विषय के रूप में विद्यार्थी संस्कृत या एनएसक्यूएफ में से कोई एक विषय ले सकता था। वर्तमान समय में प्रतियोगी परीक्षा समेत हर क्षेत्र में अंग्रेजी की जरूरत है। यदि अंग्रेजी को भी वैकल्पिक विषय के रूप में किया गया, तो आगामी समय में छात्र के भविष्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। दूसरी तरफ माशिमं के संस्कृत को वैकल्पिक विषय करने के संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी सहमत नहीं थे। स्कूल शिक्षा विभाग ने मंडल पर दबाव बनाते हुए मंगलवार को इसके संशोधित आदेश जारी करवा दिए है। अब विद्यार्थी अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत जैसे विषयों में किन्हीं दो का चयन कर एनएसक्यूएफ का कोई एक विषय ले सकते है।
जारी है विभाग की जिद
मंडल की दसवीं परीक्षा में नवीन शैक्षणिक सत्र से बेस्ट आफ फाइव को समाप्त करने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। इस प्रस्ताव में मंडल ने बेस्ट आफ फाइव की ढेरों खामियां बताई हैं। इसमें मप्र के विद्यार्थियों को आर्मी के फार्म भरने के योग्य न होने तक की बात कही गई है। बावजूद इसके स्कूल शिक्षा विभाग छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करते हुए उसे समाप्त करने का निर्णय नहीं ले पा रहा है। दरअसल मंडल की दसवीं परीक्षा में विद्यार्थियों का रिजल्ट बढ़ाने के लिए वर्ष 2017 में बेस्ट आफ फाइव योजना को लागू किया गया है। इस योजना तहत दसवीं के छह विषयों में पांच विषय में पास होना अनिवार्य है। इस योजना लागू होने के बाद अधिकांश छात्रों ने एक विषय के रूप में गणित व अंग्रेजी को लेना ही बंद कर दिया। इसकी वजह से मंडल ने दसवीं में बेस्ट आफ फाइव को समाप्त करने के लिए अक्टूबर 2020 में अनुशंसा की थी। इसके बाद एक बार फिर मंडल की पाठ्यचर्या समिति ने बीते माह इस पर मुहर लगाई। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो बेस्ट आफ फाइव को समाप्त किया, तो दसवीं में 11 फीसदी परिणाम गिर जाएगा।