
- शीतकालीन सत्र में सरकार प्रस्तुत करेगी द्वितीय अनुपूरक बजट
गौरव चौहान/भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। केंद्र सरकार से विभिन्न योजनाओं में प्रदेश को केंद्रांश नहीं मिलने के कारण विकास योजनाओं की रफ्तार धीमी पड़ गई है। ऐसे में अब प्रदेश सरकार का फोकस विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत होने वाले द्वितीय अनुपूरक बजट पर है। विधानसभा के एक दिसंबर से प्रारंभ हो रहे शीतकालीन सत्र में सरकार वर्ष 2025-26 के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत करेगी। इसमें किसी भी विभाग को नई योजना के लिए राशि नहीं दी जाएगी। केवल उन्हीं योजनाओं के लिए अतिरिक्त बजट का प्रविधान होगा, जिनकी पहले स्वीकृति की जा चुकी है या फिर केंद्रीय योजनाओं के लिए राज्यांश मिलना है।
प्रदेश में इस बार विभागों से शून्य आधारित बजट प्रणाली के आधार पर बजट तैयार कराया गया था। इसमें सभी विभागों से बीते तीन वर्ष में व्यय हुई राशि और आगामी आवश्यकता का आकलन कराकर प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई थी। इसके कारण बजट 4,21,032 करोड़ रुपये हो गया था। प्रथम अनुपूरक बजट 2,356 करोड़ रुपये का था। अब द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत होगा। वित्त विभाग पहले ही साफ कर चुका है कि नए वाहन खरीदने या ऐसी योजना जो राज्य बजट से संचालित होनी हैं, उनके लिए राशि नहीं दी जाएगी। यदि केंद्र सरकार से किसी योजना में अतिरिक्त राशि मिलनी है तो उसके लिए प्रविधान किया जाएगा। अनुपूरक बजट दो दिसंबर को प्रस्तुत किया जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष में अनुपूरक बजट का आकार छोटा हो गया है। सामान्यत: अनुपूरक बजट की राशि 15 हजार करोड़ से अधिक होती रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्रथम अनुपूरक बजट 22 हजार करोड़ से अधिक और द्वितीय अनुपूरक बजट 19 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का था, जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रथम अनुपूरक बजट 2356.30 करोड़ रुपए का था।
10 हजार करोड़ का होगा दूसरा अनुपूरक बजट
विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए दूसरा अनुपूरक बजट (सेकंड सप्लीमेंट्री बजट) पेश होगा। वित्त विभाग की ओर से दूसरे अनुपूरक बजट की तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक दूसरा अनुपूरक बजट करीब 10 हजार करोड़ के आसपास हो सकता है। इस तरह इसका आकार प्रथम अनुपूक बजट से करीब 4 गुना होगा। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रथम अनुपूरक बजट 2356.30 करोड़ रुपए का था। पिछले कई वर्षों में पहली बार विधानसभा में इतने छोटे आकार का अनुपूरक बजट पेश किया गया था। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक 25 नवंबर को वित्त विभाग के अधिकारी मोहन कैबिनेट के समक्ष दूसरे अनुपूरक बजट को लेकर प्रेजेंटेशन देंगे। इसके बाद बजट पुस्तिकाएं छापी जाएंगी। विधानसभा में 2 नवंबर को दूसरा अनुपूरक बजट पेश किया जा सकता है। वित्त विभाग ने 2025-26 का बजट जीरो बेस्ड बजटिंग प्रक्रिया के आधार पर तैयार किया था, ताकि विभिन्न योजनाओं और मदों में वास्तविक राशि का प्रावधान किया जा सके और अनुपूरक बजट में कम से कम राशि रखना पड़े। यही वजह है कि प्रथम अनुपूरक बजट में अधिकतर विभागों ने बहुत कम राशि की डिमांड की और प्रथम अनुपूरक बजट में तुलनात्मक रूप से कम राशि का प्रावधान किया गया, लेकिन दूसरे अनुपूरक बजट के छोटे आकार पर लाड़ली बहना योजना भारी पड़ गई है।
शून्य आधारित प्रणाली पर बजट तैयार
प्रदेश में इस बार विभागों से शून्य आधारित बजट प्रणाली के आधार पर बजट तैयार कराया गया था। इसमें सभी विभागों से बीते तीन वर्ष में व्यय हुई राशि और आगामी आवश्यकता का आकलन कराकर प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई थी। इसके कारण बजट 4,21,032 करोड़ रुपये हो गया था। प्रथम अनुपूरक बजट 2,356 करोड़ रुपये का था। अब द्वितीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत होगा। वित्त विभाग पहले ही साफ कर चुका है कि नए वाहन खरीदने या ऐसी योजना जो राज्य बजट से संचालित होनी हैं, उनके लिए राशि नहीं दी जाएगी। यदि केंद्र सरकार से किसी योजना में अतिरिक्त राशि मिलनी है तो उसके लिए प्रविधान किया जाएगा। अनुपूरक बजट दो दिसंबर को प्रस्तुत किया जा सकता है। दरअसल, सरकार ने नवंबर से लाड़ली बहना योजना की राशि 250 रुपए बढ़ा दी है। योजना में अब 1250 रुपए प्रति माह के स्थान पर 1500 रुपए दिए जा रहे हैं। इस कारण योजना में सरकारी खजाने पर हर महीने 300 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त खर्च बढ़ गया है। दूसरे अनुपूरक बजट में लाड़ली बहना योजना में नवंबर से मार्च तक (पांच महीने) के लिए करीब 1,793 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जाएगा। लाड़ली बहना योजना में शुरुआत से अब तक एक करोड़ 26 लाख से ज्यादा बहनों के बैंक खातों में 46 हजार 774 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जा चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए केंद्र से राशि प्राप्त हो चुकी है। राज्य सरकार योजना में अपना अंश शामिल करने के लिए बजट में करीब 3 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान करेगी। इसके अलावा 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को अनुदान राशि कम दी गई है, जिससे पंचायतों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। दूसरे अनुपूरक बजट में इसके लिए राशि का प्रावधान किया जाएगा, ताकि विकास कार्य गति पकड़ सकें।
