
- पड़ोसी जिले भी मामले निपटारे में पड़ रहे हैं राजधानी पर भारी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जिस शहर में राजस्व विभाग का पूरा अमला बैठता है और विभागीय मंत्री भी रहते हैं, उस शहर के आम लोगों को राजस्व विभाग से न्याय पाने के लिए भटकना पड़ रहा है। हालत यह है कि जमीनों के नामांतरण, बंटान और सीमांकन के प्रकरणों का निराकरण न होने से ऐसे मामलों का ढेर तहसील कार्यालयों में लगता जा रहा है और लोग परेशान घूम रहे हैं। इस मामले में भोपाल संभाग के तहत आने वाले जिलों में भी भोपाल फिसड्डी साबित हो रहा है। इसकी वजह है अधिकांश मामलों में पटवारी के पास ही मामला अटका रहना। भोपाल के लगभग हर अनुविभागीय कार्यालयों में मामलों के ढेर देखे जा सकते हैं। यही वजह है कि अकेले भोपाल में ही इस तरह के 14,915 केस सिर्फ नामांतरण होने का इंतजार कर रहे हैं। इनमें आवेदक पेशी दर पेशी चक्कर काट-काट कर परेशान हैं। अगर इन आंकड़ों की तुलना संभाग के तहत आने वाले जिलों से की जाए तो यह आंकड़ा चार से पांच गुना अधिक होता है। जिन केसों में जमीनी विवाद है और तीन माह से ज्यादा समय से लंबित हैं, उनकी संख्या 2203 और एक साल से ऊपर के मामले 129 हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि भोपाल में दर्ज 47096 नामांतरण प्रकरणों में से 32991 प्रकरणों का ही निराकरण हुआ है। अन्य जिलों की बात करें तो सीहोर में 18520 प्रकरण दर्ज हुए, इसमें 15144 का निराकरण हुआ। रायसेन में 15811 प्रकरण दर्ज हुए, जिसमें से 13065 का निराकरण हुआ है, जबकि विदिशा में दर्ज 20487 प्रकरणों में से 17137 प्रकरणों का निराकरण हुआ है। इसी तरह से राजगढ़ में दर्ज 21416 प्रकरणों में से 17477 प्रकरणों का निराकरण हुआ है। भोपाल कलेक्टर कौशलेन्द्र सिंह ने सभी एसडीएम और तहसीलदारों को राजस्व न्यायालय में अटके प्रकरणों का निराकरण जल्द करने के निर्देश दिए गए हैं।
तीन जिलों में बंटवारे के सर्वाधिक मामले
विदिशा, राजगढ़ और सीहोर तीन ऐसे जिले हैं। जिनमें बंटवारे के लंबित केसों की संख्या सबसे ज्यादा है। इनकी पेंडेंसी को लेकर जानकारी की गई तो पता चला काफी केसों में पटवारियों की तरफ से लगाई जाने वाली रिपोर्ट लंबित है। विदिशा में बंटवारे के 1447 केस, राजगढ़ में 1069 और सीहोर में 915 केस बंटवारा न होने के चलते लंबित हैं। वहीं भोपाल में इन केसों की संख्या 902 है। भोपाल में सबसे ज्यादा 34 बंटवारे के केस एक साल से ज्यादा समय से पेंडिंग हैं।
पटवारी खड़ी करते हैं मुसीबत
शहर की तीनों तहसीलों में पदस्थ आरआई और पटवारी सीमांकन विवाद के मामलों को टालते रहते हैं। कई बार तो सीमांकन के केस छह माह से ज्यादा समय ले जाते हैं। इसकी वजह से पीडि़त चक्कर काटने को मजबूर रहते हैं। भोपाल की हुजूर तहसील में 6721 केस आए, इसमें से दो हजार अभी लंबित हैं। ऐसे ही कोलार में सीमांकन के 1800 और बैरसिया में 3708 केस आए हैं। इसमें से 60 फीसदी का समाधान ही हुआ।