मैदानी अधिकारियों के तबादलों के पेंच में फंसा पीएचक्यू

पीएचक्यू
  • राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश का पालन कराने में असमंजस

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। 
    प्रदेश में इस माह के अंत तक पंचायत चुनाव की घोषणा की जा सकती है। ऐसे में तीन साल से अधिक समय से मैदान में पदस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों का तबादला करना है। इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने पुलिस मुख्यालय को निर्देश दिया है। लेकिन आयोग के निर्देश में तबादले की स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को हटाने वाले राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश का पालन कराने को लेकर पुलिस विभाग के अफसरों की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में पीएचक्यू ने राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर पूछा है कि किस-किस पद के अफसरों को हटाएं।
    जानकारी के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग ने पुलिस मुख्यालय को जो पत्र जारी किया है, उसमें अधिकारी लिखा है और उनके अलग-अलग पदों को लेकर स्थिति साफ नहीं की गई है। अब पुलिस मुख्यालय ने आयोग को पत्र लिखकर पूछा है कि किस-किस पद के अधिकारियों और कर्मचारियों को हटाया जाए अथवा 2014 की स्थिति में मैदानी अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले किए जाएं।
    अफसरों को आदेश का पालन कराने में पसीना आ रहा
     गौरतलब है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं और उसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने तबादलों को लेकर गाइडलाइन जारी की है। आयोग ने तीन साल से एक स्थान पर जमे पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को हटाने के लिए कहा है। खास बात यह कि आदेश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का जिक्र नहीं किया गया है। अफसरों के पदों को लेकर भी जिक्र नहीं किया गया है। यानी सभी अफसर इसके दायरे में आएंगे। आयोग ने पत्र पुलिस मुख्यालय को लिखा है और पुलिस मुख्यालय निरीक्षक स्तर तक के अफसरों के तबादले करता है। सबसे ज्यादा दिक्कत उप निरीक्षक स्तर के अफसरों को लेकर हो रही है। ऐसा इसलिए कि उनकी संख्या बहुत ज्यादा है। पिछले चुनाव यानी 2014 के पंचायत चुनाव में उन उप निरीक्षकों को बदलने का निर्देश आयोग ने दिया था, जो थाना प्रभारी के पद पर आसीन थे। इस बार के आदेश में इसका खुलासा नहीं किया गया है। ऐसे में विभाग के अफसरों को आदेश का पालन कराने में पसीना आ रहा है।
    तो साठ फीसदी अमला बदला जाएगा
    पुलिस मुख्यालय के लिए सबसे बड़ी परेशानी यह है कि अगर पुलिस विभाग उप निरीक्षक स्तर के अफसरों को बदलता है, तो लंबी सूची जारी करनी पड़ेगी। अगर थाना प्रभारी स्तर के अफसरों को बदला जाता है, तो सूची छोटी  हो जाएगी। अभी तक निरीक्षक अथवा उप निरीक्षक स्तर के उन अफसरों को ही बदला जाता था, जो थाना प्रभारी होते थे। आरक्षक और प्रधान आरक्षक स्तर के मैदानी कर्मचारियों को लेकर भी स्थिति गंभीर है। अगर चार साल में तीन का फार्मूला लागू किया गया तो भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में तीन हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को बदलना पड़ेगा। यानी तकरीबन साठ फीसदी अमला बदला जाएगा। चुनाव पंचायत यानी देहांत इलाके में होना है और उसको लेकर स्थिति साफ नहीं है। उसमें शहरी और ग्रामीण इलाकों का जिक्र नहीं किया गया है। लिहाजा पीएचक्यू ने आयोग को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है। पीएचक्यू ने यह जानना चाहा कि किन-किन पदों के अफसरों पर जारी की गई गाइडलाइन लागू होगी।

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