पीजी के छात्रों का निजी कालेजों से हुआ मोहभंग

पीजी के छात्रों
  • 280 प्राइवेट कॉलेजों में दहाई का आंकड़े में भी नहीं हुए प्रवेश, 111 को नहीं मिला कोई छात्र

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में कुकरमुत्तों की तरह चल रहे निजी कॉलेजों में लगने वाली भारी भरकम फीस और पढ़ाई के नाम पर कम सुविधाएं होने की वजह से अब सूबे के छात्रों का इनसे मोह भंग पूरी तरह से हो गया है। यही वजह है कि प्रदेश के 280 निजी कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें पीजी के लिए प्रवेश लेने वालो छात्रों की संख्या दहाई का आंकड़ा भी नही छू पायी है। खास बात यह है कि इनमें भी 111 कॉलेज ऐसे हैं जिनमें तो एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया है। यह हाल तब है जबकि प्रदेश के 1317 सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में यूजी पीजी में एडमिशन के लिए कराई जा रही आॅनलाइन काउंसलिंग का पहला मुख्य राउंड समाप्त हो चुका है। इस पहले चरण में बेहद कम प्रवेश हुए हैं। अगर सरकारी आंकड़ो पर नजर डालें तो इस साल निजी ही नहीं सरकाारी कालेंजों की स्थिति भी अच्छी नही है। इस साल सरकारी कॉलेजों में भी 20 से 30 फीसदी ही प्रवेश हुए हैं। यह हाल तब है, जबकि दाखिला बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा कॉलेज चलो अभियान तक चलाया ला चुका है। बीते साल वर्ष उच्च शिक्षा मंत्री ने प्रवेश संख्या बढ़ाने के लिए प्रोफेसरों को टॉस्क दिया था। इससे पहले राउंड में ही यूजी में 1.76 लाख प्रवेश हुए थे। इस बार यूजी में मुख्य राउंड में सिर्फ 96 हजार प्रवेश हुए हैं। वहीं यूजी-पीजी मिलाकर पहले राउंड के बाद 1.17 लाख एडमिशन हुए हैं। हालांकि अभी विभाग के पास तीन सीएलसी के राउंड बचे हुए हैं। दरअसल पहले कोराना औश्र उसके बाद बढ़ी बेरोजगारी और मंहगाई की वजह से अब मध्यम और गरीब वर्ग के लोगों का पढ़ाई की जगह अब रोजगार या फिर आय पर फोकस बना हुआ है।
भोपाल के इन कॉलेजों के हाल बेहाल
भोपाल डिग्री कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन, भोपाल इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस कॉलेज, कॉलेज ऑफ लाइफ साइंस, डेली कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट, एक्सटॉल कॉलेज, स्वामी विवेकानंद कॉलेज  ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी स्वामी विवेकानंद कॉलेज, तक्षशिला कॉलेज, ट्रिनिटी इंस्टीट्यूट आॅफ एजुकेशन, आनंद बिहार वूमन कॉलेज, आईआईटीएस कॉलेज, जय श्री कृष्णा कॉलेज, जेएनसीटी, लक्ष्मी नारायण कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडी, मिलेनियम कॉलेज  ऑफ एक्सीलेंस, सैनिक डिग्री कॉलेज, संत गिरधर कॉलेज, सेम कॉलेज, सीका कॉलेज।
आधे ही हुए इस साल पास
इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग का तर्क है कि बीते साल एमपी बोर्ड में करीब 8 लाख स्टूडेंट्स पास हुए थे, जबकि इस बार पास होने वाले स्टूडेंट्स चार लाख है। इस हिसाब से एडमिशन का प्रतिशत कम नहीं, बल्कि अधिक है। अभी और होने वाले सीएलसी राउंड में एडमिशन की संख्या बढ़ेगी।
यह भी हैैं  वजहें
इस साल यूजी और पीजी में कम प्रवेश होने की वजह है नियमों में बार-बार संशोधन करना। विद्यार्थियों को इस बार विभाग द्वारा अपग्रेडेशन का विकल्प देना। इससे स्टूडेंट्स द्वारा मनचाहा कॉलेज नहीं मिलने पर सीट छोड़ना। अल्पसंख्यक कॉलेजों को भी काउंसलिंग में शामिल किया जाना और  मुख्य राउंड एवं अन्य राउंड को एक दूसरे राउंड के बीच में शुरू करने के अलावा  कॉलेज चलो अभियान में औपचारिकता निभाना । इसमें प्रोफेसरों को टास्क नहीं दिया जाना। जबकि पिछली बार प्रोफेसरों को एडमिशन कराने का टास्क दिया गया था और एमपी बोर्ड का रिजल्ट पिछले वर्ष की अपेक्षा खराब होना।

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