-एटीएस की जांच में सामने आई पीएफआई के खुंखार मंसूबों की हकीकत
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। देश में आतंकी संगठनों के सबसे बड़े स्लीपर सेल कहे जाने वाले पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआई) मप्र में इस बार बड़ी राजनीतिक तबाही मचाने वाला था। पीएफआई के सदस्यों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई नेताओं की रैकी करनी शुरू कर दी थी। वे किसी बड़ी वारदात को अंजाम देते उससे पहले ही पीएफआई के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू हो गई। पीएफआई के इस खुंखार मंसूबे की हकीकत एटीएस की जांच में सामने आई है। पीएफआई के पकड़े गए सदस्यों ने पूछताछ में बताया कि मालवा में युवाओं को पीएफआई से जोड़ने में मदद मिली। जिसके बाद प्रदेश भर में युवाओं को सदस्य बनाने का प्लान था। प्रदेश में एनआईए द्वारा पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी और गिरफ्तारी के बाद आरोपियों से पूछताछ में कई खुलासे हो रहे हैं। एनआईए ने अनुसार मध्य प्रदेश आतंकियों के निशाने पर था। साथ ही एमपी आतंकी संगठनों का सॉफ्ट टारगेट बन गया था। यहां सिमी, जेएमबी, सूफा, आईएस समेत कई आतंकी संगठन सक्रिय हो रहें हैं। दरअसल प्रदेश में पीएफआई के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के पक्के सबूत के बाद इंदौर और उज्जैन में रेड की कार्रवाई की गई थी। कार्रवाई में संगठन के मुखिया समेत चार लोग गिरफ्तार किए गए हैं। सूत्रों की माने तो प्रदेश में पीएफआई के 6 हजार सदस्य सक्रिय है और इंदौर, उज्जैन समेत मालवा में 2500 सदस्य एक्टिव है। जानकारी के अनुसार पीएफआई का गरीब लोगों और आदिवासी पर फोकस था। मॉर्निंग वॉक ग्रुप बनाकर युवाओं का ब्रेनवाश करते थे। साथ ही कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार कर युवाओं को देश के खिलाफ बरगलाने का काम कर रहे थे।
सीएम की कर रहे थे रैकी
प्रदेश में भले ही किसी बड़ी घटना से पहले खुफिया जांच एजेंसियों ने पीएफआई के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया हो, लेकिन इनके निशाने पर कई बड़े राजनेता थे। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टारगेट बनाने की कोशिश की गई। यही नहीं सीएम की कई सभाओं में पीएफआई के स्लीपर सेल मौजूद रहे। एटीएस ने यह पड़ताल प्रधानमंत्री और आरएसएस का नाम आने के बाद की है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से जांच एजेंसियों को साक्ष्य मिले हैं। जांच एजेंसी को इन डिवाइस से रैली के वीडियो और नेताओं की जानकारी जांच एजेंसी के जुड़े अधिकारी ने बताया कि जांच एजेंसी के जुड़े अधिकारी ने बताया कि सीएम पर कई विरोधियों की नजर होती है, लेकिन सुरक्षा में सेंध का सवाल नहीं है। सूत्रों ने बताया कि पीएफआई के सदस्यों ने सीएम को कई बार टारगेट करने की कोशिश की। एक सदस्य ने पूछताछ में बताया कि सीएम के कार्यक्रम की जानकारी मिली। उस दिन सीएम धार में पैदल रोड शो कर रहे थे। तीन लोग भी उज्जैन और इंदौर से गए थे। सीएम के आसपास का कड़ा पहरा था इसलिए सदस्य जब तक सीएम तक पहुंच पाते कि सुरक्षागार्ड से झड़प हो गई। इसके बाद पुलिस ने सीएम को गाड़ी से रवाना कर दिया। यही वजह है कि कामयाबी नहीं मिली।
जांच में सामने आई कई बेहद अहम जानकारियां
सूत्रों का कहना है कि अभी तक जिन लोगों को खुफिया एजेंसियों ने गिरफ्तार किया उनके तार पीएफआई से जुड़े हैं। पीएफआई के लिए वे कई तरह का काम करते है। आईटी के सेल के तौर पर नेताओं की जानकारी दिया करते थे। उन्हें चीफ के निर्देश पर रैली और सभाओं में भी जानकारी लेने के लिए भेजा जाता था। इसके अलावा वाट्सएप से डेटा रिकवर करने के बाद कई अहम जानकारियां मिली है। संगठन का मंसूबा था कि देश के खिलाफ युवाओं को भड़काया जाए। इसमें कुछ हद का पीएफआई सफल भी हुआ।
नई उम्र के युवाओं की भर्ती
प्रदेश में पीएफआई का नेटवर्क पिछले 2 साल से एक्टिव था। इंदौर में अपनी जड़ें जमाने के बाद उज्जैन और मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में इसने काम करना शुरू कर दिया था। जानकारी के मुताबिक पीएफआई का नेटवर्क नई उम्र के युवाओं की भर्ती करता था। मस्जिदों के जरिए पीएफआई के सदस्यों की भर्ती होती थी। ईद के दौरान इंदौर के कई मुस्लिम इलाकों में ईदगाह के बाहर पीएफआई के सदस्यों ने फंडिंग के लिए लगाए बैनर और पोस्टर लगाए थे। मुस्लिम उत्पीड़न की बात कह कर लोगों को भड़काते थे। जेलों में हो रहे मुस्लिमों पर अन्याय की बात उठाकर लोगों को भड़काने का काम किया जाता था। खरगोन और इंदौर के चूड़ी वाले की जेल से रिहाई के मामले में भी किया चंदा इक_ा किया गया था। शाजापुर में नगर पालिका के चुनाव में एसडीपीआई का उम्मीदवार खड़ा हुआ था। चुनाव में पार्षद की जीत के बाद पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे थे। प्रदेश से गिरफ्तार हुए ज्यादातर लोगों में एसडीपीआई के कार्यकर्ता बताए जा रहे हैं।
18/10/2022
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