भूमाफिया के 110 करोड़ घोटाले पर… जिला कोर्ट में लगी याचिका

  • बैंक लोन घोटाले की जांच ईडी में जारी…
  • द सूत्र
भूमाफिया

इंदौर में 16 साल पहले सेटेलाइट कॉलोनी की जमीन पर लिए गए 110 करोड़ के बैंक लोन घोटाले की जांच ईडी में जारी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इस कॉलोनी के पीडि़तों की याचिकाएं पर हाईकोर्ट इंदौर की खंडपीठ में सुनवाई जारी है। अब इस केस को लेकर फिर जिला कोर्ट में एक याचिका लगी और यह 110 करोड़ का घपला उठा।
इन्होंने लगाई याचिका
इस जमीन को लेकर थाने में एफआईआर कराने वाले नितिन छाजेड़ राजमोहल्ला निवासी इंदौर ने कैलाश गर्ग, रितेश उर्फ चंपू अजमेरा, महेश वाधवानी व अन्य के खिलाफ केस दायर किया। इसमें मांग की गई कि गर्ग की जमानत याचिका खारिज की जाए। वहीं गर्ग की ओर से जिला कोर्ट को बताया गया कि एवलांच रियलिटी प्रालि के स्वत्व की 100 एकड़ जमीन रितेश उर्फ चंपू अजमेरा ने 2005-06 में हमे दिखाई गई। चंपू के प्रस्ताव पर अपनी कंपनियों के जरिए जमीन में निवेश कियाष इसके लिए 2005 में नारायण अंबिका इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रालि कंपनी बनाई। इसमें रितेश भी था, लेकिन वह मुझे इस कंपनी का हिसाब नहीं देता था इसलिए उसके अधिकार सीमित किए और फिर डायेरक्टर पद से हटा दिया। चंपू के ही प्रस्ताव पर एवलांच को टेकओवर किया और 29.88 एकड़ जमीन प्राप्त की। मार्च 2009 को गर्ग व सुरेश गर्ग और एववांच के डायरेक्टर के साथ करार हुआ जिसमें यह जमीन मिली। इसके बाद यह जमीन को लेकर जाहिर सूचना जारी की और फिर बैंक में गिरवी रखी। साल 2011-12 में पता चला कि चंपू द्वारा इस कंपनी की जमीन बिना किसी अधिकार के बेच दी गई है। इसके खिलाफ चंपू व अन्य के खिलाफ थाने में शिकायत की। जिस पर केस हुआ। चंपू व अन्य ने मिलकर प्लाट बेचे, जो गैरकानूनी था। मेरे द्वारा इसमें कोई प्लाट नहीं बेचे गए और ना ही कोई राशि ली। यह सभी प्लाट चंपू द्वारा बेचे गए।
जिला कोर्ट ने यह दिए आदेश
इस मामले में सुनवाई के बाद आवेदक छाजेड़ द्वारा गर्ग की जमानत खारिज करने संबंधी याचिका खारिज कर दी गई। क्योंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से विविध शर्तों के तहत आरोपियों को जमानत मिली है और इस मामले में हाईकोर्ट को अधिकृत किया हुआ है कि शर्तें तोडऩे पर जमानत वह खारिज कर सकता है। उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन भी हाईकोर्ट में आवेदन लगा चुका है कि आरोपी भूमाफियाओं द्वारा जमानत शर्तों का पालन नहीं किया गया और ना ही कोई सहयोग किया इसलिए जमानत रद्द होना चाहिए। इस पर अभी केस सुनवाई जारी है।
याचिकाकर्ता ने यह मुद्दा उठाया
याचिकाकर्ता ने कहा कि आरोपियों ने योजनाबद्ध तरीके से आवेदक व अन्य लोगों और बैंक के साथ धोखाधड़ी करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से ग्राम मुंडला नायता की सेटेलाइट हिल्स, सेटेलाइट शिमला हिल्स आदि कॉलोनियां विकसित करना बताया। साथ ही 17 से 20 लाख वर्गफीट एरिया में प्लाट विकिसित कर कूटरचित तरीके से इसमें बदलाव कर जमीनबेची। इसमें कैलाश गर्ग ने बिकी हुई भूमि तीन बैंकों में गिरवी रख कर 110 करोड़ का बैंक लोन ले लिया। इस मामले में गर्ग को अगस्त 2017 में जमानत मिली। लेकिन जमानत के बाद भी इसी तरह के अपराध गर्ग ने किए। सुप्रीम कोर्ट की जमानत शतों के जरिए फरियादियों का निराकरण होना था लेकिन नहीं हुआ। इसलिए जमानत रद्द होना चाहिए। इस मामले में तेजाजीनगर में गर्ग के खिलाफ अपराध 20/2015 व 101/2015 दर्ज हुआ है। आरोप है कि उन्होंने 17.50 लाख वर्गफीट जमीन पर प्लाट बिक जाने के बाद भी बैंकों में रखकर लोन लिया।

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