
- तमाम प्रयासों के बावजूद अब तक प्रदेश में सिर्फ 47 हजार वाहन पंजीकृत
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। आपको यह जानकर हैरत होगी कि एक तरफ सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग पर जोर दे रही है, वहीं मप्र के लोगों की इसमें रूचि नहीं दिखाई दे रही है। मप्र के लोग इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से कतरा रहे हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद अब तक प्रदेश में सिर्फ 47 हजार वाहन पंजीकृत हुए हैं। यह स्थिति तब है, जब प्रदेश में हर साल दस लाख वाहन पंजीकृत हो रहे हैं। एडीशनल कमिश्नर परिवहन विभाग अरविंद सक्सेना का कहना है कि शासन की ओर से ई-व्हीकल को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। टैक्स में कमी की गई है। हल्की, अच्छी और सस्ती बैटरी का निर्माण कराने और प्रदेश में चार्जिंग स्टेशन बनाने को लेकर योजना है। दरअसल, जब हम परिवहन विभाग के आंकड़ों को खंगालते हैं तो पाते हैं कि अधिकांश शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर कोई उत्साह नहीं है। जिस विषय पर पूरी दुनिया गंभीरता से चर्चा कर रही है, उसे आत्मसात करने में हम पीछे हैं। कई छोटे जिलों में यह आंकड़ा दहाई को भी नहीं छू पाया है। अगर प्रदेश की बात करें तो हम ईवी का उपयोग करने वाले टॉप-5 राज्यों में भी नहीं हैं। हमसे आगे राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार हैं। हालांकि सरकार ने इसको लेकर प्रयास तेज कर दिए हैं।
प्रदेश में चार्जिंग स्टेशनों का टोटा
मध्यप्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। इसके पीछे का बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि प्रदेश में चार्जिंग स्टेशनों का टोटा है और बहुत सारे वाहनों की बैटरी भी खराब हो रही है। मध्यप्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने के प्रयास 2019 से शुरू किए थे। प्रदेश सरकार ने 16 दिसंबर 2019 को आदेश जारी कर लाइफ टाइम टैक्स और रजिस्ट्रेशन में छूट देने का फैसला लिया था। कुछ दिनों पहले परिवहन विभाग की एक बैठक हुई थी। बैठक में अफसरों का यह तर्क था कि खराब बैटरी और चार्जिंग स्टेशन इसकी बिक्री में सबसे बड़ी बाधा है। बैटरी को लोग सुरक्षित नहीं मान रहे हैं, क्योंकि कई जगहों पर बैटरी में आग लगने की घटनाएं भी सामने आई हैं। इसी कारण लोग इसकी खरीदी में रुचि नहीं ले रहे हैं। मध्यप्रदेश में पंजीकृत होने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों से सिर्फ एक फीसदी लाइफ टाइम टैक्स लिया जा रहा है। पेट्रोल वाहनों में यह आंकड़ा चार फीसदी है। यह बात दीगर है कि उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में इलेक्ट्रिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन में टैक्स की पूरी छूट दी गई है। इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीयन कराने पर वाहन स्वामियों से शुल्क नहीं लिया जाता है।
अब तक 47511 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत
तकरीबन तीन साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन अब तक राज्य में कुल 47511 इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हुए हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या ई-रिक्शा की है। अब तक 26136 ई-रिक्शा पंजीकृत हुए हैं। दूसरे नंबर पर स्कूटर हैं। स्कूटर की संख्या 19993 है। यात्री बसों की संख्या महज 51 और मैक्सी कब के तौर पर सिर्फ दो वाहन रजिस्टर्ड हैं। बाइक का आंकड़ा 357 और कार का 539 है। इलेक्ट्रिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन का यह आंकड़ा बेहद कम है। प्रदेश में हर साल तकरीबन दस लाख वाहन पंजीकृत होते हैं। इनमें 85 फीसदी आंकड़ा दुपहिया वाहनों का है।
प्रदेश के 12 शहर मॉडरेट श्रेणी में
प्रदूषण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 12 शहर एक्यूआई के मामले में मॉडरेट श्रेणी में आ चुके हैं। इनका प्रदूषण लेवल 100 से अधिक है। यह बताता है कि इन शहरों में लोगों को अधिक जागरूक होने की जरूरत है। पर्यावरणविदों के अनुसार एक्यूआई बढऩे में 50 प्रतिशत तक कारक वाहन होते हैं। यह वायु प्रदूषण बढ़ाते हैं। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग शहरों की सेहत के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। पहले बैटरी को लेकर शिकायत रहती थी। अब लिथियम आयन का उपयोग हो रहा है। स्वदेशी टेक्नोलॉजी कारगर है और अधिक कैपेसिटी वाली है। ऐसे में लोगों का विश्वास बढ़ रहा है। धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रति लोग जागरूक होंगे।