पीसीसी: अब भी पटवारी पर भारी हैं कमलनाथ

कार्यक्रमों में अब भी कमलनाथ के पास जुटती है अधिक भीड़

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास अब नहीं है, और वे बीते सालों की तरह अब सक्रिय भी नहीं हैं, लेकिन इसके बाद भी उनका अब भी प्रदेश में जलवा बरकरार है। यही वजह है कि हाल ही में जब कमलनाथ पीसीसी में हुई बैठक में शामिल होने पहुंचे तो सर्वाधिक भीड़ कमलनाथ के आसपास ही देखी गई। यह हाल तब है, जबकि कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटे पांच माह का समय हो चुका है। पीसीसी की कमान मिलते ही जिस तरह से जीतू पटवारी ने आपरेशन कमलनाथ चलाया था, उससे लग रहा था कि अब पीसीसी में शायद ही नाथ समर्थक रह पाएंगे, लेकिन अब तक इस मामले में पटवारी पीछे ही नजर आ रहे हैं। दरअसल पीसीसी की कमान मिलते ही पहला कदम पटवारी द्वारा कमलनाथ समर्थकों को पहले पद विहीन किया गया और उसके बाद उनके कक्षों की नेमप्लेटों तक को हटवा दिया गया।  यही नहीं उनके लिए तय कुर्सी भी छीन ली गईं। इस सबके बाद भी प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में अब भी कमलनाथ का जलवा कायम बना हुआ है। यही नहीं पार्टी संगठन में उनके समर्थकों और प्रशंसकों की संख्या में भी कमी नहीं आयी है। इसकी वजह से अब भी प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी पर वे भारी पड़ रहे हैं। दरअसल पार्टी में पटवारी व कमलनाथ के बीच पटरी नहीं बैठने की खबरें लंबे समय से आती रही हैंं। इस बीच बीते साल दिसंबर माह में जब  विधानसभा चुनाव के परिणाम आए तो कांग्रेस को बढ़ी पराजय का सामना करना पड़ा। इसके चलते पार्टी हाईकमान ने कमलनाथ की जगह जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौप दी थी। पटवारी ने कमान सम्हालते ही पहला कदम संगठन की प्रदेश कार्यकारिणी को भंग करने का उठाया । इसका गठन कमलनाथ ने प्रदेशाध्यक्ष रहते किया था। पहले पखवाड़े में की गई इस कार्रवाई के बाद भी पटवारी अपनी पसंद की टीम तो नहीं बना पाए , उलटे कार्यकर्ताओं से गुलजार रहने वाले पीसीसी की रौनक जरुर खो बैठे। हालत यह है कि अब पीसीसी की अधिकांश कक्ष या तो बंद रहते हैं या फिर सूने पड़े रहते हैं।  कार्यकर्ताओं को पांच माह बाद भी नई प्रदेश कार्यकारिणी का इंतजार बना हुआ है। अहम बात यह है कि पटवारी द्वारा यह कदम ऐसे समय उठाया गया था, जब की लोकसभा चुनाव सिर पर था। यही वजह रही की पार्टी संगठन से हटाए गए अधिकांश नेता चुनाव के समय सिर्फ औपचारिकता ही करते नजर आए या फिर अपने करीबी प्रत्याशियों की सीट  पर प्रचार करने चले गए। इसका नुकसान प्रत्याशियों को कार्यकर्ताओं की कमी के रुप में उठाना पड़ा है।
तो पटवारी को मिलेगा फायदा!
पटवारी की पहली बड़ी परीक्षा का परिणाम चार जून को आना है। इस दौरान माना जा रहा है कि पार्टी की कुछ सीटें बढ़ सकती हैं। अगर ऐसा होता है, तो इसका फायदा पटवारी को मिलना तय है, जिससे उनकी पार्टी हाईकमान की नजर में साख बढऩा तय है। दरअसल भाजपा ने लोसभा चुनाव में जिस तरह से कुछ ऐसे प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, जिनकी साख अच्छी नहीं हैं, उसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। अभी जिस तरह से राजनैतिक विश£ेषकों द्वारा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार कांग्रेस को करीब चार सीटें तक मिल सकती हैं, उससे पटवारी खेमा उत्साहित बना हुआ है। दरअसल पटवारी राहुल गांधी कैम्प के जुड़े नेता हैं। राहुल गांधी भी व्यक्तिगत रुप से उन्हें पसंद करते हैं, ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि पटवारी को चुनाव परिणाम आने के बाद खुलकर काम करने और संगठन को अपने हिसाब से चलाने की छूट देने की तैयारी कर ली गई है। इसकी अपनी भी वजहें हैं। कमलनाथ लगभग अपनी राजनैतिक विरासत पुत्र नकुलनाथ को सोंपने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। इसी तरह से दिग्विजय सिंह को लोकसभा चुनाव लड़ाकर पार्टी ने साफ कर दिया है कि अब प्रदेश में उनका हस्तक्षेप कम किया जाएगा।
नाथ की नाराजगी की चर्चा
भले ही सार्वजनिक रुप से कमलनाथ की नाराजगी नहीं दिखती हो लेकिन यह तो तय ही माना जा रहा है कि वे इन दिनों पार्टी हाईकमान से लेकर प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी तक से नाराज चल रहे हैं। इसकी झलक साफतौर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में उनकी छिंदवाड़ा तक ही सीमित रही सक्रियता से दिख जाती है। यही नहीं वे न तो अब पीसीसी आते हैं और न ही पार्टी कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। यही नहीं लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी जब कमलनाथ और नकुलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलें चलीं, तो उनकी तरफ से तात्कालीक रुप से कोई खंडन नहीं आया , बल्कि ऐसा संदेश दिया गया कि कभी भी वे अपने समर्थकों के साथ भाजपा में जा सकते हैं। यही नहीं उनके समर्थकों ने भी जिस तरह से बयान दिए और शोसल मीडिया से जिस तरह से आइकान बदले उससे सबकुछ स्पष्ट हो गया था। हालांकि वजह जो भी रही हो लेकिन उनका भाजपा में जाना टल गया, तब कहीं जाकर इस पूरे मामले को लेकर पूरा दोष मीडिया पर मढ़ दिया गया। 

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