प्रदेश में पानी से 1920 मेगावाट बिजली बनने का रास्ता साफ

  • राजस्थान सरकार ने प्रदान की सहमति

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रदेश सरकार की पम्प स्टोरेज नीति के तहत अब प्रदेश में गांधी सागर डैम के पानी से 1920 मेगावाट बिजली बनने का रास्ता साफ हो गया है। इस मामले में सबसे बड़ी अड़चन राजस्थान की मंजूरी के साथ ही दूर हो गई है। अब गांधी सागर डैम का 892 एमसीएम पानी पम्प स्टोरेज के लिए छोड़ा जाएगा। इसके बाद भी डैम में 3000 एमसीएम पानी मौजूद रहेगा। इसके लिए जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता उज्जैन को पेयजल, सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए आवश्यक जल गांधीसागर बांध में स्टोर करके रखने के निर्देश दिए गए हैं। इस परियोजना को प्रदेश सरकार पहले ही अपनी स्वीकृति प्रदान कर चुकी थी, लेकिन राजस्थान सरकार का हिस्सा होने के चलते काम शुरू नहीं हो पा रहा था, जिसकी वजह से प्रदेश सरकार ने इसकी जानकारी राजस्थान सरकार को  देकर उससे स्वीकृति मांगी थी। प्रदेश सरकार के आग्रह पर राजस्थान सरकार की ओर से मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग जयपुर द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। अब ग्रीनको ग्रुप द्वारा 1920 मेगावाट पम्प स्टोरेज परियोजना के निर्माण के लिये गांधी सागर बांध से 891.944 एमसीएम पानी छोड़ने की अनुमति के लिए तय की गई शर्तों को भी जारी कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि मोहन कैबिनेट ने पम्प स्टोरेज परियोजना के जरिए बिजली उत्पादन की नवीकरणीय विभाग की नीति को फरवरी 2025 में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले ही मंजूरी प्रदान कर दी थी।  
इस तरह के जारी किए निर्देश
प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग विनोद कुमार देवड़ा के मुताबिक मुख्य अभियंता जल संसाधन उज्जैन को शर्तों के आधार पर पेयजल, सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए आवश्यक जल गांधी सागर बांध में स्टोर रखने के निर्देश दिए गए हैं। यह भी कहा गया है कि बांध से जल प्रवाहित करने के लिए तय ऑपरेशन मैन्युअल, बांध सुरक्षा के मापदंडों का पालन करना होगा। बांध से जल प्रवाहित किए जाने के लिए एमपी एवं राजस्थान राज्य अंतर्राज्यीय नियंत्रण समिति और सदस्यों के साथ कोआर्डिनेशन कर कार्रवाई की जाएगी। बांध के निचले क्षेत्र की सुरक्षा के लिए आवश्यक अलार्मिंग तंत्र के जरिए पानी छोड़ने की सूचना देकर जल प्रवाहित किए जाने की कार्रवाई की जाए। गांधी सागर जलाशय से प्रवाहित 891.944 एमसीएम जल के राणा प्रताप सागर बांध में सुरक्षित स्टोरेज एवं समुचित उपयोग के संबंध में राजस्थान राज्य के संबंधित मुख्य अभियंताओं से आवश्यक समन्वय करना जरूरी होगा।

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