सैकड़ों थानों में उधारी के वाहनों से होती है गश्त

सैकड़ों थानों
  • शराब ठेकेदारों से लेकर अन्य लोगों से ली जाती है मदद

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में करीब सात सौ ऐसे थाने हैं, जिनमें पुलिस को उधारी के वाहनों का उपयोग करना पड़ता है। यह वे थाने हैं जिनमें गश्त से लेकर लाइन आर्डर की स्थिति से निपटने के लिए कोई वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। पुलिस मुख्यालय ने जब इन थानों के लिए वाहन खरीदी का प्रस्ताव वित्त विभाग भेजा तो उस पर पोंच फंसा दिया गया है, जबकि इसके उलट बीते एक साल से लगातार मंत्रियों के लिए मंहगे  लग्जरी वाहनों की खरीद की जा रही है। हद तो यह हो गई पुलिस मुख्यालय द्वारा जितने वाहनों की मांग की गई है, उनमें से एक तिहाई वाहन किराए पर लेने की जरुर मंजूरी दी गई है।
दरअसल प्रदेश के बड़े शहरों में तो पुलिस महकमे के पास वाहनों का बड़ा लाव लश्कर रहता है, लेकिन दूर दराज के थानों में बामुश्किल से वाहन मिल पाता है। वाहन न होने की वजह से पुलिस का अमला दिन में तो किसी तरह से अपराधियों की धरपकड़ कर लेता है और तमाम साधनों से ला एंड आर्डर वाली जगह पहुंचना आसान होता है, लेकिन रात में उतना ही मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अपराध की विवेचना से लेकर अपराधियों की धरपकड़ मुश्किल हो जाती है। इस स्थिति में कैसे अपराध कम हों और कैसे थाना क्षेत्र में लॉ एंड आर्डर की व्यवस्था बेहतर हो यह सवाल बना हुआ है। दरअसल पुलिसय मुख्यालय द्वारा इन थानों के लिए वाहन खरीदी का प्रस्ताव भेजा, जिस पर कई बार पहले तो उसे रिव्यू कराया गया और बाद में वित्त विभाग ने वाहनों की खरीदी पर रोक ही लगा दी। दरअसल पुलिस मुख्यालय ने 1038 वाहनों की डिमांड भेजी थी। इसके एवज में वित्त विभाग की ओर से सिर्फ 338 वाहनों को किराए पर लेने की अनुमति दी गई थी। ऐसे में सवाल यह बना हुआ है कि पुलिस बिना वाहन कैसे थाना क्षेत्र में कानून व्यवस्था को बना पाएंगे।
क्योंकि पेट्रोलिंग, घटना स्थल, विवेचना और अरोपियों की गिरफ्तारी के लिए वाहनों की जरूरत होती है।  ऐसे में इसके बाद थाना प्रभारी निजी स्तर पर वाहनों की व्यवस्था करते हैं। कई बार तो हाला त ऐसे बन जाते हैं कि पुलिस को शराब ठेकेदारों से लेकर अन्य व्यवसायिक लोगों से उधारी में वाहन लेकर अपना काम करना पड़ता है।
चार माह पहले भेजा था प्रस्ताव
पुलिस मुख्यालय की योजना और प्रबंध शाखा की ओर से चार माह पहले गृह विभाग को वाहन खरीदी को लेकर प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर गृह विभाग ने वित्त से प्रस्ताव पर चर्चा की थी। इसके बाद सिर्फ किराए के वाहनों को उपयोग करने के निर्देश दिए गए।  इस प्रस्ताव में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के लिए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन के लिए वाहन खरीदने का प्रस्ताव था।  इसके अलावा 53 जिलों में 972 थानों को मिलाकर 1038 वाहनों की जरूरत बताई थी, लेकिन महज एक साल के लिए 338 वाहन किराए से लेने की अनुमति दी गई। इसके पीछे बजट का अभाव बातया गया है। यह स्थिति प्रदेश में ऐसे समय में है, जब वित्त आयोग की सिफारिश में कहा गया है कि स्मार्ट और एक्टिव पुलिसिंग के लिए राज्य सरकारों को कई कदम उठाने की जरूरत है, लेकिन प्रदेश में तो पुलिस को वाहनों के संकट तक का सामना करना पड़ रहा है।

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