
- प्रदेश में पिछले सवा चार साल में 229 दवा के नमूने पाए गए अमानक
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत का आंकड़ा 16 तक पहुंच चुका है। छिंदवाड़ा जिले में 14 बच्चों की मौत के बाद अब बैतूल जिले के आमला ब्लॉक में दो मासूम बच्चों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत से हडक़ंप मच गया। दरअसल, अभी तक की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि इन मासूमों की मौत अमानक दवाओं से हुई है। वैसे मध्य प्रदेश में आंकड़ों को देखा जाए तो यहां के मरीज अमानक दावाएं खा रहे हैं। मप्र में हर हफ्ते एक दवा अमानक निकल रही है। मप्र में दवाओं के सैंपल की जांच में वर्ष 2021-22 में 44 दवावों के सैंपल अमानक मिले हैं। वहीं 2022-23 में 46, 2023-24 में 25, 2024-25 में 92 और 1 अप्रैल से 30 जून तक 2025 में 22 दवाओं के सैंपल अमानक मिले हैं
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की रिपोर्ट बताती है कि इंदौर, पीथमपुर, देवास, उज्जैन, भोपाल, रतलाम और ग्वालियर की कंपनियों में बनीं दवाएं भी एनएसक्यू (नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी) की सूची में शामिल हैं। मप्र में बीते 8 महीने में बनीं 76 दवाएं अमानक साबित हुई हैं। इनमें पैरासिटामोल टैबलेट, अलग-अलग तरह के इंजेक्शन, ओआरएस, आंख में डालने का ऑइंटमेंट, विटामिन और कैल्शियम की गोलियों से लेकर फेसवॉश भी शामिल हैं। सीडीएससीओ दवाओं की क्वालिटी की जांच के लिए समय-समय पर देशभर से दवाओं के सैंपल लेकर जांच करता है। इसने जनवरी से अगस्त के बीच 27 कंपनियों की 76 दवाएं जांच में अमानक पाईं। इस दौरान इंदौर के राऊ स्थित समकेम कंपनी की सर्वाधिक 19 दवाएं अमानक साबित हुई हैं। सांवेर रोड की सिंडिकेट फार्मा की आठ दवाएं एनएसक्यू सूची में हैं। सिप्ला जैसी मल्टीनेशनल कंपनी के रतलाम प्लांट में बनी एक दवा भी अमानक पाई गई। मप्र में बनी कुछ कंपनियों के अलग-अलग तरह के इंजेक्शन वायल के अंदर कचरा मिला। कुछ गोलियों का घुलने का समय ही गड़बड़ था। जो गोलियां 3-4 मिनट में घुलना थीं, वो 7-8 मिनट में घुलीं। पैरासिटामोल की गोली डिसइंटीग्रेशन के कारण अमानक रही। विटामिन बी की गोलियों से जुड़ी स्ट्रीप में गोलियां इतनी नरम मिली कि वह पावडर के रूप में निकल रही थीं।
हर हफ्ते औसत एक दवा का नमूना घटिया मिला
मप्र में अमानक और घटिया क्वालिटी की दवाओं की बिक्री नई बात नहीं है। इसका खुलासा जुलाई अगस्त में हुए मप्र विधानसभा के मानसून सत्र में हुआ था। सत्र के दौरान सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों से सामने आया कि पिछले सवा चार साल में प्रदेश में जांचे गए लगभग 229 दवा के नमूने अमानक पाए गए। यानी जांच में हर हफ्ते औसत एक दवा का नमूना घटिया मिला। दरअसल, कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने प्रदेश में अमानक दवाओं के संबंध में सरकार से सवाल किया था। उन्होंने पूछा था कि अप्रैल, 2021 से जून, 2025 तक प्रयोगशाला में परीक्षण के बाद नकली और घटिया दवाओं से जुड़े कितने मामले पाए गए? इसके अलावा उन्होंने मामलों की संख्या और फर्मों व दवा कंपनियों के नामों सहित वर्षवार विवरण मांगा था। इनमें से कितने मामले वर्तमान में अदालत या सक्षम प्राधिकारियों के समक्ष लंबित हैं? कितने मामलों में जुर्माना, दंड या अन्य प्रतिबंध लगाए गए? इसके जवाब में डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने विधानसभा को लिखित में बताया था कि अप्रैल, 2021 से जून, 2025 तक लैबोरेटरीज में जांच में करीब 229 दवाओं के नमूने अमानक पाए गए हैं। इनमें से 60 अमानक दवाओं के निर्माण लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं। चार मामलों में चेतावनी जारी की गई और 19 में कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। उन्होंने यह भी बताया था कि 4 मामले वर्तमान में कोर्ट में चल रहे है। मंत्री शुक्ला ने बताया था कि नकली और अमानक पाई गई दवाओं/औषधियों का उपयोग बुखार, एसिडिटी, दर्द निवारक, सर्दी, एलर्जी, एंटीवायरल और रक्तचाप के लिए किया गया था।
जांच की तीन स्तरीय व्यवस्था
दवाइयों की जांच के लिए मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ कॉर्पोरेशन की तीन स्तरीय व्यवस्था हैं। इसके बाद भी अस्पतालों में अमानक दवाइयां लगातार सामने आ रही हैं। सरकारी अस्पतालों में तकरीबन हर मरीज को दी जाने विटामिन बी कॉम्पलेक्स और पैरासिटामोल की टेबलेट भी अमानक मिल चुकी हैं। सैंपल की जांच में कुछ दवाओं के अमानक होने के जो कारण मिले उसके अनुसार, कुछ सैंपल की जांच में दवा की मात्रा कम पाई गई। खुराक और बैच संख्या का उल्लेख नहीं किया गया। टैबलेट पर धब्बे पाए गए। कुछ दवाओं और सिरप में फफूंद की वृद्धि और नमी पाई गई। दवाओं में रासायनिक यौगिक अपर्याप्त पाए गए।