पटेल अपने विधानसभा क्षेत्र के ही किसानों को नहीं दिला पा रहे खाद

विधानसभा क्षेत्र
  • मचा हुआ है हाहाकार, बढ़ रहा है आक्रोश

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रशासन और सरकार भले ही खाद की उपलब्धता को लेकर कितने ही दावे करे, लेकिन वास्तविकता में किसान पूरे प्रदेश में जगह-जगह खाद के लिए परेशान बने हुए हैं। इसमें भी चौंकाने वाली खबर यह है कि सूबे के कृषि मंत्री कमल पटेल अपने ही विधानसभा क्षेत्र के किसानों को समय पर खाद दिलाने में असफल साबित हो रहे हैं, जिसकी वजह से उनके क्षेत्र में हाहाकार की स्थिति बनी हुई है। इन हालातों के चलते प्रदेशभर के किसानों में अब सरकार को लेकर गुस्सा पनपने लगा है।  
प्रदेश में खाद संकट के मामले में जिम्मेदार कृषि मंत्री कमल पटेल पूरी तरह से  निष्क्रीय नजर आ रहे हैं, जबकि इस मामले में बिगड़ते हालात के चलते हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आला अफसरों की क्लास तक लगानी पड़ गई। दरअसल इन दिनों पूरे प्रदेश में फसल की बोबनी का काम तेजी से चल रहा  है, जिसके लिए खाद की बेहद जरुरत बनी हुई है। उधर कई जिलों में पहले बुवाई हो गई थी, जिसकी वजह से उन जगहों के किसानों को पहली सिंचाई के लिए यूरिया खाद की जरूरत बनी हुई है, लेकिन खाद नहीं मिल पाने की वजह से उनका सिंचाई कार्य पिछड़ रहा है।
कई किसानों को यूरिया खाद लाख प्रयास के बाद भी नहीं मिल पा रहा है।  खाद के लिए किसान आए दिन सहकारी समितियों एवं नकदी बिक्री केंद्र के चक्कर काट रहे हैं  जिससे  किसानों को खाद नहीं मिलने से उत्पादन प्रभावित होने की बात भी सता रही है।  यूरिया संकट पर किसानों का कहना है कि सरकारी समितियां खाद देने में अक्षम साबित हो रही हैं। वहीं दूसरी ओर निजी व्यापारियों के पास से जितना भी खाद चाहिए वह मंहगे दामों में बेंच रहे हैं।  इस मामले में किसानों का कहना है कि हमारे सामने समस्या खड़ी है कि या तो हम फसल बिगाड़ें या फसल बचाने के लिए महंगा खाद खरीद कर खेतों में डालें।  कुल मिलाकर यूरिया का पर्याप्त स्टॉक होने का दावा करने वाले कृषि विभाग की झूठ खुलकर सामने आ रही है, क्योंकि स्टाक होने के दावे  भी सोसायटियों तक यूरिया और डीएपी र्प्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच रहा है। जानकारी के अनुसार इस साल सोयाबीन की रिकॉर्ड पैदावार हुई है। इसके बाद किसान अपनी फसल को बेचकर नई फसल गेहूं और चने के लिए अधिकांशत: बोवनी का कार्य पूरा कर चुके हैं और कुछ किसान अभी भी बोवनी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें गेहूं और चने की फसल के लिए अभी यूरिया की ज्यादा आवश्यकता महसूस हो रही है। इसकी आपूर्ति कृषि विभाग नहीं कर पा रहा है। कुछ दिन पहले कृषि विभाग ने दावा किया था कि उसके पास यूरिया और खाद का पर्याप्त स्टाक मौजूद है। इस सूचना के प्रसार के बाद सरकारी यूरिया विक्रय केन्द्रों पर किसानों की भीड़ यूरिया लेने के लिए उमड़ रही है। सुबह से ही किसान सभी विक्रय केन्द्रों पर यूरिया खरीदने पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें घंटों इंतजार करने के बाद यूरिया विक्रय केन्द्रों पर तैनात सरकारी अमला  यह कहकर वापस लौटा देता है कि यूरिया उपलब्ध नहीं है। तब किसान बाजार में निजी दुकानों पर यूरिया खरीदने पहुंचते हैं तो निजी दुकानों पर किसी भी प्रकार की सरकारी निगरानी न होने के कारण यह निजी दुकानदार दोगुने दामों पर किसानों को यूरिया बेच रहे हैं। ऐसे अनेक शिकायतें भी प्रशासन तक पहुंच रही हैं, लेकिन प्रशासन भी इस मामले में सक्रिय नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से यूरिया के दुकानदार इन दिनों किसानों की मजबूरी का लाभ उठाते हुए महंगे  दामों पर यूरिया बेच रहे हैं। इस तरह के हालात कृषि मंत्री के गृह जिले में भी बने हुए हैं। बता दें कि पटेल द्वारा खाद वितरण को लेकर सक्रियता नहीं दिखाए जाने की वजह से ही मुख्यमंत्री को इस मामले में मोर्चा सम्हालना पड़ रहा है।
अफसरों को किया गया तैनात
नर्मदापुरम जिले में सभी शासकीय व निजी उर्वरक विक्रेताओं की दुकान पर शासकीय कर्मचारियों की डयूटी लगाकर यूरिया व अन्य उर्वरकों का वितरण कराया जा रहा हैं। कर्मचारियों के सामने ही कृषकों को पीओएस मशीन के माध्यम, से यूरिया व डीएपी उर्वरकों का वितरण कराया जा रहा है। जिले में निजी विक्रेताओं के पास 1107 मे. टन डीएपी एवं 1010 मे. टन यूरिया उपलब्ध था, जिसे शासकीय कर्मचारियों की उपस्थिति में वितरण कराया गया। सभी किसानों को पीओएस मशीन के माध्यम से शासन द्वारा निर्धारित दर पर उर्वरकों का वितरण किया जाए। समस्त उर्वरकों का दुकान पर उपलब्ध स्टॉक मूल्य प्रदर्शित करने के साथ ही किसानों को पक्के बिल पर ही उर्वरकों का विक्रय करना सुनिश्चित करें।
मंगाया नौ लाख एमटी खाद
उधर, किसानों की मांग को देखते हुए इस माह किसानों को देने के लिए कुल नौ लाख एमटी खाद मंगाया गया है, जिसमें 7 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 2 लाख मीट्रिक टन डीएपी है। विभाग का अनुमान है कि रबी सीजन में 20 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 8.50 लाख मीट्रिक टन डीएपी की मांग रह सकती है।  इसी तरह से बीते माह प्रदेश में मंगाए गए 5.60 लाख एमटी यूरिया में से तीन लाख एमटी और  4 लाख एमटी डीएपी में से करीब ढाई लाख एमटी बांटा जा चुका है।
138 लाख हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य
प्रदेश में इस बार रबी सीजन में 138 लाख हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य तय किया गया है।  इसमे गेहूं के अलावा चना, मसूर, सरसों और अलसी जैसी फसलें शामिल हैं। यह रकबा बीते साल के बराबर ही है। खास बात यह है कि इस बार भी बीते साल के बराबर ही बोवनी का रकबा होने के बाद भी किसानों को फसल की पहली सिंचाई के समय खाद की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि सितंबर व अक्टूबर में भी बारिश होने की वजह से खेतों में नमी बनी हुई है। यह किसानों के लिए फायदा है क्योंकि पहला पानी देने में बचत होगी, लेकिन इसकी वजह से एक साथ खाद की मांग बढ़ गई।

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