
- 30 फीसदी तक अधिक वसूला जा रहा किराया
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। शादी ब्याह और स्कूली छुट्टियों की सीजन होने की वजह से इन दिनों हर रोज चलने वाली आम ट्रेनों में अब जगह नहीं मिल पा रही है। हालत यह है कि आम दिनों में जिन ट्रेनों में सीटें खाली रह जाती थी, उनमें भी लंबी प्रतिक्षा सूची बनी हुई है। ऐसे में यात्रियों को सीटें उपलब्ध कराने के नाम पर रेलवे प्रशासन मुनाफाखोरी में लग गया है। यही वजह है कि लंबी प्रतीक्षा सूची वाली ट्रेनों में अतिरिक्त कोच लगाने की जगह रेलवे प्रबंधन ने स्पेशल के नाम से नई ट्रेनों को चलाना शुरु कर दिया है। इन स्पेशल ट्रेनों के नाम पर यात्रियों से 30 फीसदी तक अतिरिक्त किराया वसूला जा रहा है। यही वजह है कि इस बार गर्मी के इस सीजन में भोपाल से होकर दो दर्जन स्पेशल ट्रेनें निकलने वाली हैं। अहम बात यह है कि बीते एक दशक में रेलवे प्रबंधन का पूरा फोकस यात्री सुविधाओं की जगह कमाई पर बना हुआ है। इसकी वजह से न केवल प्रमुख भीड़भाड़ वाली ट्रेनों मेें सामान्य कोच कम कर दिए गए हैं, बल्कि सुविधाओं के नाम पर वसूली के नए -नए रास्ते तलाशे जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण भोपाल का रानी कमलापति रेलवे स्टेशन है। यहां पर यात्रियों की जेब पर पार्किंग शुल्क तो भारी पड़ता ही है, साथ ही प्लेटफार्म पर पहुंचने में अब समय भी अधिक लगने लगा है।
यह है रेलवे की कमाई का लक्ष्य
रेलवे ने 2025-26 में एसी 3 टियर यात्रियों से सबसे ज्यादा लगभग 37,115.32 करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य रखा है, जो 2024-25 में इस श्रेणी से हुई 30,088.59 करोड़ रुपये से लगभग 22 प्रतिशत अधिक है। वहीं, स्लीपर क्लास यात्रियों से होने वाली कमाई 2025-26 में लगभग 6 प्रतिशत बढक़र 16,508.55 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इस श्रेणी से 2024-25 में 15,597.18 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। एसी चेयर कार श्रेणी से 5,626.01 करोड़ रुपये की कमाई का लक्ष्य रख रहा है, जो 2024-25 में 4,280.55 करोड़ था।
भुगतना होगा अधिक किराया
जानकारी के अनुसार रेलवे को यात्री किराए से होने वाली आय में वृद्वि करने के लिए गर्मी के इस समय में विभिन्न जोन व मंडलों द्वारा लगातार समर स्पेशल ट्रेनें चलाने की घोषणा की जा रही है। इन स्पेशल ट्रेनों के नाम पर रेलवे हर माह हजारों यात्रियों से रूटीन की ट्रेनों की तुलना में 20 से 30 फीसदी अधिक किराया वसूलता है। यात्रियों को एसी कोच में सफर के लिए नियमित ट्रेनों की अपेक्षा 300 रुपए तक और स्लीपर में 150 रुपए तक किराया अधिक वसूला जाता है।
अतिरिक्त कोच की जगह स्पेशल ट्रेनें
कुछ साल पहले तक रेलवे यात्री ट्रेनों में भीड़-भाड़ अधिक होने पर खास-तौर पर समर सीजन में जनरल से लेकर स्लीपर श्रेणी के अतिरिक्त कोच लगाए जाते थे। जिन में कई बार 3 से 5 कोच को बढ़ाए जाते थे। लेकिन अब रेलवे ने इन अतिरिक्त कोचों को लगाने की जगह सिर्फ स्पेशल ट्रेनों का संचालित करने की रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है। इस संबंध में रेलवे के एक वरिष्ठ अफसर का कहना हे कि रेलवे बोर्ड की गाइडलाइन के हिसाब से पमरे जोन से समर स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। जिन ट्रेनों में अतिरिक्त कोच लगाने की आवश्यकता होगी। उनमें अतिरिक्त कोच भी लगाए जाएंगे।