
- संगठन विस्तार के बाद अब निगम-मंडलों की बारी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश भाजपा में संगठनात्मक फेरबदल के बाद अब राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर हलचल तेज हो गई है। नई प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के साथ ही वे नेता, जो सूची में शामिल नहीं हो सके, अब निगम-मंडल और आयोगों में पद पाने की उम्मीद लगाए हुए हैं। संगठन में संतुलन साधने के बाद अब पार्टी का ध्यान इन नियुक्तियों पर केंद्रित हो गया है। सरकार और संगठन से मिली जानकारी के अनुसार आयोग और निगम-मंडलों में इस बार युवाओं व नए चेहरों को मौका मिलेगा। वहीं प्रदेश में भाजपा ने कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाने की योजना बनाई है। इसके तहत दीनदयाल अंत्योदय समितियों का पुनर्गठन भी किया जाएगा, जो प्रशासनिक अधिकार और सरकारी योजनाओं की निगरानी का काम करेंगी। कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देने के साथ-साथ उन्हें यात्रा भत्ता और दैनिक भत्ते भी दिए जाएंगे। पहले चरण में गांव से भोपाल तक समितियों का गठन किया जाएगा। इन्हें मध्य प्रदेश (लोक अभिकरणों के माध्यम से) दीनदयाल अंत्योदय कार्यक्रम का क्रियान्वयन अधिनियम 1991 और 20 सूत्रीय कार्यक्रम एवं क्रियान्वयन कमेटी के तहत अधिकार संपन्न बनाया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व दिसंबर में बिहार चुनाव संपन्न होने के बाद राजनीतिक नियुक्तियों पर विचार करेगा। माना जा रहा है कि ऐसे नेताओं को निगम-मंडलों में स्थान दिया जाएगा, जो लंबे समय से संगठन में सक्रिय हैं और जिन्हें इस बार कार्यकारिणी में जगह नहीं मिल पाई है। प्रदेश कार्यकारिणी में कई पुराने और नए चेहरों को शामिल किया गया है। हालांकि, कुछ वरिष्ठ नेताओं को प्रतीक्षा सूची में रखा गया है ताकि उन्हें आगे चलकर अन्य जिम्मेदारियों से जोड़ा जा सके। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, संगठन ने यह सुनिश्चित किया है कि अनुभव और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व दोनों का समन्वय बना रहे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठन में शामिल नहीं किए गए कई सक्रिय नेताओं के नामों को निगम-मंडलों में नियुक्त किया जा सकता है। इनमें कई वरिष्ठ नेता हैं जो लंबे समय से पार्टी और सरकार में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इन पदों को लेकर आंतरिक मंथन शुरू हो गया है, जबकि अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से होगा। सरकारी निकायों में भी नियुक्तियां लंबे समय से लंबित हैं। अब जब संगठन का ढांचा लगभग तैयार हो चुका है, तो उम्मीद है कि नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरुआत में राजनीतिक नियुक्तियों की पहली सूची जारी की जा सकती है। भाजपा संगठन अब 2028 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल बनाने पर काम कर रहा है। पार्टी का उद्देश्य अनुभवी नेताओं को उचित स्थान देकर संगठनात्मक मजबूती बढ़ाना है।
60 फीसदी नए चेहरों को दायित्व
भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार विधानसभा चुनाव मतदान के बाद कभी भी राजनीतिक नियुक्तियों की पहली लिस्ट जारी हो सकती है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक पहली लिस्ट में 15 से 20 नाम हो सकते हैं। प्रदेश कार्यकारिणी की तरह ही निगम मंडल और आयोग में भी 50 से 60 फीसदी नए चेहरों और जमीनी युवा कार्यकर्ताओं को दायित्व सौंपे जाने की तैयारी है। गौरतलब है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल अगले विधानसभा चुनाव को देखते हुए अपनी नई टीम बना रहे हैं। जमीनी कार्यकर्ताओं को मजबूत किए जाने के मॉडल पर भाजपा काम कर रही है। जिला कार्यकारिणी का गठन किया जा रहा है। ज्यादातर जिलों की कार्यकारिणी घोषित हो चुकी हैं। वहीं केंद्रीय नेतृत्व की मंजरी के बाद प्रदेश कार्यकारिणी का गठन भी हो चुका है। अब निगम मंडल, आयोग और बोर्ड और प्राधिकरणों में नियुक्तियां होना है। निगम मंडल, आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित अन्य पद पिछले दो साल से खाली पड़े हैं। इससे इनका काम-काज भी प्रभावित हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले 45 निगम-मंडलों और बोर्डों में की गई पिछली नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था। इसके बाद से इन संस्थाओं में किसी की भी नियुक्ति नहीं हुई थी। इन पदों पर नियुक्तियों कर संगठन विधानसभा चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं को साधना चाहता है।
राजनीतिक नियुक्तियों के लिए सक्रिय हुए नेता
निगम मंडल और आयोगों में स्थान पाने के लिए कई नेता भोपाल में सक्रिय हो गए हैं। खास तौर पर वे नेता, जो विधानसभा या लोकसभा चुनाव में टिकट से वंचित रह गए थे या जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं, खुद को इन पदों के लिए उचित दावेदार के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही संगठन में लंबे समय से सक्रिय युवा कार्यकर्ताओं को भी बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। वहीं कई वरिष्ठ नेता भी दावेदार बताए जा रहे हैं। विजयपुर से छठी बार विधायक रामनिवास रावत लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। वे वन मंत्री रहते हुए उप चुनाव हार गए थे। इन्हें भी निगम मंडल में स्थान मिल सकता है। सिंधिया समर्थक इमरती देवी कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे से चुनाव हार गईं थी, वही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना को भी निगम मंडल में जगह दी जा सकती है। इसके अलावा पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके और चुनाव में टिकट कटने वाले कई नेताओं को भी आयोग और निगम मंडलों में एडजस्ट किया जा सकता है। इनमें केपी यादव, उमाशंकर गुप्ता, कमल पटेल, अरविंद भदौरिया, अंचल सोनकर, यशपाल सिसोदिया, दिलीप शेखावत सहित अन्य नेताओं को भी मौका मिल सकता है। वही इस बार जिलाध्यक्ष पद से मुक्त किए गए नेताओं के नाम भी विचार में है।
