हजारों करोड़ के स्टाम्प की लुगदी से बनाया जाएगा कागज

  • संभागीय मुख्यालयों पर इन्हें नष्ट करने की होगी कार्रवाई

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में संम्पत्ति के पंजीयन से लेकर किराएनामे और शपथ पत्र के उपयोग में आने वाले हजारों करोड़ के स्टाम्प पेपरों को अब नष्ट कर लुगदी बनाई जाएगी और फिर से उसका कागज बनाया जाएगा।
दरअसल पहले इनका पेपर मुद्रा के रुप में उपयोग होता था , लेकिन प्रदेश में ई-स्टाम्प प्रक्रिया में आने से यह अनुपयोगी हो चुके हैं। यह बात अलग है कि अगर अफसर व सरकार चाहती तो इनका कुछ दिनों तक उपयोग कर सकती थी, जिसकी वजह से उन्हें नष्ट करने पर आने वाले खर्च को बचाया जा सकता था। दरअसल यह वे स्टाम्प हैं जो वर्ष 2015 में ई-स्टांपिंग व्यवस्था शुरू होने के बाद तमाम ट्रेजरियों में रखे हुए हैं। इन स्टाम्पों की कीमत करीब छह हजार करोड़ रुपए बताई जा रही है। अब इन्हें सात साल बाद नष्ट करने की तैयारी की जा रही है। इनको नष्ट करने के लिए उन्हें बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों में किया जाएगा, जिससे की उनका दुरुपयोग किसी भी तरह से न हो सके। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाएगी। अभी सर्वाधिक स्टाम्प उज्जैन में रखे हुए हैं, जिनकी कीमत करीब 13 सौ करोड़ है जबकि इस मामले में दूसरे नंबर पर इंदौर है। वहां रखे स्टाम्प की कीमत करीब 1100 करोड़ रुपये है। इन्हें नष्ट करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है , जिसमें प्रशासन, पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग और जिला कोषालय के अधिकारी शामिल हैं। प्रदेश में जहां पर भी स्टाम्प रखे हुए हैं, उन सभी को नष्ट किया जाना है। इसकी वजह से पूरे प्रदेश में इन्हें नष्ट करने की प्रक्रिया एक साथ की जाएगी। इसमें इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और रीवा आदि संभा शामिल हैं। यह काम ठेकेदारों के माध्यम से कराया जाएगा। ठेकेदार मशीन से  प्रशासनिक समिति की निगरानी में इन स्टाम्प पेपर को नष्ट करने का काम करेंगे। ठकेदार ही इन इन कागज के टुकड़ों को अपने साथ ले जाकर उन्हें रिसाइकल कर कागज बनाएगें।
इन कीमत के स्टाम्प पेपर किए जाएंगे नष्ट
पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में रखे स्टाम्प पेपर 500, एक हजार, पांच हजार, 10 हजार, 15 हजार, 20 हजार और 25 हजार रुपये कीमत तक के हैं। इंदौर और उज्जैन में स्टाम्प पेपर का संभागीय डिपो है। यहां से संभाग के सभी जिलों को स्टाम्प पेपर की आपूर्ति होती रही है। वर्ष 2015 में ई-स्टॉपिंग व्यवस्था शुरू होने के बाद इन स्टाम्प पेपर का उपयोग बंद हो चुका है। इस कारण शासकीय कोषालयों के लिए अपने खजाने में इन स्टाम्प पेपरों को संभालना मुश्किल हो रहा है। जबसे ई-स्टांपिंग शुरू हुई है, सौ रुपये से अधिक के स्टाम्प पेपर का कोई उपयोग नहीं रह गया है। ट्रेजरी कोषालय में यह जगह घेरे हुए हैं। आयुक्त कोष एवं लेखा की ओर से भी हमें स्टाम्प पेपर हटाने के लिए कहा गया था। पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग की ओर से उनको एनओसी दे दी गई है कि वे इन स्टाम्प पेपर को प्रक्रिया के तहत नष्ट कर सकते हैं।

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