
- आजीविका मिशन में गड़बड़ी का मामला
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। टेक होम राशन घोटाले में कांग्रेस के पूर्व विधायक पारस सकलेचा की शिकायत पर लोकायुक्त ने प्राथमिकी दर्ज कर पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की भूमिका की जांच शुरू कर दी है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की रिपोर्ट में मप्र में साल 2018-19 से 2021-22 के बीच 858 करोड़ का टेक होम राशन घोटाला सामने आया था। इस मामले में विधायक ने पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और आजीविका मिशन के पूर्व सीईओ ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ शिकायत की थी। इस घोटाले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कागजों पर ही पोषण आहार बना और बांटा गया।
गौरतलब है कि टेक होम राशन (टीएचआर) कार्यक्रम 6 से 36 महीने के बच्चों और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए घर पर उपयोग के लिए फोर्टिफाइड राशन प्रदान करता है। पोषण आहार मामले में सीएजी ने 8 जिलों की जांच में ही 858 करोड़ से ज्यादा का घोटाला चार सालों के दौरान पाया है। यदि यह जांच प्रदेश स्तर पर कराई जाए, तो यह घोटाला कई गुना बड़ा निकलकर आएगा। क्योंकि कैग ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। कैग की रिपोर्ट कहती है कि 858 करोड़ रुपए का टीएचआर (टेक होम राशन) काल्पनिक रूप से बन गया। इसे बनाने में जितना कच्चा माल लगना चाहिए या बिजली की खपत होनी थी, वो नहीं हुई। इतना ही नहीं, पोषाहार का वितरण जितने लोगों के बीच होना दिखाया गया है, उतने लोग ही 8 जिलों में नहीं मिले। लोकायुक्त अब इसकी जांच करेगा। पूर्व विधायक पारस सकलेचा की शिकायत पर लोकायुक्त ने इसे पंजीबद्ध किया है।
कैग रिपोर्ट में बड़ी अनियमितता के संकेत
टेक होम राशन को लेकर जिस कैग रिपोर्ट की गड़बड़ी का हवाला दिया गया है, वह रिपोर्ट मार्च 2025 में विधानसभा में पेश हुई। रिपोर्ट में बड़ी अनियमितता की ओर इशारा किया है। कैग ने मप्र के 8 जिलों में टेक होम राशन (2018 से 2021 तक) की जांच की है। जिन जिलों में जांच की गई, उनमें धार, रीवा, झाबुआ, सागर, छिंदवाड़ा, सतना, भोपाल और शिवपुरी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र के बार-बार याद दिलाने के बाद भी राज्य के विभाग ने न सर्वे कराया, न ही टीएचआर की खरीद व वितरण की पड़ताल की। यह सब दुर्भावना के इरादे से किया गया। इतना ही नहीं, अप्रैल 2018 में प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) के अनुसार 36.08 लाख रजिस्टर्ड लाभार्थी थे। मप्र के महिला बाल विकास आयुक्त ने 5.5 लाख लाभार्थियों के लिए 122.99 करोड़ के 20291.585 टन पोषाहार की आपूर्ति का आदेश आजीविका मिशन को जारी किया। यहां मुद्दा यह है कि जब 36.08 लाख पंजीकृत लाभार्थी हैं तो आयुक्त ने केवल 5.5 लाख लाभार्थियों की गणना किस आधार पर की।
लोकायुक्त ने शुरू की जांच
अब पूर्व विधायक की शिकायत के बाद लोकायुक्त ने महिला एवं बाल विकास विभाग, आजीविका मिशन और गड़बडी से जुड़े दूसरे विभागों से जानकारी मांगी और इसमें गंभीरता दिखाई देने पर इसकी प्राथमिकी दर्ज कर ली है। हालांकि इस मामले को लेकर सीएजी ने कड़ी आपत्ति जताई थी। सीएजी की रिपोर्ट पर राज्य शासन ने अपने जवाब में कहा था कि इस गड़बड़ी को लेकर 73 अधिकारियों के खिलाफ शो कॉज नोटिस जारी किया गया है। 36 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है, 9 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। तीन अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं, इसलिए इन पर कार्रवाई के लिए शासन को लिखा गया है।
डेटा के घोर हेरफेर
कैग ने स्कूल शिक्षा विभाग के डेटा के साथ उपरोक्त डेटा की क्रॉस-चेकिंग की और पाया है कि शिक्षा विभाग के अनुसार केवल 0.45 लाख पंजीकृत लाभार्थी थे। कैग ने नोट किया कि अगस्त 2018 में आयुक्त डेटा के घोर हेरफेर से अवगत थे। डेटा की प्रामाणिकता और लाभार्थियों की वास्तविक संख्या का आंकलन किए बिना फर्मों को टीएचआर के वितरण के लिए आपूर्ति आदेश दे दिए गए। कैग ने अपनी जांच-पड़ताल में 8 बड़ी-बड़ी गड़बड़ी पकड़ी है। कैग ने पाया कि 2018-21 के दौरान 6 संयंत्रों ने 534 दिनों तक क्षमता से ज्यादा टीएचआर उत्पादन दिखाया, जबकि 114 दिनों में बिजली उपयोग जरूरत से कम था। रिपोर्ट के मुताबिक, 2018-21 के बीच बाड़ी, रीवा, धार, मंडला, सागर व शिवपुरी संयंत्रों ने 4.95 करोड़ के 822 टन टीएचआर की आपूर्ति की। बिना स्टॉक के 278 चालानों से 178 परियोजनाओं को टीएचआर भेजा। कैग ने खुलासा किया कि 2.96 करोड़ का पोषाहार ऐसे ट्रकों से भेजा गया, जो अस्तित्व में ही नहीं थे। चालानों में दर्ज वाहन नंबर बाइक, कार, ऑटो आदि के निकले, कई ट्रक परिवहन विभाग की वेबसाइट पर दर्ज भी नहीं थे। परियोजना गोदामों में 97,656 टन टीएचआर दर्ज किया गया। आंगनवाड़ी केंद्रों तक सिर्फ 86,377 टन ही पहुंचाया गया। देवास, होशंगाबाद, मंडला और सागर संयंत्रों के टीएचआर में प्रोटीन व सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी मिली, फिर भी सरकार ने कार्रवाई नहीं की और कमजोर गुणवत्ता का पोषाहार बांटा। संचालनालय ने 236.82 करोड़ के 13 आदेशों से 38,304 टन पोषाहार मंगाया, पर कैग ने सभी टीएचआर को घटिया पाया। केंद्र के निर्देशों के विपरीत गुणवत्ता होने पर भी न आपूर्ति रोकी गई, न कंपनी ब्लैकलिस्ट हुई और न ही अफसरों पर कार्रवाई हुई।साल 2018-2021 के बीच अफसरों ने कोई निरीक्षण नहीं किया, जिससे गोदामों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर अनियमितताएं और डेटा हेराफेरी हुई। सागर-शिवपुरी में वितरित बताए गए टीएचआर पैकेट स्टॉक में ही मिले, जबकि सतना के आंगनबाड़ी केंद्रों में पैकेट कीड़ों से संक्रमित और भोपाल में फटे हुए पाए गए। महिला स्व सहायता समूहों को संयंत्रों के संचालन का जिम्मा दिया, पर प्रबंधकीय पद नहीं दिए गए।