
भोपाल/हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। उपचुनाव के बाद अब प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की तैयारी पूरी कर ली गई है। माना जा रहा है कि यह चुनाव अगले माह के अंत तक करा लिए जाएंगे। इसके बाद स्थानीय निकायों के चुनाव भी कराने की कवायद की जा रही है। हालांकि निकाय चुनाव में पेंच फंसा हुआ है, जिसकी वजह से अभी इसके लिए इंतजार करना होगा। उधर, राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव की अपने स्तर पर पूरी तरह से तैयारी कर चुका है। इसके लिए उसे राज्य सरकार की हरी झंडी मिलने का इंतजार था , जो उसके मिल चुकी है।
बीते रोज इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी चर्चा हो चुकी है। दरअसल प्रदेश में बीते पौने दो साल से इन चुनावों का इंतजार किया जा रहा है। नियमानुसार कार्यकाल पूरा होने के छह माह के अंदर चुनाव कराने का प्रावधान है, लेकिन कोरोना की वजह से प्रदेश में पंचायतों और अधिकतर निकायों का कार्यकाल पूरा हुए पौने दो साल हो जाने के बाद भी अब तक चुनाव नहीं कराए जा सके हैं। बीते रोज हुई बैठक में बताया गया कि अगर प्रदेश में जल्द ही पंचायत चुनाव नहीं कराए गए तो केन्द्र सरकार से ग्रामीण विकास की विभिन्न के लिए मिलने वाली ग्रांट बंद होने का संकट खड़ा हो जाएगा।
इसकी वजह से प्रदेश में पंचायत चुनाव जल्द कराने होगें। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री ने विभागीय मंत्री सिसोदिया को इन चुनाव की तैयारी करने के निर्देश दे दिए हैं। उधर, मुख्यमंत्री ने मंत्री भूपेंद्र सिंह से नगरीय निकाय चुनाव के बारे में जानकारी ली और चुनाव जल्द कराने की तैयारियां पूरी करने को कहा।
अब तक अटका हुआ है जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण
मप्र राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी तरफ से पंचायत चुनाव कराने की तैयारी पूरी कर रखी है। यही नहीं आयोग द्वारा तैयारियों को लेकर कलेक्टरों से भी बैठक की जा चुकी है। बताया जा रहा है कि इन चुनावों को कराने में अभी सबसे बड़ी दिक्कत जिला पंचायत अध्यक्ष के पद का आरक्षण न होने का रोड़ा बना हुआ है। इस आरक्षण की प्रक्रिया को राज्य शासन को पूररा करना है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में आयोग शासन से पूरी जानकारी मांग चुका है। इस प्रक्रिया के पालन में शासन की लापरवाही बनी हुई है। अब मुख्यमंत्री द्वारा इसके लिए हरी झंडी मिलने के बाद माना जा रहा है कि अब इस मामले में राज्य शासन सक्रिय हो जाएगा। फिलहाल प्रदेश में पंचायत चुनाव तीन चरणों में कराए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पंचायतों की संख्या 23,912 है।
निकाय चुनाव का मामला उलझा
प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव में देरी होना तय है। इसकी वजह है यह चुनाव का मामला कानूनी प्रक्रिया में उलझ हुआ है। नगरीय निकाय चुनावों के लिए मेयर व अध्यक्ष के आरक्षण के मामले में हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने स्टे दे रखा है। इसको लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जा चुकी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का फैसला किया हुआ है। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा जुलाई में मप्र राज्य निर्वाचन आयोग को महापौर नगर पालिका व नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के निर्देश दिए थे। इसके तहत नगर निगमों में में महापौर और नगर पालिका व नगर परिषद में अध्यक्ष का निर्वाचन पार्षद करेगें। गौरतलब है कि प्रदेश में कुल 407 नगरीय निकाय हैं। इनमें से 347 निकायों में चुनाव कराया जाना है।
मंत्री नहीं हैं अभी चुनाव के पक्ष में
बताया जाता है कि प्रदेश के मंत्री अभी इन चुनावों के पक्ष में नही हैं। इसकी मंशा मंत्रियों द्वारा बैठक के दौरान भी जाहिर की जा चुकी है। इसके अलावा मंत्रियों द्वारा पंचायतों और निकायों के वार्डों परिसीमन नए सिरे से कराने का भी सुझाव दिया गया।