पंचायत चुनाव टलेगा या होगा, आज साफ होगी तस्वीर

पंचायत चुनाव

-याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, शशांक शेखर पैरवी करेंगे

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा कर दी है। चुनाव का बिगुल बजते ही राजनीतिक पार्टियों के साथ ही नेता सक्रिय हो गए हैं। लेकिन पंचायत चुनाव पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। चुनाव टलेंगे या होंगे, आज इसकी तस्वीर साफ हो सकती है। क्योंकि पंचायत चुनाव के खिलाफ हाईकोर्ट में दर्ज दो याचिकाओं पर आज सुनवाई होने वाली है। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने 2014 के आरक्षण के हिसाब से ही पंचायत चुनाव करने की घोषणा की है। इसके साथ ही 2019 में हुए आरक्षण को निरस्त कर दिया गया है। इसको लेकर कुछ लोग होईकोर्ट चले गए हैं।  इन पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ की अध्यक्षता वाली बेंच आज सुनवाई करेगी। इसके बाद ही चुनाव का रास्ता साफ हो सकेगा। वहीं 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण और  शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों के मामले में भी सरकार अदालत में उलझी हुई है।

27%ओबीसी आरक्षण मामले में सुनवाई बढ़ी
वहीं प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू किए जान से संबंधित याचिकाओं पर प्रशासनिक व्यवस्थाओं के कारण सुनवाई टल गयी। संबंधित याचिकाओं पर इस सप्ताह किसी भी दिन सुनवाई संभावित है। अंतिम सुनवाई के लिए संबंधित याचिकाएं सोमवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ व जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष सूचीबद्ध थी।
हाईकोर्ट की प्रशासनिक व्यवस्था के तहत पहले मोशन हियरिंग की याचिकाओं पर सुनवाई होती है। मोशन हियरिंग के बाद फाइनल हियरिंग के लिए  निर्धारित याचिकाओं पर सुनवाई की जाती है। सोमवार को मोशन हियरिंग की सुनवाई के दौरान ही न्यायालय की कार्य अवधि का समय पूर्ण हो गया। जिसके कारण ओबीसी आरक्षण संबंधित सभी याचिकाओं को रोजाना फाइनल हियरिंग की लिस्ट में प्रस्तुत किया जायेगा। इस सप्ताह किसी भी दिन उक्त याचिकाओं पर सुनवाई हो सकती है। उधर शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों में आरक्षण का स्पष्ट  प्रावधान होने के बावजूद भी उसका पालन न होने के मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने सरकार जवाब के लिए अंतिम अवसर दिया है। गौरतलब है कि ओबीसी, एससी-एसटी में एवं महिलाओं को आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर नियुक्तियां सुनिश्चित करने के लिए ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा मई 2020 में उक्त याचिका दायर की गई थी। जिसमें शासन ने जवाब दाखिल नहीं किया।

रोटेशन व्यवस्था का प्रावधान
जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट में भोपाल के मनमोहन नायर तथा गाडरवारा निवासी संदीप पटेल की ओर से याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें कहा गया है राज्य सरकार ने पूर्व की तरह आरक्षण लागू कर चुनाव कराने के संबंध में अध्यादेश पारित किया है। सरकार का यह अध्यादेश कांग्रेस शासन में तय आरक्षण को निरस्त कर लागू किया गया है। प्रदेश सरकार का अध्यादेश पंचायत चुनाव एक्ट का उल्लंघन करता है। पंचायत एक्ट में रोटेशन व्यवस्था का प्रावधान है। पूर्व की तरह आरक्षण करना पंचायत एक्ट की रोटेशन व्यवस्था के खिलाफ है। 2018 में निवाड़ी जिला का गठन किया गया है। बिना सीमांकन जिले में पंचायत चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, शशांक शेखर पैरवी करेंगे।

अध्यक्ष पद के आरक्षण मामले में सुनवाई 10 को
उधर सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार द्वारा नगरीय निकाय के अध्यक्ष पद के आरक्षण के स्टे को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। राज्य शासन ने एसएलपी में तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 243 टी के क्लाज 4 में रोटेशन की व्यवस्था नहीं की गई है। याचिकाकर्ताओं ने गलत तथ्य देकर हाईकोर्ट से स्थगन प्राप्त किया है। मामले में 10 दिसंबर  को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा पैरवी करेंगे। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में ननि महापौर, नपा अध्यक्ष व नगर पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण को चुनौती देने के लिए जनहित याचिकाएं दायर की गई थी। युगलपीठ में इनको एक साथ सुना जा रहा है।

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