बिहार के चारा घोटाला की तर्ज पर हुआ जबलपुर में धान घोटाला

  • कार, डंपर, बस और टेंपो के फर्जी नंबरों से दिखाया धान का परिवहन

गौरव चौहान
मप्र के जबलपुर में बिहार के चारा घोटाले की तरह धान घोटाला हुआ है, जहां धान मिलिंग और परिवहन के नाम पर करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया गया। घोटालेबाजों ने परिवहन दस्तावेजों में भारी गड़बड़ी की। धान को ट्रकों के बजाय कार, बस, ट्रैक्टर और पिकअप जैसी गाडिय़ों में परिवहन होना दिखाया गया। इतना ही नहीं, कुछ वाहन तमिलनाडु और महाराष्ट्र में चल रहे थे, लेकिन कागजों में उन्हें धान ढोते हुए जबलपुर से बाहर जाते हुए दर्शाया गया। धान मिलर्स ने 14 हजार टन धान के उठाव के लिए कुल 614 ट्रिप दिखाए, लेकिन टोल नाकों पर जांच करने पर इनमें से 571 ट्रिप का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। यहां तक कि एक ही ट्रक को एक दिन में तीन-तीन बार जबलपुर से उज्जैन जाते हुए दिखाया गया, जो व्यावहारिक रूप से असंभव है।
47 करोड़ के धान घोटाले में अधिकारी कर्मचारी सहित 17 राइस मिलर्स सहित कुल 74 लोगों के खिलाफ 12 थानों में एफआईआर दर्ज कराई गई है। जिला प्रशासन ने कलेक्टर दीपक सक्सेना के नेतृत्व में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। धान की खरीदी से लेकर मिलिंग में काम कर रहे संगठित गिरोह का दुस्साहस ऐसा था कि कार और बस में भी धान की ढुलाई दिखा दी। दरअसल, जिन चालान में जिन वाहनों के नम्बर डाले गए थे वह प्राइवेट और यात्री वाहन निकले।
प्रशासन की जांच में 55 वाहनों के फर्जी नंबर डाले जाने का खुलासा हुआ है। इसी प्रकार जीएसटी से ई वे बिल के जरिए जांच कराई तो यह खुलासा भी हुआ कि मिलर्स के 15 वाहनों में धान का चालान कटा लेकिन वे उसी तारीख में प्रदेश के दूसरे शहरों में स्क्रैप, सोयाबीन, आर्टिकल ऑफ स्टोन, मिनरल, केमिकल, मार्बल और लकड़ी की ढुलाई कर रहे थे। एक मिलर ने तो ट्रिप के नाम पर हद कर दी, उसने एक वाहन से एक दिन में उज्जैन के चार ट्रिप बता दिए। इस फर्जीवाड़े के खुलासे में दो महीने के समय लगा, लेकिन इस दौरान जांच दल कई जगहों पर गया। आरटीओ से लेकर जीएसटी के अधिकारियों से संपर्क कर वाहनों का पूरा ब्यौरा एकत्रित किया।
2510 पन्नों की जांच रिपोर्ट तैयार
17 राइस मिलर्स ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया। उन्होंने गोदामों से धान की खरीददारी किए बिना ही फर्जी एंट्री कराई। स्थानीय दलालों के माध्यम से सरकार को चूना लगाया गया। इस फर्जीवाड़े में मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन के जिला प्रबंधक सहित 13 अधिकारी और 44 सोसाइटी व उपार्जन केंद्र के कर्मचारी शामिल थे। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने 2510 पन्नों की विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में पाया गया कि 307 ऐसे वाहन नंबर इस्तेमाल किए गए जो असल में कार और बस के थे। यानी, कागजों में दिखाई गई गाड़ियां पूरी तरह से फर्जी है।उन्होंने सरकारी खजाने को जमकर चपत लगाई। ठेकेदारों ने कार से लेकर बस, ट्रैक्टर और पिकअप गाडिय़ों में करोड़ों की धान का परिवहन दिखाकर सरकार को चूना लगाया। इसके अलावा तमिलनाडु और महाराष्ट्र में चल रही गाडिय़ों को भी धान के परिवहन में इस्तेमाल करना दिखाने के साथ-साथ जिन गाडिय़ों  की क्षमता 100 क्विंटल तक की है उनमें 400 क्विंटल तक धान का परिवहन बताकर करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया। हैरानी की बात तो यह है कि घोटालेबाज ठेकेदारों ने सरकारी अफसरों और कर्मचारियों से सांठगांठ कर एक ही गाड़ी को एक ही दिन में जबलपुर से उज्जैन तक की तीन-चार ट्रिप दिखाई हैं। जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना की अगुवाई में बनी टीम ने करीब ढाई हजार पन्नों की जांच रिपोर्ट तैयार की है। जबलपुर से उज्जैन, मनेरी मंडला, विदिशा, राजगढ़, ग्वालियर के मिलर्स के 307 ट्रिप को फर्जी पाया है। इनमें 15 ऐसे हैं कि जो कि निर्धारित रूट से अलग थे। इनमें दूसरी चीजों की ढुलाई चल रही थी। इन ट्रिप को मिलर्स ने धान की मिलिंग के नाम पर बिल से घटाने का प्रयास किया लेकिन सही समय पर इसका पर्दाफाश हो गया।
७ गिरफ्तार, फरार ६ आरोपियों पर इनाम घोषित
47 करोड़ के 2 लाख क्विंटल धान मिलिंग व घोटाले में प्रशासन ने जिले के 12 थानों में नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक दिलीप किरार व उसके 13 स्टाफ सहित राइस मिलरों व समिति के 74 कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कराई है।  7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। 67 की तलाश है। उधर, धान घोटाले के पुराने मामले में फरार छह आरोपियों पर एसपी सम्पत उपाधयाय ने बीते रोज  5-5 हजार रुपए के इनाम की घोषणा की है।  बताया गया है कि पनागर थाने में सेवा सहकारी समिति पनागर के केन्द्र प्रभारी चंदन कॉलोनी पनागर निवासी रविशंकर पटेल, भिड़ारीकला निवासी कम्प्यूटर ऑपरेटर विनय पटेल, सर्वेयर कोहना निवासी महेन्द्र पटेल और और गढ़ाकोटा सागर निवासी महेन्द्र पटेल व सेवा सहकारी समिति महाराजपुर की खरीदी केन्द्र प्रभारी मोहिनी पाठक, कंप्यूटर ऑपरेटर विश्वास खरे और सर्वेयर विकास खरे समेत अन्य पर एफआईआर दर्ज की गई थी।

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