- वरिष्ठों की नसीहत बिसरा, बड़बोले हो गए माननीय
- गौरव चौहान

भाजपा देश की सबसे अनुशासित पार्टी मानी जाती है। कम्युनिस्ट पार्टियों की तरह भाजपा में भी अनुशासन बहुत अहम माना जाता है। पार्टी के नेता हमेशा शीर्ष नेतृत्व द्वारा तय किए गए नियमों के हिसाब से आचरण करते हैं और कोई भी नेता ऐसा बयान नहीं देता है, जो पार्टी लाइन से हट कर हो या पार्टी को शर्मिंदा करने वाला हो। लेकिन मप्र में माननीय मर्यादाओं का ताक पर रखकर इस कदर वाचाल हो गए हैं जिससे पार्टी की साख पर दाग लग रहा है। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि करीब एक महीना पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सांसदों और विधायकों को अनुशासन और मर्यादा का पाठ पढ़ाया था, जिसे वे अब भूल गए हैं। गौरतलब है कि भाजपा की पहचान एक अनुशासित कैडर आधारित पार्टी के रूप में रही है। अपने नेताओं के अमर्यादित और विवादित बयानों से पार्टी की छवि को हो रहे नुकसान से परेशान भाजपा ने जून में पचमढ़ी में प्रशिक्षण शिविर लगाया था।
तीन दिन चले प्रशिक्षण शिविर में पार्टी के दिग्गज नेताओं ने मंत्री, सांसद और विधायकों को पार्टी की विचारधारा, अनुशासन, कार्यशैली और जनसंवाद की मयादांओं का पाठ पढ़ाया था। प्रशिक्षण शिविर में वरिष्ठ नेताओं ने मप्र के सांसदों और विधायकों को सीख दी थी की सार्वजनिक जीवन में भाषा संयमित और मर्यादित हो। मीडिया से बातचीत में तथ्यों पर आधारित वक्तव्य दिए जाएं। विपक्षी दलों की आलोचना नीतिगत हो, न कि व्यक्तिगत या अपमानजनक। समाज के सभी वर्गों के प्रति समभाव और समादर की भावना बनी रहे। बार-बार एक ही गलती न की जाए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव समेत संगठन के वरिष्ठ नेताओं ने मंत्री, सांसद व विधायकों को अपने लंबे राजनीतिक अनुभव के आधार पर प्रशिक्षण दिया था, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने महीनेभर के अंदर ही वरिष्ठ नेताओं की इन नसीहतों का बिसरा सा दिया है।
फिर टूटने लगा अनुशासन
पिछले कुछ समय से ऐसा दिख रहा है कि मप्र में पार्टी का अनुशासन फिर से टूट रहा है। नेता मनमाने तरीके से बयान दे रहें और उनके बयानों से पार्टी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है या पार्टी के अंदर खींचतान होने की खबरें बन रही हैं। इस किस्म की घटनाएं भाजपा के मजबूत संगठन वाले राज्य में हो रही हैं। हाल में सीधी सांसद राजेश मिश्रा, विधायक प्रीतम लोधी समेत कुछ नेताओं के बयानों से तो यही लगता है। वहीं पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह के बयान पर भी कांग्रेस हमलावर है। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में मप्र के कुछ भाजपा नेताओं के बयान मीडिया की सुर्खियां बने रहे। पार्टी नेताओं द्वारा राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग और संवेदनशील मुद्दों पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी से भाजपा की छवि पर नकारात्मक असर पड़ा है। इससे विपक्ष को हमले का अवसर मिला है। मई में भारत और पाकिस्तान के बीच बने युद्ध के हालात के दौरान जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए अमर्यादित बयान और डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा के सेना को लेकर दिए गए विवादित बयान से पार्टी और सरकार बुरी तरह से घिर गई थी। उससे पहले पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल के बयान ने भी जमकर तूल पकड़ा था। नेताओं को अनुशासन और मर्यादा का पाठ पढ़ाने के लिए पार्टी ने पचमढ़ी में 14 से 16 जून तक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया था। शिविर में नेताओं के विवादित बयानों पर चिंता जताई गई और नेताओं को संयमित भाषा अपनाने की नसीहत दी गई। शिविर में सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ सभी मंत्री, सांसद और विधायक शामिल हुए थे।
प्रशिक्षण के बाद भीबिगड़े बोल
पचमढ़ी की पाठशाला के बाद पार्टी को उम्मीद थी की सांसद और विधायक अब संयमित होकर बयान देंगे। लेकिन प्रशिक्षण के बाद भी कई नेताओं के बिगड़े बोल पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। सीधी जिले में सडक़ की मांग को लेकर महिला लीला साहू ने वीडियो जारी किया था। लीला ने कहा था कि गांव में सडक़ नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को परेशानी हो रही है। 11 जुलाई को भाजपा सांसद राजेश मिश्रा से इस संबंध में जब मीडिया ने सवाल पूछा, तो उन्होंने कहा था, चिंता की क्या बात है। हमारे पास एंबुलेंस है, अस्पताल है, हर इलाके में आशा कार्यकर्ता हैं। अगर कोई ऐसी बात है. तो आकर अस्पताल में भर्ती हो जाओ। डिलीवरी की एक डेट होती है, उससे पहले उठवा लेंगे। सडक़ हम नहीं बनाते, इंजीनियर बनाता है। वहीं लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने 8 जुलाई को भोपाल में मीडिया से चर्चा में कहा था, अभी ऐसी कोई तकनीक नहीं आई है, जिसके आधार पर कह सकें कि ऐसी सडक़ें बनाएंगे, जिस पर कभी गड्ढा होगा ही नहीं। जब तक सडक़ें रहेगी, तब तक गड्ढे होते रहेंगे। जो कुछ हम कर रहे है, प्रयास वही हो सकते है। वे मीडिया के सडक़ों की खराब हालत और गड्ढ़ों के कारण होने वाली दिक्कतों के सवाल का जवाब दे रहे थे। उधर, उज्जैन में सावन के प्रत्येक सोमवार को स्कूलों में अवकाश के आदेश को लेकर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के बयान पर भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा भडक़ गए थे। नौ जुलाई को उन्होंने कहा था, कांग्रेस केवल आतंकवादियों को बिरयानी खिलाने में व्यस्त रहती है। इसके लोग विदेशी चमचागिरी करते रहते हैं। पता नहीं ये कांग्रेस चीन की है या पाकिस्तान की है। कलेक्टर के पास अधिकार होता है कि वो आवश्यकता अनुसार छुट्टी घोषित कर सकता है।
