इसी माह से शुरू होगा संगठन का कायाकल्प अभियान

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-संगठनात्मक मजबूती के लिए भाजपा उठाएगी बड़े कदम

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा संगठन को मजबूत करने में जुटी हुई है। पार्टी का फोकस है की हर स्तर पर ऐसे नेताओं के हाथ में संगठन की कमान हो जो सक्रिय, निर्वादित और जनाधार वाला हो। ऐसे में पार्टी निष्क्रिय, विवादित छवि वाले जिलाध्यक्षों की कुर्सी छिनने की योजना बना रही है। पार्टी नहीं चाहती है कि ऐसे नेताओं के हाथ में संगठन की कमान रहे जिसके कारण कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव रहे। पार्टी की इस रणनीति से कई जिलों के अध्यक्ष की छुट्टी तय मानी जा रही है। जानकारी के अनुसार पंचायत और नगर निकाय चुनाव के नतीजों के बाद अब प्रदेश भाजपा संगठन जिलों में संगठनात्मक मजबूती के लिए और सख्त होने जा रहा है। इसके लिए प्रदेश संगठन ऐसे जिला अध्यक्षों को हटाने की कार्यवाही करने वाला है जो संगठन के मापदंडों पर खरे नहीं उतरे हैं और उनके विरुद्ध गंभीर शिकायतें मिली हैं। ऐसे जिला अध्यक्षों को हटाने की कार्यवाही अगले माह शुरू हो सकती है। संगठन ने ऐसे मामलों में एक्शन के लिए जिलों से रिपोर्ट मंगाई है जो कार्रवाई का आधार बनेगी।
समन्वय स्थापित करने में नाकाम
भाजपा सूत्रों के अनुसार प्रदेश के कई जिलों के अध्यक्ष पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से समन्वय स्थापित करने में नाकाम रहे हैं। जिला अध्यक्षों के खराब परफार्मेंस के मामले में सबसे बड़ी शिकायत पिछले दो साल में इसी बात को लेकर आई है कि जिला अध्यक्ष पार्टी के सभी नेताओं के साथ समन्वय स्थापित करने में नाकाम रहे हैं। पार्टी के बड़े फैसलों में इन अध्यक्षों ने पूर्व विधायकों, पूर्व पदाधिकारियों की राय नहीं ली और मनमानी फैसले लिए। इसके कारण निकाय चुनाव में हार का सामना भी करना पड़ा। इसके अलावा जिन जिला अध्यक्षों ने नगर निकाय व पंचायत चुनाव में अपनों को चुनाव लड़ाया, जिन्होंने पार्टी में गुटबाजी की स्थिति पैदा की और उसे रोक नहीं पाए वे जिला अध्यक्ष भी हटाए जाएंगे। संगठन ने तय किया है कि जिन जिला अध्यक्षों का इम्पैक्ट पार्टी के फैसलों के मुताबिक नहीं आ रहा है उन्हें भी हटाया जाए और कई ऐसे भी जिला अध्यक्ष हैं, जिनमें राजनीतिक अनुभव की कमी दिखी है और इसका असर कामकाज पर पड़ा है, वे भी हटाए जाएंगे। संगठन की जानकारी में यह बात भी आई है कि कुछ जिला अध्यक्ष चुनावी रंजिश निकालने के लिए चुनाव के बहाने पार्टी के ईमानदार कार्यकर्ताओं को निशाने पर ले रहे हैं और उनके विरुद्ध कार्यवाही के प्रस्ताव भेज रहे हैं। इस मामले को भी संगठन ने गंभीरता से लिया है और ऐसे जिला अध्यक्षों की वर्किंग पर नजर रखी जा रही है।
अच्छी परफॉर्मेंस वाले होंगी रिपीट
संगठन ने यह संकेत भी दिए हैं कि जिनका कार्यकाल पूरा होने वाला है पर काम अच्छा रहा है, उन्हें रिपीट किया जा सकता है। नगर निकाय और पंचायत चुनाव में कई जिला अध्यक्षों के परफार्मेंस पर सवाल उठाए गए हैं। खासतौर पर मालवा निमाड़ और विन्ध्य क्षेत्र के जिले इसमें आगे है। कई जिला अध्यक्षों के विरुद्ध पार्टी के कैंडिडेट का विरोध करने के भी आरोप लगे हैं और इसकी शिकायत प्रदेश संगठन तक पहुंची है। भाजपा संगठन में यह व्यवस्था है कि कोई भी व्यक्ति ही पद पर दो कार्यकाल से अधिक समय तक नहीं रह सकता। इसलिए यह भी तय है कि कई जिलों के जिला अध्यक्ष जो लगातार दो बार से अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, संगठन उन्हें पद से मुक्त कर नई जिम्मेदारी सौंप सकता है।
विधानसभा चुनाव से एक साल पहले होंगे बदलाव
भाजपा के 57 संगठनात्मक जिलों में अधिकांश जिला अध्यक्षों का कार्यकाल नवम्बर 2022 में खत्म हो रहा है। नवम्बर 2019 में संगठनात्मक चुनाव के बाद 33 नए जिला अध्यक्षों की पहली सूची 5 दिसम्बर 2019 को जारी हुई थी। इसके बाद 24 जिला अध्यक्षों की सूची अलग-अलग जारी हुई। जिला अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है जो इसी साल खत्म हो रहा है। पार्टी में केंद्र और राज्य स्तर पर संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया एक साथ चलती है। ऐसे में 2022 का साल संगठनात्मक चुनाव का है। वैसे 2017 में जिला अध्यक्षों का कार्यकाल खत्म होने पर हटाने की बजाय 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कार्यकाल बढ़ा दिया था।

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