
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना महामारी के संकटकाल में स्कूलों पर काफी प्रभाव पड़ा है। वहीं संक्रमण में कमी आने के बाद प्रदेश सरकार के आदेश से कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के छात्रों के लिए स्कूल फिर से खुल गए हैं। यही नहीं अलग-अलग कक्षाओं के छात्र एक दिन के अंतराल पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पहुंच भी रहे हैं। वहीं अब सितंबर से पांचवी से लेकर आठवीं तक की कक्षाएं भी शुरू होने की उम्मीद है। इसी के मद्देनजर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता और नवीनीकरण के लिए प्राइवेट स्कूलों का निरीक्षण कराया जा रहा है। हालांकि विभाग के इस फैसले पर निजी स्कूल संचालकों ने आपत्ति जताई है। दरअसल निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि चूंकि स्कूल अभी पूरी तरह से खुले नहीं है। इस स्थिति में निरीक्षण का कोई औचित्य नहीं है। प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि कोरोना संकट के समय पिछले वर्ष भी सरकार ने बिना निरीक्षण के मान्यता प्रदान की थी। चूंकि कोरोना अभी भी खत्म नहीं हुआ है। इसलिए वर्ष 2022-23 के लिए भी बिना निरीक्षण के ही मान्यता नवीनीकृत की जाना चाहिए। इसके साथ ही प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने अपनी विभिन्न मांगों और समस्याओं को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को ज्ञापन भी सौंपा है।
भरोसा दिलाया पर मांगें पूरी नहीं की
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने प्रायवेट स्कूल संचालकों की हड़ताल के दौरान प्रमुख सचिव ने समस्याओं और मांगों के निराकरण का भरोसा दिया था। जिस पर हड़ताल खत्म कर दी गई थी लेकिन एसोसिएशन का कहना है कि अभी तक एक भी मांग अथवा समस्या का निराकरण नहीं किया गया है। यही नहीं विभाग के प्रमुख सचिव ने चर्चा के दौरान मान्यता शुल्क माफ करने पर विचार करने का भरोसा दिया था लेकिन शुल्क माफ करना तो दूर इसके उलट स्कूलों का निरीक्षण करवाया जा रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राज्य शिक्षा केंद्र अशासकीय स्कूलों के साथ मजाक कर रहा है।
सरकार निजी स्कूलों को एकमुश्त भुगतान कर मदद करे
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के मुताबिक शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले निशुल्क प्रवेशरत बच्चों का भुगतान पिछले कई वर्षों से लंबित है। यही नहीं शाला त्यागी बच्चों का भुगतान भी प्रत्येक जिलों में सालों से लंबित पड़ा है। अशासकीय स्कूल संगठन ने मांग की है कि वर्ष 2018 से 2020 तक तीन साल का भुगतान एकमुश्त किया जाए ताकि निजी स्कूलों को बंद होने से बचाया जा सके। उल्लेखनीय है कि राज्य शासन के आदेश के बाद स्कूल तो खुल गए हैं लेकिन इसके बावजूद भी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं। वहीं शासन-प्रशासन द्वारा मदद किया जाना तो दूर निजी स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति की राशि देने में आनाकानी कर रहा है। ऐसे में अशासकीय विद्यालयों की स्थिति और भी दयनीय हो गई है। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष के मुताबिक वर्ष 2018-19 तक का बकाया तथा इसके बाद वर्ष 19-20 का भुगतान एकमुश्त किया जाए ताकि आर्थिक रूप से जर्जर हो चुके शासकीय शिक्षा के मंदिरों को बचाया जा सके। एसोसिएशन ने विभिन्न मांगों और समस्याओं का निराकरण नहीं होने पर 2 सितंबर से प्रदेशभर के निजी स्कूल बंद करने का भी अल्टीमेटम दिया है।
आरटीई का करोड़ों रुपया है बकाया
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों की फीस की राशि सरकार द्वारा निजी संचालकों को नहीं पहुंच रही है। अकेले भोपाल में ही स्कूल शिक्षा विभाग पर निजी स्कूलों का करीब ग्यारह सौ करोड़ रुपया बकाया है। कई स्कूलों को वर्ष 2015-16 से अभी तक फीस की प्रतिपूर्ति नहीं की गई है। कोरोना काल में संकट से जूझ रहे निजी स्कूलों को वर्ष 18-19 की फीस प्रतिपूर्ति का एक रुपया तक नहीं मिल सका है। हालांकि राज्य शिक्षा केंद्र ने हाल ही में निजी स्कूलों को वर्ष 19-20 की बीस फीसदी प्रतिपूर्ति के आदेश जारी किए हैं।