विवादों में फंसी ऑनलाइन तबादला प्रक्रिया

स्कूल शिक्षा विभाग
  • आधे-अधूरे पोर्टल के कारण अटके शिक्षकों के तबादले

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सरकार ने तबादलों में पारदर्शिता रखने के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू की है। लेकिन यह प्रक्रिया भी अफसरों की भर्राशाही और लापरवाही का शिकार बन गई है। खासकर स्कूल शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग का मामला सूर्खियों में बना हुआ है। दरअसल, प्रदेश में एक महीने के लिए खोले गए ऑनलाइन तबादला की प्रक्रिया में स्कूल शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग की तबादला प्रक्रिया विवादों में आ गई है।खासतौर पर स्कूल शिक्षा विभाग में ऑनलाइन पोर्टल को लेकर अब तक लगभग दस हजार शिकायतें लोक शिक्षण संचालनालय के पास पहुंच चुकीं हैं। पोर्टल में सैकड़ों स्थान ऐसे हैं जहां पद रिक्त होने की जानकारी स्थानीय प्राचार्य द्वारा पूर्व में ही विभाग को भेजी जा चुकी है, लेकिन संचालनालय के अफसरों ने अब तक इसे पोर्टल पर अपडेट नहीं किया है। इसके चलते शिक्षक तबादलों के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।  
पोर्टल में गड़बडिय़ों की शिकायतें
स्कूल शिक्षा विभाग की ऑनलाइन तबादला नीति 4 मई को जारी की गई। पहले 16 मई फिर तिथि बढ़ाकर 21 मई तक आनलाइन आवेदन के लिए डेड लाइन निर्धारित की गई। इस बीच आधे अधूरे पोर्टल के अपडेट न किए जाने से भारी गड़बडिय़ों की शिकायतें राजधानी पहुंच रहीं हैं। सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मई की चिलचिलाती धूप में महिला शिक्षकाएं राजधानी पहुंचकर डीपीआई के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। वे लिखित में आवेदन तो दे रहीं हैं, लेकिन समाधान नहीं किया जा रहा है। डीपीआई अभी तक दो संशोधन आदेश जारी कर चुका है, लेकिन समाधान कुछ नहीं। पोर्टल पर डेटा अपडेट करने में न तो डीपीआई के तकनीकी स्टाफ की रुचि है, न ही जिलों में पदस्थ डीईओ की। मुख्य रूप से जो समस्याएं सामने आई हैं, उनमें बहुत सारे स्कूलों में शिक्षक रिटायर हो जाने से पद रिक्त होने के बावजूद सैकड़ों स्कूलों में पोर्टल पर पद रिक्त नहीं दिखाया जा रहा है, जिससे आवेदन नहीं किए जा पा रहे हैं। प्राचार्य भी चाहते हैं कि उनके यहां शिक्षक आ जाएं और बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब न हो, लेकिन डीपीआई के अफसर नींद में हैं। दूसरी समस्या शिक्षकों की परिवीक्षा अवधी पूरी होने के बावजूद उन्हें उसकी पात्रता न दिए जाने की है, रिकार्ड अपडेट न होने से पोर्टल पर उन्हें अब भी परिवीक्षा अवधि में माना जा रहा है। ऐसे शिक्षकों के लिए सिर्फ सीएम राइज और मॉडल स्कूलों में ही विकल्प दिया जा रहा है, जबकि पूर्व की कमलनाथ और शिवराज सरकार में भी पूरी तरह समानता दी गई थी। तीसरी समस्या अतिशेष शिक्षकों की है, उनका भी डेटा अपडेट नहीं है। इसके अलावा वर्तमान पदस्थी दिनांक, उच्च पद प्रभार, विषय परिवर्तन को  लेकर भी कई तरह की शिकायतें भी शिक्षकों द्वारा लिखित में दी गई हैं। कुछ शिकायतों को लेकर डीपीआई ने एक पत्र भी डीईओ को जारी किया है, लेकिन डीईओ डेटा अपडेट करने में खुद ही अब तक कोई रुचि नहीं लेते रहे हैं। ऐसे में आवेदन के आखिरी दो दिन शेष बचे  होने पर सुधार होने की संभावना नहीं है।
एनएसयूआई ने सीएस से शिकायत की
मप्र में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में चल रही तबादला प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और राजनीतिक संरक्षण का आरोप लगाते हुए भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ( एनएसयूआई) ने मोर्चा खोल दिया है। संगठन ने इस मामले को लेकर मुख्य सचिव अनुराग जैन से शिकायत की है। एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार द्वारा सौंपे गए शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि राज्य शासन द्वारा पारदर्शिता लाने के लिए जिस ई-एचआरएमआईएस ऑनलाइन पोर्टल की शुरूआत की गई थी, उसका घोर उल्लंघन किया जा रहा है। उधर, ऑपरेशन सिंदूर और सोफिया को लेकर विवादित बयानबाजी के चलते वन विभाग के मंत्री विजय शाह सप्ताहभर से गायब हैं। उनके विरोध में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं, मामला सुप्रीम कोर्ट में है। मंत्री के गायब होते ही वन विभाग के तबादलों पर ग्रहण लग चुका है।
राजनीतिक प्रभाव और दलालों  की संलिप्तता
शिकायत पत्र में यह भी कहा गया है कि तबादला प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ गया है। रवि परमार ने आरोप लगाया कि उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल के निवास से जुड़े कुछ लोग तबादलों को प्रभावित कर रहे हैं। साथ ही विभाग के भीतर सक्रिय दलालों के एक गिरोह की भी बात सामने आई है। एनएसयूआई ने यह भी सवाल उठाया है कि जिस डिजिटल और पारदर्शी प्रणाली ई-एचआर एमआईएस को सरकार ने तबादलों में पारदर्शिता के लिए शुरू किया था। उसका खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। यह प्रशासनिक व्यवस्था में भरोसे की कमी और नीतिगत असफलता की ओर इशारा करता है।
स्वास्थ्य विभाग में तबादलों की प्रक्रिया पर उठे सवाल
मप्र में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में चल रही तबादला प्रक्रिया एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने इस मुद्दे को लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन को शिकायत पत्र मेल किया है, जिसमें ई-एचआर एमआईएस पोर्टल की अवहेलना और विभाग में फैले कथित भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार की ओर से दी गई शिकायत में दावा किया गया है कि लोक स्वास्थ्य विभाग में अधिकारियों और एनएचएम के कर्मचारियों द्वारा एक संगठित ‘तबादला सिंडिकेट’ संचालित किया जा रहा है। यह प्रक्रिया न केवल पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है, बल्कि ग्रामीण हेल्थ सर्विसेज को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। परमार का कहना है कि भारी संख्या में मेडिकल ऑफिसर, स्टाफ नर्स और अन्य हेल्थ वर्कर्स को छोटे कस्बों और गांवों से हटाकर शहरों में बड़े अस्पतालों में पदस्थ किया है, जिससे प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की भारी कमी हो गई है। इसका खामियाजा सीधे तौर पर गांवों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों को उठाना पड़ रहा है, जिन्हें इलाज के लिए दूर-दराज भटकना पड़ता है।

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