हर जिले में एक गांव को… किया जाएगा मॉडल के रूप में विकसित

गांव

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पांच साल पहले प्रदेश में बनाए गए राज्य आनंद संस्थान के नाम पर अब तक कोई उपलब्धि भले नहीं हो , लेकिन अब यह विभाग एक बड़ी उपलब्धि हासिल करने की ओर तेजी से कदम बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत संस्थान द्वारा एक ऐसी योजना बनाई जा रही है , जिससे की प्रत्येक जिले के एक गॉव का विकास मॉडल गांव के रुप में हो सके।  इस विकास के माध्यम से विभाग गांव के लोगों में खुशहाली बिखेरकर ग्रामीणों को आनंद की अनुभूति कराने के प्रयास में हैं। इन गांवो को आनंद ग्राम के रूप में जाना जाएगा।  इस  नए फामूर्ले पर राज्य आनंद संस्थान ने काम शुरू कर दिया है। इसके तहत एक साल में 52 जिलों से एक-एक गांव चिन्हित कर उसे मॉडल के रूप में विकसित किए जाने की योजना है। इसके लिए कलेक्टरों और जिला पंचायत सीईओ को किसी एक गांव का चयन करने को कहा जा चुका है। इसके तहत हर गांव के 5 लोगों को ट्रेनिंग के लिए चुना जाएगा। इन्हें आपसी सद्भाव, समाचार , विशेष मेल-मिलाप और आनंदपूर्वक रहन-सहन के टिप्स देकर प्रशिक्षित किया जाएगा , जिससे की वे गांव के ही अन्य लोगों को इसके लिए प्रशिक्षित कर उन्हें लोगों की दिनचर्या में उतारने के लिए प्रेरित कर सकें।  खास बात यह है कि इसके लिए स्वेच्छा से लोग भी आगे आ रहे हैं। ऐसे लोगों में सरपंच, पूर्व सरपंच से लेकर शिक्षक तक शामिल हैं। प्रदेश में इसे भूटान की तर्ज पर शुरू किया जा रहा है। योजना के मूल में ग्रामीणों को एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार करना है। उद्देश्य यही है कि मकान निर्माण, खेती-किसानी, शादी-ब्याह अथवा किसी के घर में कोई भी सुख-दुख का मौका हो उसकी मदद के लिए पूरा गांव तत्पर रहे। इसी भाव को सभी ग्रामीणों में जगाने, विवाद सुलझाने, परिवार एकजुट रखने और नशाखोरी से दूर रहने के लिए प्रेरित करने का काम किया जाएगा। विभाग के आनंदक और रिसोर्स पर्सन भी बाकी ग्रामीणों को  आॅनलाइन प्रशिक्षण देकर अल्प विराम जैसे कार्यक्रमों की अहमियत बताएंगे।
किस जिले में किस गांव का चयन
मॉडल गांव के रुप में विकसित करने के लिए जिन गांवो का चयन कर लिया गया है उनमें नेनोद – इंदौर, जौरासी- ग्वालियर, निपानिया सूखा – भोपाल, अमलेटा रतलाम, मनासा- सीहोर, गौठ-मुरैना, कंदराखेड़ा – जबलपुर, मुंदेड़ी एवं बोरखेड़ी – मंदसौर, डेडिया – उज्जैन, धजरई – टीकमगढ़, खुरी – राजगढ़, पुरवा – रीवा, मेढकी – रायसेन, बागरी विदिशा एवं सामरधा – हरदा ।
किया जा रहा है सकारात्मकता का काम
आनंद संस्थान से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह आनंद ग्राम का फंडा नया नहीं है, यह हमारी पुरानी संस्कृति का हिस्सा रहा है। हम उसे पुर्नजीवित कर रहे हैं। संस्थान का कहना है कि पिछले 5 साल के दौरान कई तरह की गतिविधियां शुरू की गई हैं। इनमें 1 लाख 25 हजार से अधिक लोग अल्प विराम की ट्रेनिंग ले चुके हैं। हर जिले में आनंदम केंद्र, नेकी की दीवार के जरिए समाज के अलग-अलग वर्गों में पॉजिटिविटी फैलाने के कार्यक्रम भी चल रहे हैं। हालांकि हैप्पीनेस इंडेक्स का प्रोजेक्ट अब तक जमीन पर नहीं उतर पाया।

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