खंडवा को लेकर कांग्रेस व भाजपा में मुसीबत, नहीं बन पा रही एक राय

कांग्रेस व भाजपा

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। खंडवा लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए टिकट को लेकर भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों में भारी खींचतान मची हुई है। हालात यह है कि दोनों ही दलों में अब तक की गई तमाम कवायद बेकार साबित हो रही है। हालत यह है कि इस सीट को लेकर दोनों ही दलों को भारी गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में अब तक दोनों ही दलों द्वारा लिए गए फीडबैक में उनके लिए गुटबाजी को जीत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बताया गया है। यही वजह है कि दोनों दलों के आला नेताओं को इस सीट पर प्रत्याशी चयन के पहले बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालत यह है कि दावेदारों द्वारा अपने पक्ष में भोपाल से लेकर दिल्ली तक मुहिम चलाई जा रही है। भाजपा के कुछ दावेदार अब भोपाल छोड़ दिल्ली में अपने संबंधों को लेकर लगातार सक्रिय बने हुए हैं। उन्हें भरोसा है कि दिल्ली से उनके नाम पर मुहर लग सकती है, भले ही प्रदेश संगठन उनके पक्ष में न हो। फिलहाल इस सीट पर दो बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और पांच बार सांसद रहे नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन सिंह के पक्ष में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बने हुए हैं तो वहीं प्रदेश संगठन उनका चयन सहानुभूति के नाम पर करने की जगह हर हाल में ऐसा प्रत्याशी उतारने के पक्ष में है, जिसके जीत की उम्मीद अधिक हो। उधर, भाजपा की ओर से पूर्व प्रचारक और इंदौर महापौर रह चुके कृष्णमुरारी मोघे, पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र और पूर्व मंत्री रह चुके दीपक जोशी और अर्चना चिटनिस पार्टी हाईकमान तक अपने संपर्कों के चलते टिकट की आशा लगाए हुए हैं। इस बीच भाजपा की ओर से दो और नए दावेदारों के नाम सामने आए हैं। इनमें भाजपा ने संसदीय क्षेत्र की आठों विधानसभा सीट के लिए सत्ता व संगठन के नेताओं को प्रभारी बनाकर मैदानी स्तर पर तैनाती कर उन्हें सक्रिय कर दिया है। फिलहाल प्रत्याशी को लेकर अब तक भाजपा की ओर से कोई संकेत नहीं दिए गए हैं। इस क्षेत्र में अब क्षेत्रीय सांसद रहे चौहान के निधन को 5 माह का समय हो चुका है, जिसकी वजह से अब इलाके में पहले की तरह सहानुभूति लहर भी प्रभावी नहीं दिख रही है। खंडवा के पूर्व महापौर सुभाष कोठारी और भाजपा नेता राजेश डोंगर शामिल हैं। वे भी अपनी दावेदारी के लिए भोपाल से लेकर दिल्ली तक दौड़ रहे हैं।    उधर कांग्रेस में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव के अलावा निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा अपनी पत्नी के लिए लगातार दावेदारी कर पार्टी के लिए मुसीबत बने हुए हैं। भाजपा की ही तरह इस सीट पर कांग्रेस में भी टिकट के दावेदारों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। यादव और शेरा की पत्नी के अलावा कांग्रेस की ओर से कई अन्य नेता भी दावेदारी कर रहे हैं।  
इस बीच कांग्रेस के दावेदार पार्टी प्रदेशाध्यक्ष नाथ के दिल्ली में होने की वजह से अब भोपाल छोड़ दिल्ली की परिक्रमा में लगे हुए हैं। दो दिन लगातार अरुण यादव की कमलनाथ से हुई दिल्ली में मुलाकात के बीच उनके घोर विरोधी और टिकट के लिए दावेदारी करने वाली जयश्री सिंह के पति निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिह शेरा भी उनके अलावा कई अन्य नेताओं से मिल चुके हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि यादव को कमलनाथ ने ही दिल्ली बुलाया था। इस बीच यादव द्वारा दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और सांसद विवेक तन्खा के अलावा कई अन्य नेताओं से भी मुलाकात कर अपनी दावेदारी पुख्ता करने के प्रयास किए गए हैं। दरअसल यादव की दावेदारी में जयश्री के अलावा विधायक रवि जोशी की दावेदारी भी आड़े आ रही है। जोशी नाथ खेमे से ही आते हैं।  इस सीट पर कांग्रेस की ओर से एक और दावेदार ओम बिड़ला का भी नाम सामने आ रहा है। दरअसल खंडवा लोकसभा सीट भाजपा के तत्कालीन सांसद नंद कुमार सिंह चौहान की मृत्यु की वजह से रिक्त हुई है। यह सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है। इस सीट से चुनाव लड़ने की दावेदारी जताने वाले अरुण यादव पूर्व में यहां से एक चुनाव हार भी चुके हैं। इस सीट पर पूर्व में यादव परिवार का अत्याधिक प्रभाव रह चुका है, लेकिन समय के साथ यह उनके प्रभाव में भी कमी आयी है। यही वजह है कि इस संसदीय क्षेत्र के कई कांग्रेस नेता उनकी दावेदारी के विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं। गौरतलब है कि इस सीट के रिक्त होने के बाद से ही अरुण यादव और उनके विधायक छोटे भाई सचिन संसदीय क्षेत्र में लगातार अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं, उससे तय माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें ही चुनावी मैदान में उतारने जा रही है, लेकिन कमलनाथ द्वारा कुछ दिनों पहले अरुण यादव की दावेदारी को लेकर दिए गए बयान के बाद से अचानक दावेदारों की संख्या बढ़ गई है। दरअसल कमलनाथ और अरुण यादव के बीच पार्टी में अंदरुनी अदावत चलती है।
8 सीटों का गणित
संसदीय क्षेत्र के 8 में से 5 सीटें भाजपा के पास है दो पर कांग्रेस और एक सीट पर निर्दलीय विधायक है। बागली, खंडवा और पंधाना भाजपा के पास पहले से है। मार्च 2020 में हुई सियासी उथल-पुथल के दौरान मांधाता-नेपानगर विधायक नारायण पटेल व सुमित्रा देवी का कास्डेकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। नवंबर 20 में हुए उपचुनाव के दौरान यह दोनों भाजपा के टिकट पर भी चुनाव जीत चुके हैं। कांग्रेस के पास झूमा सोलंकी-भीकनगांव और सचिन बिरला-बड़वाह सीट ही है जबकि बुरहानपुर से निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा विधायक है।
खंडवा से 2009 में जीते थे यादव
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री रह चुके अरुण यादव खंडवा से एक बार 2009 में चुनाव जीत चुके हैं। क्षेत्र में यादव गुर्जर और अल्पसंख्यक वर्ग में मौजूद जनाधार के चलते टिकट को लेकर ही नहीं बल्कि वह जीत को लेकर भी आश्वस्त बने हुए हैं।  

Related Articles