
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ प्रदेश सरकार गौ संरक्षण की बात कहती है , तो दूसरी ओर प्रदेश की गौशालाओं की हालत बद से बदतर बनी हुई है। हालत यह है कि कई गौशालाएं तो नरक बन चुकी हैं। इसका उदाहरण हैं राजगढ़ जिले की गोशालाएं, जहां पर आए दिन गाय और बछड़े तड़प-तड़प कर दम तोड़ते रहते हैं। बीमार पड़ी गाय को कुत्ते और कौवे तक नोंचकर खा रहे हैं। इसके बाद भी स्थानीय प्रशासन की नींद टूटने का नाम तक नहीं ले रही है।
गायों की दुर्दशा के ऐसे दृश्य अधिकांश गौ शालाओं में बने हुए हैं। इस जिले की गौशालाओं में मौतों का आंकड़ा इतना अधिक हो रहा है कि अब तो उसका रिकॉर्ड तक नहीं रखा जा रहा है। हालत यह है कि इस जिले में लगभग हर माह रिकॉर्ड के मुताबिक एक सैकड़ा गायें दम तोड़ देती हैं। इस हालात की वजह है कड़ाके की ठंड के साथ ही गौशाला का कुप्रबंधन। गौरतलब है कि राजगढ़ जिले में 128 सरकारी गौशालाएं हैं। खिलचीपुर में स्थित सबसे बड़ी 630 क्षमता वाली श्री कृष्ण गोशाला के अंदर खुले मैदान में सैकड़ों गाय कीचड़ में खड़ी रहने को मजबूर हैं। गोबर नहीं उठाने की वजह से मिट्टी के साथ मिलकर यह पूरा एरिया दलदल का रूप ले चुका है। गौशाला के अंदर बने कमरे और टीन शेड लगे हॉल में गाय और बछड़ों के जगह- जगह शव पड़े देखे जा सकते हैं। इलाज नहीं मिलने से बीमार गायें बुरी तरह तड़पती रहती हैं। कुत्ते और कौवे, बीमार गायों को नोचंते खसोटते रहते हैं। उनसे बचने के लिए गाय छटपटाती रहती हैं।
चार दिनों में 32 की हुई मौत
चार दिनों तक निगरानी करने पर पाया गया कि पहले दिन मृत मिली गाय और बछड़ों के 6 शव का आंकड़ा 32 तक पहुंच गया। यहां रखे रजिस्टर को देखने पर पता चला कि अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के तीन महीने में यहां 300 से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है। लगातार मौतें होने से पिछले दो-तीन महीने से रिकॉर्ड में मौतों को शामिल ही नहीं किया गया है। गोशाला के चौकीदार रतनलाल कहते हैं कि यहां गाय की मौत होने पर रजिस्टर में एंट्री की जाती है। ठंड के बाद गायों की मौत की संख्या बढ़ गई है। मृत गायों को उठाकर ले जाने वाले नगर परिषद के कर्मचारियों ने रजिस्टर में अब संख्या लिखना ही बंद कर दिया है।
दोगुनी गायों को रखा
श्री कृष्ण गौशाला समिति के एक एक पदाधिकारी का कहना है कि इस गौशाला की कैपेसिटी 630 गाय की है, लेकिन वर्तमान में यहां 1100 से अधिक गाय हैं। इतनी गाय आईं कहां से, यह पूछने पर कहते हैं कि इस समय खेतों में फसल लहलहा रही है। ग्रामीण फसलों को बचाने के लिए गायों को गोशाला में छोड़ जाते हैं। जगह नहीं होने का हवाला देते हैं तो वे विवाद करते हैं। हमें धमकाकर गायों को छोड़ जाते हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार: गौशाला में गायों की हुई मौत पर खिलचीपुर में पदस्थ पशु चिकित्सक डॉ. मधुसूदन शाक्यवार का कहना है कि पॉलीथिन खाने के बाद गाय कमजोर हो जाती हैं और ठंड में शरीर का तापमान मेंटेन नहीं कर पाती हैं। जिसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है। इसी तरह से स्थानीय एसडीएम का कहना है कि गौशाला का मामला मुझे पता चला है। पशु चिकित्सा अधिकारी के साथ मौके पर मै खुद गई थी। गौशाला में क्षमता से अधिक गाय हैं। वहां के अध्यक्ष से बात की और उन्हें नोटिस भी जारी किया है। इस संदर्भ में आगे कार्रवाई की जाएगी।