मोघे की अनुशासनहीनता से… हर्ष हो सकते हैं हर्षित

 हर्षित

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा में इन दिनों उपचुनाव में टिकट की दावेदारी को जमकर खींचतान जारी है। हालत यह है कि टिकट के लिए नाम तय होने के पहले ही दावेदार एक दूसरे के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलने लगे हैं। इसकी शुरूआत खंडवा लोकसभा सीट से हो गई है। इस सीट से तीन प्रमुख नेता दावेदारी कर रहे हैं। इनमें सबसे मजबूत दावेदार बनकर पूर्व स्थानीय सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन उभरे हैं। उनका विरोध करने के लिए बीते रोज कृष्णमुरारी मोघे के समर्थक न केवल प्रदेश कार्यालय पहुंचे, बल्कि अनुशासन तोड़ते हुए नारेबाजी करने से भी
बाज नहीं आए। पार्टी ने इसे अत्याधिक गंभीरता से लिया है। इसे अनुशासनहीनता माना जा रहा है, जिसकी वजह से अब इसका फायदा हर्षवर्धन को मिलना तय हो गया है। खास बात यह है कि यह अनुशासनहीनता तब की गई है जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सहित संगठन के सभी पदाधिकारी लगातार एक राय बनाने का प्रयास कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि हर्ष के विरोध में इन्हें दूसरे दावेदार मोघे ने ही खंडवा से भोपाल भेजा था। उल्लेखनीय है कि इसी सीट से पूर्व सांसद और लगातार सरकार से उपकृत होने वाले कृष्णमुरारी मोघे और पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस भी दावेदारी कर रही हैं। खास बात यह है कि अब बात बिगड़ती देख मोघे समर्थक नारेबाजी करने वालों को चिटनीस का समर्थक बताने लगे हैं। मोघे वैसे तो संघ के प्रचारक रह चुके हैं। उन्हें संघ की तरफ से भाजपा में बतौर संगठन महामंत्री बनाकर भेजा गया था। उसके बाद उन्हें राजनीति का चस्का ऐसा लगा की वे सत्ता में भागीदारी पाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं। फिर चाहे कोई भी पद क्यों न हो। पार्टी उन्हें अब तक इंदौर महापौर से लेकर सांसद और फिर हाउसिंग बोर्ड तक का अध्यक्ष बना चुकी है, लेकिन उम्र के इस पड़ाव में भी वे चुनावी लालच छोड़ने से पीछे हटने को तैयार नही है। खास बात यह है कि पार्टी बीते रोज हुए घटनाक्रम के बाद से मोघे को लेकर बेहद खफा है। दरअसल संगठन महामंत्री रहते जिसका विरोध स्वयं मोघे करते थे अब उनके समर्थक वहीं कर रहे हैं, जिसके पीछे पूरी तरह से मोघे की ही भूमिका मानी जा रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि मोघे की राजनैतिक लालसा को देखते हुए अब संघ भी उनके समर्थन में नही रह गया है। यही वजह है कि अब इसका फायदा हर्ष को मिलना तय है। उधर उक अन्य दोवदार अर्चना चिटनिस को पार्टी संगठन में शामिल कर चुकी है। यही नहीं उन्हें कल मुख्यमंत्री आवास में बुलाकर दावेदारी से पीछे हटने की समझाइश भी देने की खबर है। इसकी वजह से अब माना जा रहा है कि पार्टी ने खंडवा लोकसभा सीट के उपचुनाव में हर्ष को उतरना लगभग तय कर लिया है। वैसे भी हर्ष के पक्ष में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर बने हुए हैं।
प्रत्याशी चयन को लेकर जारी है मंथन
उपचुनाव वाली चारों सीटों पर पार्टी के प्रत्याशियों के चयन के लिए लगातार बैठकों में मंथन को दौर जारी है। इसके लिए मुख्यमंत्री, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सहित संगठन के अन्य वरिष्ठ लगातार एक साथ बैठकर हर पहलू पर चर्चा कर रहे हैं। इसके लिए बीते दो दिनों से यह क्रम लगातार जारी है। शुक्रवार को भी लंबी बैठकों के दौर में प्रत्याशियों के नाम पर आम सहमति नहीं बन पाने की वजह से बीती देर रात भी मुख्यमंत्री के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल शिवप्रकाश, मुरलीधर राव, विष्णु दत्त शर्मा, सुहास भगत, हितानंद द्वारा बैठक की गई। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस दौरान दूरभाष पर पदाधिकारियों और दावेदारों से एक बार फिर चर्चा की गई। इसके बाद  पार्टी ने प्रत्याशियों के नाम की सूची तैयार कर ली है। इस सूची को अब दिल्ली भेजकर सहमति ली जाएगी। सहमति मिलते ही प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे।
जुबान फिसलने पर विजय शाह ने भाजपा के हार की कर दी अपील
वन मंत्री और लोकसभा उपचुनाव में मांधाता विधानसभा प्रभारी विजय शाह का बयान भाजपा और स्वयं उनके लिए मुसीबत बन गया है। ओंकारेश्वर जाते समय रास्ते में उनके द्वारा पत्रकारों से चर्चा में चुनावी तैयारियों को लेकर पूछे गए प्रश्न में उनके द्वारा कहा गया कि मांधाता विधानसभा क्षेत्र से भाजपा एक भी बूथ न जीते, इसकी जिम्मेदारी पार्टी ने उन्हें दी है। मंत्री के जुबान फिसलने वाले इस बयान का वीडियो इंटरनेट पर जमकर वायरल हो गया। इसके बाद विपक्षी दल के नेता भाजपा को कटघरे में खड़ा कर तंज कसने लगे। इस पर मंत्री शाह को एक वीडियो जारी कर सफाई भी देनी पड़ी है। मंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि गिद्धों के श्राद्ध करने से गाय नहीं मरती। कहा कि भाजपा की जीत के लिए वह शर्त लगाने को तैयार हैं।

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