महाकाल की नगरी को स्मार्ट बनाने पर खर्च होंगे एक अरब

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। केन्द्र सरकार द्वारा चलाई गई स्मार्ट सिटी योजना के तहत प्रदेश के जिन शहरों का चयन किया गया था, उनमें शामिल उज्जैन और जबलपुर ऐसे शहर हैं, जिन्हें एक बार फिर से और अधिक स्मार्ट सिटी बनाने के लिए चयनित किया गया है। केन्द्र स्तर पर हालांकि हर प्रदेश से एक शहर का ही इसके लिए चयन किया गया है, लेकिन जिस तरह से महाकाल लोक बनने के बाद पर्यटकों की भीड़ उज्जैन में जुट रही है, उसे देखते हुए ही उज्जैन को इसमें शामिल किया गया है। इसके साथ ही मप्र ऐसा राज्य बन गया है जिसके दो शहरों को इस योजना में शामिल किया गया है। इन शहरों को कचरे के मैनेजमेंट के मामले में मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए ही विकास कार्य होंगे। खासतौर पर कचरे के री-यूज और री-साइकलिंग पर सबसे ज्यादा जोर रहेगा। प्रदेश के दो शहरों उज्जैन और जबलपुर को सिटी इन्वेस्टमेंट्स टू इनोवेट या सिटीज-2.0 प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। मतगणना के बाद इन शहरों में विकास कार्य शुरू किए जाएंगे। केन्द्र सरकार ने इन शहरों में जलवायु परिवर्तन को रोकने वाले विकास कार्य करने के लिए करीब 200 करोड़ रुपए दिए हैं। इसके तहत चार साल में यहां पर तय काम करने होंगे। इसके तहत उज्जैन और जबलपुर में एक चक्रीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं को लागू किया जाएगा।
एक्शन प्लान
दोनों शहरों में क्लाइमेट मॉनीटरिंग के लिए केन्द्र बनेंगे। यहां डाटा एकत्रित कर उसकी मॉनीटरिंग की जाएगी। इसमें पर्यावरण या क्लाइमेट को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों और गतिविधियों को चिह्नित किया जाएगा। इसके लिए एक्शन प्लान बनाकर उस पर अमल किया जाएगा।
सिटीज 1.0 प्रोजेक्ट में था केवल उज्जैन
इसके पहले सिटीज-1.0 प्रोजेक्ट में देश के 12 शहरों को चुना गया था। उसमें मध्यप्रदेश का केवल एक शहर उज्जैन शामिल था। इसके तहत 150 करोड़ रुपए की लागत वाले महाकाल- रुद्रसागर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एप्रोच-2 पर काम हुआ। इससे महाकाल लोक के पास स्थित रुद्रसागर झील का कायाकल्प किया गया है।
शुरू होंगे नए प्रोजेक्ट
दोनों शहरों में एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने वाले प्रोजेक्ट शुरू होंगे। सर्कुलर इकोनॉमी एक ऐसी प्रणाली है जहां सामग्री कभी भी बेकार नहीं होती और प्रकृति का भी री-जेनरेशन होता है। चक्रीय अर्थव्यवस्था में उत्पादों और सामग्रियों को रखरखाव, पुन: उपयोग, नवीनीकरण, पुन: निर्माण, पुनर्चक्रण और खाद बनाने जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से लगातार उपयोग में लाते हैं। रीसाइकलिंग और रीयूज करने वाली इकाइयां लगेंगी। उज्जैन में भी सॉलिड वेस्ट से खाद व सीएनजी बनाने की योजना है।

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