- वित्त विभाग के आदेश के बाद कर्मचारियों में आक्रोश
- गौरव चौहान

प्रदेश के स्थाई कर्मी, दैनिक वेतन भोगी, अंशकालीन कर्मचारी एवं श्रमिक वित्त विभाग द्वारा जारी किए गए पद समाप्त करने वाले ताजे आदेश के विरोध में कर्मचाारी संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि सरकार ने चुपचाप मंत्री परिषद में निर्णय लेकर स्थाई कर्मियों के पदों को सांख्येत्तर घोषित करके बंधुआ मजदूर बना दिया गया है। दैनिक वेतन भोगियों के पद समाप्त कर इन्हें अधिकार विहीन कर दिया है। अंशकालीन सहित अन्य निचले संवर्गों के डेढ़ लाख पद समाप्त किए गए है। इससे डेढ लाख कर्मचारियों को अधिकार विहीन कर दिया है।
गौरतलब है कि मोहन कैबिनेट में प्रदेश में कर्मचारियों की श्रेणी तय किए जाने के बाद वित्त विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। इसमें आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति निजी एजेंसियों के माध्यम से की जाएगी और इनके लिए कोई पद सृजित नहीं माना जाएगा। आउटसोर्स सेवाएं मार्च 2027 तक चरणबद्ध रूप से समाप्त कर नियमित भर्ती की जाएगी। इधर आउट सोर्स को लेकर सरकार के फैसले के बाद अब इसका विरोध भी शुरू हो गया है और आउटसोर्स अधिकारी, कर्मचारी आंदोलन की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। कैबिनेट के फैसले के बाद वित्त विभाग द्वारा राज्य शासन के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की श्रेणियों को लेकर नए नियम एवं दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
कर्मचारियों के पदों को किया वर्गीकृत
जारी निर्देशों के अनुसार राज्य शासन में कार्यरत कर्मचारियों के पदों को स्थायी, अस्थायी, संविदा, कार्यभारित, आकस्मिकता निधि, आउटसोर्स तथा अंशकालिक श्रेणियों में स्पष्ट रूप से वर्गीकृत किया गया है। विभाग ने कहा है कि इसका उद्देश्य विभागों में फैले भ्रम को दूर करना और भर्ती प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है। वित्त विभाग ने कहा है कि स्थायी पदों पर नियुक्त कर्मचारी पर राज्य शासन के सभी सेवा नियम लागू होंगे। एक जनवरी 2005 से पूर्व नियुक्त कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना तथा इसके बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना लागू रहेगी। वहीं, अस्थायी पद विभागीय आवश्यकता के अनुसार सीमित समयावधि के लिए सृजित किए जाते हैं, जिन्हें समय-समय पर स्थायी भी किया जा सकता है। वित्त विभाग का कहना है कि इन दिशा-निर्देशों से विभागों में मानव संसाधन प्रबंधन अधिक पारदर्शी होगा और अनियमित नियुक्तियों पर रोक लगेगी। सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन नियमों का कड़ाई से पालन करें। विभाग ने कहा है कि निर्माण विभागों में परियोजना आधारित कार्यों के लिए कार्यभारित एवं आकस्मिकता निधि से नियुक्त कर्मचारियों पर अलग नियम लागू रहेंगे। ऐसे कर्मचारियों की सेवाकाल में मृत्यु हो जाने पर अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित प्रावधान भी प्रभावशील रहेंगे।
संविदा पदों पर नियुक्ति केवल निर्धारित अवधि के लिए
शासन ने स्पष्ट किया है कि संविदा पदों पर नियुक्ति केवल निर्धारित अवधि के लिए होगी तथा इन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही एवं सेवा समाप्ति संबंधी नियम लागू होंगे। आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति निजी एजेंसियों के माध्यम से की जाएगी और इनके लिए कोई पद सृजित नहीं माना जाएगा। आउटसोर्स सेवाएं मार्च 2027 तक चरणबद्ध रूप से समाप्त कर नियमित भर्ती की जाएगी। राज्य शासन के विभिन्न विभागों में अंशकालिक, सफाईकर्मी, माली, चौकीदार आदि कर्मियों को आवश्यकता अनुसार निर्धारित मानदेय का भुगतान किया जाएगा। इनका पारिश्रमिक बजट की उद्देश्य शीषर्षों से वहन किया जाएगा। वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश के बाद कर्मचारी संघों ने भी अपना पक्ष रखा है। मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक ने कहा कि मंत्री परिषद के निर्णय के के पालन में वित्त विभाग द्वारा जिन कार्यभारित एवं स्थाई कर्मियों के पद डाइंग कैडर घोषित किए गए, वहां वर्तमान में कार्यरत इन कर्मचारियों को नियिमत घोषित किया जाना चाहिए। अनुकंपा नियक्ति भी सांख्येत्तर पदों पर दी जाए। मार्च 2027 के बाद भी आउट सोर्स का पद जारी रखने पर नियमित पद की समाप्ति का प्रावधान समाप्त हो। अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वान, आशा-ऊषा कार्यकर्ता एवं होमगार्ड जैसे कर्मचारियों को नियमित कर इनकी सेवा सुरक्षित हो। मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडेय ने कहा है कि इस आदेश से डेढ लाख कर्मचारी अधिकार विहीन हो गये हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने चुपचाप मंत्री परिषद में निर्णय लेकर स्थाई कर्मियों के पदों को सांख्येत्तर घोषित करके बंधुआ मजदूर बना दिया गया है। दैनिक वेतन भोगियों के पद समाप्त कर इन्हें अधिकार विहीन कर दिया है। अंशकालीन सहित अन्य निचले संवर्गों के डेढ़ लाख पद समाप्त किए गए है।
