एक बार फिर भेदभाव के शिकार हुए प्रदेश के कर्मचारी

 कर्मचारी

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश की सरकार शुरू से ही अखिल भारतीय सेवा के अफसरों व राज्य के कर्मचारियों के साथ भेदभाव करती आयी है।  यह भेदभाव एक बार फिर से सामने आया है। यह भेदभाव डीए के मामले में सामने आया है। इस भेदभाव की वजह से प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों में सरकार को लेकर बेहद नाराजगी बढ़ रही है। दरअसल शासन व प्रशासन का जिम्मा इन्ही अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के हाथों में होता है जिसका फायदा वे अपने लिए सुख सुविधाओं से लेकर वेतन- भत्तों तक में जमकर उठाते हैं। वे ऐसे नियम कायदे तक बनवाने में पीछे नही रहते हैं जिससे न केवल सरकारी खजाने को चपत लगती है , बल्कि आम जन को भी कोई फायदा नहीं होता है। सरकारें भी उनकी बातों को लेकर अधिक चपल और चंचल बनकर अमल करने में कोई कोताही नहीं बरतती है, जबकि आम आदमी से लेकर आम सरकारी कर्मचारी के मामले में चैन की नींद में सो जाती है। दरअसल राज्य सरकार ने 18 अगस्त को आदेश जारी कर अखिल भारतीय सेवा के सदस्यों, आईएएस, आईपीएस और आईएफएस को एक जनवरी से 34 फीसदी महंगाई भत्ता देने के आदेश जारी किए थे और अब 22 अगस्त को आदेश जारी कर राज्य सरकार ने प्रदेश के साढ़े चार लाख नियमित कर्मचारियों को एक अगस्त से 34 फीसदी महंगाई भत्ता देने के आदेश जारी किए है। इस तरह से आईपीएस और आईएएस अफसरों को न केवल सात माह पहले से बड़ा हुआ डीए मिलेगा बल्कि सात माह का एरियर्स भी भुगतान किया जाए। इस भेदभाव को लेकर राज्य के कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। इस मामले में कर्मचारियों ने सीएम को ज्ञापन भेजा है। मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के संरक्षक सुधीर नायक का कहना है कि आईएएस, आईपीएस भी राज्य में ही काम करते है लेकिन उन्हें एक जनवरी से बढ़ी हुई दरों से 34 फीसदी महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। उसका एरियर्स भी दिया जा रहा है। राज्य के कर्मचारियों को एक बार फिर सात माह का नुकसान महंगाई भत्ते में उठाना पड़ेगा। हम इसका विरोध करते है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर इस पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए राज्य के कर्मचारियों को भी जनवरी 2022 से 34 फीसदी महंगाई भत्ते का एरियर्स देने की मांग करेंगे। अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को जुलाई 2021 से डीए का एरियर्स देने के आदेश जारी हुए है। जबकि राज्य के कर्मचारियों को जुलाई 2019 से डीए का एरियर्स नहीं मिला है। कोरोना काल में संकट के समय प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों ने काफी धैर्य से काम किया था। उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि जैसे ही आर्थिक स्थिति ठीक होगी सभी की पाई-पाई देंगे।
किया जा रहा खुलकार भेदभाव
मध्यप्रदेश राजपत्रित अधिकारी संघ के प्रांताध्यक्ष इंजीनियर डीके यादव का कहना है कि इस बार भी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को राज्य सरकार जनवरी से बढ़े हुए 3 फीसदी महंगाई भत्ते का एरियर्स दे रही है ,लेकिन राज्य के कर्मचारियों को अगस्त से बढ़े महंगाई भत्ता देने की घोषणा की गई है। यह भेदभाव उचित नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग और वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव, कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेश शर्मा को पत्र लिखकर इस पर अपना विरोध दर्ज कराया है।
महंगाई जब समान है तो भेदभाव क्यों
जारी आदेश की वजह से अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को 2 से 2.50 लाख रुपया एरियर का फायदा होगा तो वहीं राज्य के कर्मचारियों को 750 करोड़ रुपए का नुकसान होना तय है। तृतीय कर्मचारी संघ के  प्रदेश  सचिव उमाशंकर तिवारी का कहना है की जब राज्य में अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए महंगाई समान है तो महंगाई भत्ते में भेदभाव क्यों। मुख्यमंत्री द्वारा कई बार कहा गया है कि राज्य के कर्मचारियों को केंद्रीय दर केंद्रीय तिथि से महंगाई भत्ता दिया जाएगा लेकिन उनके कहे अनुसार आदेश ना होने से प्रदेश के 7 लाख कर्मचारियों में आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है और ऐसे आदेश से प्रदेश के लाखों कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।

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