जिस पर सरकार की मेहरबानी वे अफसर काट रहे चांदी

चांदी

– कलेक्टर और डीएफओ की पदस्थापना में दोहरी नीति से अधिकारियों में आक्रोश

– कई प्रमोटी आईएएस की कलेक्टरी की आस भी अधूरी


भोपाल/हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में कई नौकरशाह ऐसे हैं जो सरकार की आंख का नूर बने हुए हैं वहीं कुछ ऐसे हैं जो हाशिए पर पड़े हुए हैं। इस कारण नौकरशाही के एक वर्ग में आक्रोश पनप रहा है। आक्रोशित अफसरों का कहना है कि जिस पर सरकार की मेहरबानी है वे चांदी काट रहे हैं। वहीं अन्य अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। वर्तमान में कलेक्टर और डीएफओ की पदस्थापना में सरकार की दोहरी नीति से अधिकारियों में आक्रोश है। दरअसल प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनको लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। प्रदेश में जहां 21 प्रमोटी आईएएस जिलों में कलेक्टर हैं, वहीं 20 प्रमोटी आईएएस अफसरों को जिले की कमान अब तक नहीं मिली है। यही नहीं सीधी भर्ती वाले कई आईएएस अफसरों को एक जिले के बाद मंत्रालय में पदस्थ कर दिया गया है। उधर, डीएफओ की कमी के चलते एसएफएस के अधिकारियों को आईएफएस बनने के पहले ही पदस्थ किए जाने से सरकार की दोहरी नीति सामने आई है। क्योंकि प्रमोशन लिस्ट में फिट कई अन्य एसएफएस के अफसर डिवीजन में पदस्थ नहीं किए गए हैं।
कईयों की दूसरी कलेक्टरी तो कईयों का अभी तक नंबर नहीं
प्रदेश में कलेक्टरों की पदस्थापना में भी कई तरह की विसंगति देखने को मिल रही है। प्रदेश के 52 जिलों में इस समय 21 जिलों में प्रमोटी आईएएस कलेक्टर हैं। इनमें आधा दर्जन की दूसरे जिलों में पोस्टिंग हो चुकी है। वहीं कई आईएएस ऐसे हैं जो छह माह की भी कलेक्टरी नहीं कर पाए और वापस मंत्रालय आ गए। प्रदेश में चार उप चुनाव के बाद एक बार फिर 20 प्रमोटी आईएएस अफसरों सहित सीधी भर्ती वालों को कलेक्टर बनने की उम्मीद जागी है।
इनको अभी भी कलेक्टरी का इंतजार
प्रदेश में 2004 से लेकर 2011 बैच के 20 प्रमोटी आईएएस अफसरों को कलेक्टरी का इंतजार हैं। इनमें 2004 बैच के अमर सिंह बघेल, 2007 बैच के बेला देवर्षि शुक्ला, 2008 बैच के उर्मिला शुक्ला, 2009 शिवपाल, अमरपाल सिंह, 2010 बैच के अशोक चौहान, चंद्रशेखर बालिंबे, सुरेश कुमार, संदीप माकिन, अनिल खरे, सपना निगम, 2011 बैच के गिरीश शर्मा, सरिता बाला प्रजापति, हरि सिंह मीना, उषा परमार और प्रीति जैन आदि शामिल हैं। सीधी भर्ती के हरजिंदर सिंह व नेहा मारव्या भी कतार में हैं। वहीं राजेश कौल, स्वतंत्र कुमार सिंह, कृष्णगोपाल तिवारी, मनोज खत्री, दिलीप कुमार, उमेश कुमार, शैलबाला मार्टिन, राकेश सिंह, आरपीएस जादौन ऐसे आईएएस है जो एक बार ही कलेक्टर बने हैं। पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा कहते हैं कि किसी आईएएस की पोस्टिंग करते समय सरकार को निष्पक्ष तौर पर विचार करना चाहिए। वैसे कोशिश यही हो कि हर किसी को एक मौका तो मिले, इससे किसी अफसर को अपना परफॉर्मेंस देने का अवसर मिलेगा। यह भी सही है कि उपयोगिता और अनुभव को ध्यान में रखकर शासन द्वारा पोस्टिंग की जाती है।
वन विभाग में प्रशासनिक पोस्टिंग का सिस्टम गड़बड़ाया
आईएएस की तरह आईएफएस का मामला भी विवादों में हैं। दरअसल प्रदेश के वन विभाग में प्रशासनिक पोस्टिंग का सिस्टम गड़बड़ा गया है। यहां एक दर्जन राज्य वन सेवा के अधिकारियों को आईएफएस बनने के पहले डिवीजन में भेज दिया गया है। इन्हें उत्पादन, वन्यप्राणी और वन विकास निगम सहित सामान्य वन मंडल में भेजा गया है। जबकि इस कैडर के कई अफसरों को पोस्टिंग नहीं मिली है। विभाग के अनुसार उच्च पदों पर अधिक अधिकारी हो गए हैं, जबकि जिलों के लिए डीएफओ की भारी कमी है। इस कारण कई जिले प्रभार में चल रहे हैं। वन विभाग में डीएफओ की कमी के कारण ही कई एसएफएस को डिवीजन में भेजा गया है। इनमें अनिल चौपड़ा, वेंकटेशचंद्र मेश्राम, सुखलाल भार्गव, वीके वासनिक, गरीबदास बरबड़े, सीमा द्विवेदी, संदीप फैलोज, स्वदेश महिवाल, सुशील प्रजापति, ध्यान सिंह और हरे सिंह ठाकुर आदि शामिल हैं। एपीसीसीएफ प्रशासन-1 राकेश कुमार यादव का कहना है कि सीनियर और स्केल की पात्रता होने के बाद शॉर्ट टर्म के लिए डिवीजन में भेजने का प्रावधान है। इसके बाद भारत सरकार से मंजूरी ली जाती है। जरूरत के अनुसार ही एसएफएस की पोस्टिंग की गई है। पदस्थ करना राज्य शासन के निर्णय पर निर्भर है।
आईएफएस के लिए नोटिफिकेशन का इंतजार
गौरतलब है कि राज्य वन सेवा के करीब 25 अफसरों को आईएफएस बनाया जाना है। इसके लिए एक नवम्बर को डीपीसी हो चुकी है। अब केवल नोटिफिकेशन होना बाकी है। जिन अफसरों के नाम प्रमोशन लिस्ट में संभावित हैं उनमें आधे को डिवीजन में पदस्थ कर दिया है। इसके बाद भी कई डिवीजन प्रभार में दिए गए हैं। इसको लेकर सवाल खड़े हो गए हैं कि अन्य एसएफएस के अफसरों को खाली पदों पर क्यों नहीं पदस्थ किया गया। सामान्य वन मंडल के जिन डीएफओ को दूसरे जिलों का चार्ज मिला है, वे महज फाइलों में दस्तखत करने का ही काम कर रहे हैं। जिन अफसरों को आईएफएस बनना है उनमें सुखलाल भार्गव, सुशील प्रजापति, वेंकटेशचंद्र मेश्राम, डीके वासनिक, स्वदेश महिवाल, महेन्द्र सिंह सोलंकी, हरे सिंह ठाकुर, ध्यान सिंह निगवाल, गरीबदास बरबड़े, रमेश राठौर, काशीराम जाधव, भारती ठाकरे, ओमकार सिंह मर्सकोले, मगन सिंह डाबर, संदीप फैलोज, शिवकरण अटोदे, लक्ष्मीकांत बासनिक, रितेश सिरोठिया, रजनीश सिंह, प्रतिमा पाठक, लोकप्रिय भारती, राकेश कुमार डामर, प्रतिभा टिटारे, अशोक सोलंकी और श्रद्धा पंद्रे शामिल हैं।

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