युवा कांग्रेस चुनाव के बहाने… दिग्गज नेताओं ने कसी कमर

युवा कांग्रेस चुनाव
  • कमलनाथ गुट की एकजुटता आई सामने…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में पिछले छह महीने से चल रहे युवा कांग्रेस के संगठन चुनाव के परिणाम में एक बार फिर कांग्रेस की गुटबाजी सामने आई है। चुनाव में कमलनाथ गुट के यश घनघोरिया हाई परफार्मर की श्रेणी से भी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। जबकि युवा कांग्रेस में लंबे समय से काम कर रहे युवाओं को अब यश का आदेश मानना पड़ेगा। युवा कांग्रेस चुनाव में अध्यक्ष पद के दावेदार नेताओं के पीछे कांग्रेस के बड़े-बड़े गुट थे। जिसमें यश घनघोरिया को जिताने में कमलनाथ खेमे ने ताकत लगाई, जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी अभिषेक परमार के पीछे दिग्विजय सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का खेमा काम कर रहा था। लगभग छह महीने तक चली ऑनलाइन चुनाव प्रक्रिया सामान्य थी, लेकिन इसके पीछे की कांग्रेस नेताओं की रणनीति असामान्य थी। घटनाक्रम कुछ यूं शुरू होता है। अप्रैल 2025 में युवा कांग्रेस चुनाव की घोषणा के समय प्रदेशाध्यक्ष के लिए वे ही दावेदार हो सकते हैं, जिन्होंने युवा कांग्रेस या कांग्रेस में पहले दायित्व निभाए गए हैं। इस बीच नई गाइडलाइन जोड़ी गई कि हाईपरफॉर्मर युवाओं को भी प्रदेशाध्यक्ष बनने का मौका दिया जाएगा। हाईपरफॉर्मर के रूप में करीब 48 चेहरे शामिल किए गए। जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के समर्थक पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया के बेटे यश घनघोरिया को शामिल किया गया। यश का नाम शामिल होते ही, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पूरे गुट को सक्रिय कर दिया था। जिसमें ज्यादातर सदस्य उनके कैबिनेट के साथी मंत्री थे। यश के चुनाव की कमान कमलनाथ के करीबी सज्जन वर्मा के हाथ में थी। जिसमें लखन घनघोरिया से लेकर, बाला बच्चन, उमंग सिंघार, सचिन यादव ने पर्दे के पीछे रहकर यश के लिए गोटियां फिट कीं। वहीं पटवारी खेमे ने युवा कांग्रेस अध्यक्ष के लिए यश के प्रतिद्वंदी दावेदार की तलाश की। जिसकी जिम्मेदारी पटवारी के करीबी कुणाल चौधरी, विधायक विक्रांत भूरिया एवं अन्य को दी गई। जब किसी युवा नेता के नाम पर सहमति नहीं बनी तो फिर भोपाल के अभिषेक परमार के नाम पर सहमति बनी। जिस पर दिग्विजय गुट राजी हो गया। इसके बाद अभिषेक परमार को युवा कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का खेमा, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गुट ने एकजुट होकर काम किया। राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह ने ग्वालियर-चंबल का मोर्चा संभाला। दोनों गुटों के नेताओं ने पर्दे के पीछे रहकर युवा कांग्रेस चुनाव के लिए गोटियां फिट कीं, जिसमें कमलनाथ खेमा सफल रहा। युवा कांग्रेस के चुनाव में बेशक यश घनघोरिया चुनाव जीते हैं, लेकिन कमलनाथ गुट की जीत मानी जा रही है।
क्यों एकजुट हुआ कमलनाथ गुट
युवा कांग्रेस के बहाने कमलनाथ गुट के एकजुट होने को लेकर भी कयास शुरू हो गए हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी हाईकमान ने जिस तरह से कमलनाथ को प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी से हटाया और फिर पटवारी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से कमलनाथ समर्थकों के नाम की तख्तियां उखाड़ी गईं। संगठन सृजन अभियान में ज्यादातर कमलनाथ समर्थक नेताओं को जिलाध्यक्ष के पद से नवाज दिया गया। हालांकि कमलनाथ खुद के बेटे नकुलनाथ को जिलाध्यक्ष नहीं बनवाने में सफल रहे। कमलनाथ खेमे को लग रहा था कि मप्र कांग्रेस में उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। साथ ही गुट के नेता टूट रहे हैं। जिसमें कमलनाथ गुट के माने जाने वाले पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी के करीबी देखे जाने लगे। अन्य नेता भी गुट बदलने की तैयारी में जुट गए। इस बीच कमलनाथ गुट ने युवा कांग्रेस के बहाने अपनी ताकत का अहसास करा दिया है। इस पूरी कवायद को अगले विधानसभा चुनाव की रणनीति जो जोडक़र देखा जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी नई टीम तैयार कर रहे हैं। उनके और वरिष्ठ नेताओं के बीच तालमेल की कमी भी साफ नजर आ रही है।
युवा नेताओं के नेता बन गए यश
युवा कांग्रेस प्रदेश इकाई के साथ ही जिलाध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारियों के चुनाव भी हो गए हैं। युवा कांग्रेस के चुनाव से पहले तक यश घनघोरिया के पास कांग्रेस में कोई दायित्व नहीं था। हाई परफॉर्मर के जरिए वे प्रदेशाध्यक्ष के दावेदार बने और फिर प्रदेशाध्यक्ष बन गए। हाईपरफार्मर एक तरह की बैकडोर एंट्री की तरह है। युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष के रूप में यश के पास 71 जिलाध्यक्ष, 230 विधानसभा अध्यक्ष, 1000 से ज्यादा ब्लॉक अध्यक्ष समेत सैंकड़ों पदाधिकारियों के प्रमुख हो गए हैं।
तीन लाख से अधिक मत प्राप्त
युवा कांग्रेस के सदस्यता अभियान में विधायक, पूर्व विधायक और पदाधिकारी जुटे, जिसका लाभ यह हुआ कि तीन लाख से अधिक मत प्राप्त करके यश पहले नंबर पर रहे। अब घोषणा के लिए केवल साक्षात्कार की औपचारिकता बाकी है। बता दें, यश को जिताकर संदेश देने की कार्ययोजना उसी समय बन गई थी जब सभी नेता कमल नाथ के भोपाल स्थित शासकीय आवास पर एकत्र हुए थे। इसमें सभी नेताओं ने कमल नाथ से फिर सक्रियता बढ़ाने के लिए भी कहा ताकि कार्यकर्ताओं का मनोबल बना रहे।

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