
- यहां पर 52 टापू, इको टूरिज्म का हब बनेगा; सीएम कल कर सकते हैं ऐलान
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभयारण्य को 1 नवंबर को मंजूरी देने के संकेत दिए हैं। वे 30 अक्टूबर गुरुवार को खंडवा के नर्मदानगर पहुंचे थे, जहां नर्मदा नदी में 6 मगरमच्छ छोडऩे के साथ ही ओंकारेश्वर अभयारण्य घोषित करने की बात कही थी। दरअसल, इंदिरा सागर बांध के निर्माण की स्वीकृति के करीब 39 साल बाद ओंकारेश्वर वन्यप्राणी अभयारण्य की उम्मीद बंधी है। खंडवा और देवास जिले के वन क्षेत्र को मिलाकर 614 वर्ग किलोमीटर में प्रस्तावित अभयारण्य के गठन का प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित था। समय-समय पर आपत्तियां और केंद्र सरकार के मापदंड़ों की वजह से अधिसूचना टलती रही। पांच साल पहले अभयारण्य को हरी झंडी मिलना लगभग तय हो गया था, लेकिन कालीसिंध लिंक परियोजना की वजह से अधिसूचना टल गई थी।
सीएम ने की थी घोषणा
इंदिरा सागर बांध के बैकवॉटर में गुरुवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भोपाल के वनविहार से लाकर 6 मगरमच्छों को छोड़ा था। इसमें दो नर और चार मादा हैं। मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश नदियों का मायका है, यहां हर जीव स्वच्छंद हैं। अब मप्र के घडिय़ाल असम तक भेजे जाएंगे। ओंकारेश्वर अभयारण्य की घोषणा भी जल्द संभव है। मां नर्मदा की कृपा हम सब पर बनी रहे है, इसलिए आज मां नर्मदा की गोद में मगरमच्छों को छोड़ा गया है। चीतों का सफल पुनस्र्थापन हो चुका है, अब जल्द ही नौरादेही अभयारण्य में नामीबिया के चीते छोड़े जाएंगे। मां नर्मदा को स्वच्छ रखने और जलीय तंत्र को मजबूत करने में ये मगरमच्छ अहम भूमिका निभाएंगे।
ओंकारेश्वर अभयारण्य में शामिल है खंडवा-देवास वनमंडल
मुख्यमंत्री यादव के समक्ष वन विभाग के अधिकारियों ने प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभ्यारण के संबंध में विस्तृत कार्य योजना एवं जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि सामान्य वनमंडल खंडवा के कुल वनक्षेत्र 283773.23 हेक्टेयर अंतर्गत प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभ्यारण का कुल क्षेत्रफल 61407.09 हेक्टेयर है, जिसमें खंडवा वनमंडल अंतर्गत पुनासा, मूंदी, चांदगढ़, बलडी परिक्षेत्र शामिल हैं। वहीं, देवास वनमंडल के सतवास, कांटाफोड, पुंजापुरा, उदयनगर आदि परिक्षेत्र शामिल हैं। चार साल से ओंकारेश्वर अभ्यारण का प्रस्ताव शासन के पास मंजूरी के लिए पड़ा हुआ था।
अभयारण्य क्षेत्र में कोई बसाहट नहीं, 52 टापू शामिल
खंडवा डीएफओ राकेश कुमार डामोर ने बताया कि प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभयारण्य के तहत कोई राजस्व ग्राम व वनग्राम प्रस्तावित अभयारण्य की सीमा के अंतर्गत नहीं है। ईको टूरिज्म के तहत यहां बोरियामाल टापू व जलचौकी धारीकोटला हैं। बोरियामाल मनोरंजन क्षेत्र करीब 158.69 हेक्टेयर में है, जबकि जलचौकी धारीकोटला का रकबा 396.72 हेक्टेयर है। मूंदी रेंज में 31 टापू व चांदगढ़ रेंज में 21 टापू है, ऐसे कुल 52 टापू रहेंगे।
110 से ज्यादा तेंदुए, बाघ का मूवमेंट देखा गया
खंडवा में अभयारण्य क्षेत्र में अभी करीब 110 तेंदुए सक्रिय हैं। पहले से करीब 84 तेंदुए थे, 26 को यहां अभी छोड़ा गया है। यहां 2017 में बाघ भी देखे गए थे।
दो किलोमीटर के दायरे में राजस्व व वनगांवों की संख्या 20
प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभयारण्य क्षेत्र के दो किलोमीटर के दायरे में आने वाले राजस्व व वनगांवों की संख्या 20 है, जहां अभयारण्य घोषित होने के बाद टूरिज्म रोजगार बढ़ेगा। इन गांवों में अंधारवाडी, चिकटीखाल, सिरकिया, बायफल, भेटखेडा, दामखेडा, पामाखेडी, रिछी, नंदाना, चिकढालिया, डांग, पिपलानी, डण्ठा, बेढानी, टाकली, चांदेल, भंवरला, सरलिया, पुनासा, नर्मदानगर शामिल है।
– प्रस्तावित अभयारण्य क्षेत्र में पाई जाने वाली वनस्पति और वन्यप्राणी
– वनस्पति : सागौन, सालई, धावडा।
– मांसाहारी वन्यप्राणी : बाघ, तेंदुआ, रीछ, सियार, लकडबग्घा।
– शाकाहारी वन्यप्राणी : मोर, चीतल, सांभर, चिंकारा, भेडक़ी, सेही, खरगोश, बंदर।
प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभयारण्य में अन्य गतिविधियां
– होटल व रिसोर्ट की स्थापना
– पशुधन एवं कूक्कुट फार्मो की स्थापना
– लघु वनोपज का संग्रहण
– पूर्व में स्थित सडक़ों को चौड़ा करना
– पहाड़ी ढालों और नदी तटों का संरक्षण
– रात्रि में यातायात का संचालन
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
– पारिस्थिक पर्यटन
ईको पर्यटन गतिविधियों से लोगों को मिलेगा रोजगार
प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभयारण्य के गठन से गांव वालों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष नवीन रोजगार प्राप्त होगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति व जीवन स्तर में गुणनात्मक सुधार होगा। अभ्यारण्य में पर्यटकों के आवागमन से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से मिलने जुलने पर उनकी रहन-सहन, खानपान व अन्य धार्मिक मान्यताओं का आदान-प्रदान होने से सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों के विस्तार की संभावना है।
