नई सरकार में पुरानी जमावट

नई सरकार
  • मंत्रियों के बंगलों में तैनात होने लगा पुराना स्टाफ…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में नई सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद जैसे ही नए मंत्रियों के नाम सामने आए हैं, वहां पुरानी जमावट शुरू हो गई है। यानी मंत्रियों के बंगलों पर पुराने स्टाफ तैनात होने लगे हैं। कई मंत्रियों के बंगलों पर पुराने स्टाफ ने अपना कब्जा जमा लिया है, वहीं नए बने मंत्रियों के यहां पदस्थापना के लिए कर्मचारी हाथ-पांव मारने लगे हैं।
मोहन यादव की कैबिनेट में दो उपमुख्यमंत्री समेत अब 30 मंत्री हो गए है। इनमें कुछ को छोड़ दें, तो आधे से अधिक पहली बार मंत्री बने है। शिवराज कैबिनेट के भी दस मंत्रियों को शामिल नहीं किया गया है। वहीं एक दर्जन से अधिक मंत्री चुनाव हार गए है। इसके बाद इनका स्टाफ खाली हो गया है। राजभवन में शपथ होने के बाद मंत्रियों के यहां सालों साल से जमे इस स्टाफ के कर्मचारियों ने अपने संपर्कों के जरिए नए मंत्रियों के यहां पैठ बनानी शुरू कर दी है। कुछ कर्मचारी तो इन मंत्रियों के यहां एडजस्ट भी हो गए हैं। यह बात और है कि उनके किसी तरह के आदेश अभी नहीं हुए है पर कुछ की नोटशीट  तैयार हो गई है। इनमें वे कर्मचारी भी  शामिल हैं, जिनकी वजह से कई बार मंत्रियों तक को बदनामी झेलनी पड़ी है।
गौरतलब है कि संघ और भाजपा संगठन बार-बार हिदायत देता रहता है कि मंत्री अपने स्टाफ में जांच-परख कर अधिकारियों-कर्मचारियों को तैनात करें। लेकिन मंत्री इस पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं। जबकि स्टाफ की अनैतिक गतिविधियों के कारण कई बार मंत्री और सरकार की फजीहत भी हुई है। अब डॉ. मोहन यादव कैबिनेट के शपथ लेने के बाद पूर्व मंत्रियों के यहां पदस्थ स्टाफ एकाएक सक्रिय हो गया है। इस स्टाफ ने नए नवेले मंत्रियों को न सिर्फ घेर लिया है बल्कि बिना किसी आधिकारिक पोस्टिंग के उनके यहां काम करना भी शुरू कर दिया है। विभाग भले ही न बंटे हो पर मंत्रियों के यहां सालों साल से काम कर रहे लोगों ने मंत्रियों को सरकार के गुणा-भाग भी बताना शुरू कर दिए हैं। नए मंत्रियों के बंगलों में दिखने वाले ये वहीं चेहरे हैं जो अभी से महीने भर पहले तक पुराने मंत्रियों के वहां दिखते थे।
पूर्व मंत्रियों का स्टाफ लगा जुगाड़ में
सरकार किसी की भी बने, मंत्री कोई भी बने लेकिन मंत्रियों के स्टाफ और बंगले पर रहने वाला अधिकांश स्टाफ ऐसा है जिस पर कोई असर नहीं पड़ता। शिवराज सरकार के दस मंत्रियों को डा. मोहन यादव की कैबिनेट में मौका नहीं मिला, जबकि बारह मंत्री चुनाव हार गए थे। अधिकांश मंत्री अपने स्टाफ के कारण ही चुनाव हारे हैं। चुनाव हारने वाले मंत्री तो हर बैठ गए और स्टाफ अन्य मंत्रियों के यहां पहुंच गया। नए मंत्रियों को पुराना स्टाफ इस कारण अच्छा लग रहा, क्योंकि उन्हें सब मालूम है कि कहां से क्या होता है। संगठन को इस पर ध्यान रखना होगा कि मंत्रियों का विशेष सहायक व स्टाफ ऐसा हो जिसकी छबि अच्छी हो। अन्यथा कुछ होने पर बदनामी सरकार की होती है। गौरतलब है कि पांच साल पहले सत्ता में आई कांग्रेस ने पीसीसी की बैठक में ही निर्णय लिया था कि जो स्टाफ सालों से भाजपा सरकार के मंत्रियों के यहां तैनात है उसे कांग्रेस के मंत्री अपने वहां नहीं रखेंगे पर भाजपा को कोसने वाली कांग्रेस के तत्कालीन मंत्री ऐसा नहीं कर सके। जो कर्मचारी भाजपा सरकार में मंत्रियों के वहां थे, उनमें से अधिकांश कांग्रेस सरकार में मंत्री बने लोगों के यहां एडजस्ट हो गए। इसे लेकर कुछ दिन खबरें भी छपी पर किसी मंत्री पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। ऐसी ही स्थिति अब भाजपा की नई सरकार में भी देखने को मिल रहा है।
दिशा-निर्देश नहीं मानते मंत्री
प्रदेश भाजपा संगठन ने शुचिता की दृष्टि से अपने मंत्रियों को कहा था कि वे साफ सुथरी छवि के लोगों को रखें। इसके अलावा मंत्रियों के यहां कौन कौन स्टाफ पदस्थ है इसकी सूची भी प्रदेश संगठन को देने की अपेक्षा की गई थी। कार्यसमिति की बैठकों में कार्यकर्ताओं ने कई बार मंत्रियों के स्टाफ के व्यवहार समेत उनके कथित भ्रष्टाचार की भी शिकायतें संगठन को की कई बार इस पर बात भी हुई पर किसी भी मंत्री ने अपने स्टाफ को नहीं बदला। इसके पीछे जो कारण हैं वे इतने गूढ़ नहीं है कि उन्हें समझा न जा सके। कुछ अधिकारी और कर्मचारी ऐसे हैं जो पिछले 25 सालों से मंत्री स्थापना में ही काम कर रहे है। दिग्विजय सिंह के काल के ये कर्मचारी भाजपा सरकार आने के बाद उमा भारती मंत्रिमंडल के सदस्यों के यहां आकर जम गए। इसके बाद सालों से मंत्रियों के यहां भी डेरा जमाए हैं। पिछली बार कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के यहां भी अधिकांश स्टाफ यही था जो भाजपा के मंत्रियों के यहां था। 15 महीने बाद जब कांग्रेस सरकार गई और भाजपा की सरकार बनी तो कुछ अर्से में यही स्टाफ भाजपा सरकार के मंत्रियों के यहां जम गया।

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