हाथी के नाम पर अफसरों का पर्यटन

पर्यटन

10 लाख से अधिक खर्च पर पसंद नहीं आए हाथी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र वाकई अजब है गजब है। इस बार जंगल महकमें ने यह साबित किया है। वन विभाग के अफसरों ने प्रदेश के टाइगर रिजर्व के लिए हाथियों की खोज में अब तक 10 लाख से अधिक रुपए अपनी यात्राओं पर खर्च कर डाले हैं, लेकिन अभी तक उनकी खोज पूरी नहीं हुई है और अफसर इन दिनों कर्नाटक के दौरे पर है।
प्रदेश के टाइगर रिजर्व में सफारी के लिए 29 हाथियों की कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए करीब डेढ़ दशक से प्रयास चल रहे हैं। इन सालों में तीन समितियां बनीं, अधिकारियों ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह से लेकर कर्नाटक, बंगाल तक दौरे कर लिए। 10 लाख रुपए से अधिक राशि खर्च भी कर दी, पर प्रदेश में हाथी नहीं आ पाए। अब विभाग ने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के संचालक एल. कृष्णमूर्ति की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है, जो कर्नाटक का दौरे पर है। समिति अब नए सिरे से हाथी लाने की प्रक्रिया शुरू करेगी।
2007 से चल रहा प्रयास
प्रदेश में कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, संजय दुबरी और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व हैं। सभी में एलीफेंट सफारी (हाथी पर बैठाकर बाघ देखने) की सुविधा है। इन पार्कों में 52 हाथियों की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में विभाग के पास 23 हैं। इसलिए 29 हाथियों को अन्य राज्यों से लाने की कोशिशें वर्ष 2007 से चल रही हैं। दूसरे प्रदेशों से हाथी लाने की कोशिशें भले ही सफल नहीं हुई हों, पर अधिकारी तफरी करने में सफल रहे हैं। वन विभाग की वन्यप्राणी शाखा के तत्कालीन एपीसीसीएफ डॉ. एच एस पाबला हाथियों की तलाश में अंडमान निकोबार द्वीप समूह तक पहुंच गए थे। वहीं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के संचालक रहते हुए अतुल पाठक ने दो बार कर्नाटक की सैर कर ली, लेकिन बात नहीं बनी। कभी संबंधित राज्य ने हाथी देने से मना कर दिया, तो कभी विभाग ने ही लेने से इन्कार किया।
अब चौथी समिति से उम्मीद
तीन समितियों के प्रयास विफल होने के बाद अब हाथी लाने के लिए चौथी समिति पर सभी की निगाहें हैं। जानकार बताते हैं कि सभी राज्यों के वन अधिकारी एक-दूसरे से संपर्क में रहते हैं। कई अधिकारी तो एक ही बैच के हैं। फिर ऐसी नौबत क्यों आ रही है कि हाथी पसंद करने अधिकारियों को जाना पड़े। ऐसा भी तो हो सकता है कि अधिकारी अपनी अपेक्षाएं बता दें, बात फोन या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से तय हो जाए और आखिर में एक डाक्टर जाकर हाथियों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें प्रदेश लाने की प्रक्रिया पूरी कर ले।

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