
- एक दशक बाद भी नहीं हो पा रहा है आश्वासनों का निराकरण
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा में मुख्यमंत्री और मंत्रियों द्वारा विधायकों के दिए सवालों के जवाबों को पूरा करने में विभागों के अधिकारी गंभीर नहीं है। ऐसे करीब हजारों आश्वासन लंबित है, जिनको पूरा किया जाना है। इनमें कई तो 20 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। यदि मुख्यमंत्री, मंत्रियों के विधानसभा में दिए आश्वासनों को पूरा किया जाता तो अब तक जीरो पेंडेंसी हो जाती। वहीं मप्र विधानसभा में विधायकों द्वारा उठाए जाने वाले मामले में मंत्रियों द्वारा आश्वासन तो दे दिया जाता है, लेकिन इन आश्वासनों का निराकरण कई साल बाद भी नहीं हो पा रहा है। ऐसे ही कई मामलों में विभागों द्वारा आधे अधूरे जवाब दिए गए हैं। दरअसल, विधानसभा सत्र की समाप्ति के बाद विभाग मंत्रियों के दिए गए आश्वासन पर ध्यान नहीं देते हैं। अगर आश्वासनों पर कार्रवाई होती है तो वह आधी-अधूरी होती है। इस बार फॉरेस्ट विभाग द्वारा कटनी में अवैध रूप से खनिज पत्थर और मुरम का उत्खनन करने के बाद रॉयल्टी का 43 लाख रुपए भुगतान करने से मना कर दिया। वहीं कई मामलों में की गई शिकायतें गलत पाई गई है, जबकि ऐसे मामलों में प्रकरण दर्ज किए गए थे। शासकीस आश्वासन समिति के सभापति जालम सिंह पटेल का कहना है कि आश्वासनों के बारे में अधिकांश विभाग गलत जानकारी भेजते हैं, उसे बाद में ठीक कराया जाता है। कोरोना के समय किसी भी विभाग ने ध्यान नहीं दिया। वैसे 2004- 05 से विभिन्न विभागों में आश्वासन लंबित हैं। अब उनका तेजी से निराकरण करने की पहल की जा रही है। इसलिए हर पखवाड़े 4 से 5 विभागों के अफसरों की मीटिंग बुलाई जाती है।
सालों नहीं होता आश्वासनों का निराकरण
विधानसभा सत्र के दौरान विधायकों के शून्यकाल, ध्यानार्कषण के समय संबंधित विभाग के मंत्री द्वारा यह आश्वासन दे दिया जाता है कि इस मुद्दे पर 15 दिन या एक माह में कार्रवाई पूरी कर दी जाएगी, जिसे आश्वासन में शामिल कर लिया जाता है। कोर्ट में कई मामले लंबित होने, भूमि आवंटन, अनुमति नहीं मिलने के कारण 10 से 15 साल तक आश्वासानों का निराकरण नहीं हो पाता। यह बात आश्वासन समिति के सभापति ने भी स्वीकार की है। कुछ आश्वासनों की स्थिति से पता लगाया जा सकता है की उनकी स्थिति क्या। आश्वासन क्रं. 1559 भोपाल के राजाभोज, कमला नेहरू, नूतन सुभाष शासकीय स्कूलों में कार्यरत उपशिक्षकों की सेवा पुस्तिक का सत्यापन नहीं होने से संबंधित है। जिसमें विभाग का जवाब है कि 5 सेवा पुस्तिकाओं के निराकरण की प्रक्रिया प्रचलन में है। आश्वासन 312 दूधी नदी पर बांध निर्माण में सर्वेक्षण का कार्य मेसर्स वाप्कोस लिमिटेड गुडगांव को दिया, समय पर पूरा नहीं, शेर मछरेवा- शक्कर संयुक्त परियोजना का तीन साल तक सर्वेक्षण नहीं किया। विभाग का जवाब है तीन साल बाद विभाग ने सर्वेक्षण कराया डीपीआर केंद्रीय जल आयोग को भेजी, 4 साल बाद टेंडर हो सके। आश्वासन-911 में कहा गया था कि एनवीडीए के भवनों को नियम विरुद्ध निजी स्कूलों को आवंटित किए जाने वाले दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी। विभाग का जवाब आया है कि ऐसे अधिकारी जिनके द्वारा नि:शुल्क भवन आवंटित किए गए हैं, के विरुद्ध कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। आश्वासन 734 में कहा गया चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र में नवीन तालाब खनन के विचाराधीन प्रस्तावों पर कब तक कार्यवाही होगी। विभाग का जवाब आया कि चाचौड़ा क्षेत्र में सिंचाई क्षमता बढ़ाने 12 नवीन लघु सिंचाई परियोजनाओं के लिए स्थल निरीक्षण किया गया, वित्तीय मंजूरी मिलने पर कार्य शुरू किया जाएगा। समय- सीमा बताई जाना संभव नहीं। आश्वासन 2041 में बाण सागर परियोजना में अनुबंधित ठेकेदारों से पेनाल्टी की वसूली कब तक की जाएगी। विभाग का जवाब आया दंड (शास्ति) का निर्धारण अंतिम देयक के भुगतान के पूर्व सक्षम अधिकारी द्वारा किया जाएगा और वसूली अनुबंधित ठेकेदारों से की जाएगी। 5 इंजीनियरों से राशि 5.39 लाख रुपए वसूल की गई है। आश्वासन 444 में पूरे प्रदेश में बुधवार को राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य बंद करने समय का निर्धारण करना था। विभाग का जवाब आया कि राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य के क्षेत्र संचालक, सीसीएफ पर्यटकों के लिए संरक्षित क्षेत्र को सप्ताह में एक दिन बंद रखने के लिए सक्षम है।