हाई पावर कमेटी के लिए नहीं मिले अफसर

आरजीपीवी घोटाले
  • आरजीपीवी घोटाले की जांच अधर में …

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में घोटाले पर घोटाले सामने आ रहे हैं। लेकिन 19.48 करोड़ रुपए के घोटाला मामले में जांच अधर में लटकी हुई है। दरअसल, घोटाले की जांच के लिए जो हाई पावर कमेटी बनाई गई थी, उसके लिए अफसर ही नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में  करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच एक बार फिर ठंडे बस्ते में चली गई है। ज्ञात हो कि पूर्व में जांच धीमी चलने के कारण तकनीकी शिक्षा विभाग और पुलिस द्वारा गठित स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम पर कई आरोप लगे थे। तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दखल और छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के आंदोलन के चलते जांच को गति मिली थी। जांच का दायरा बढ़ाया गया था, लेकिन समय बीतने के साथ ही जांच एक बार फिर से थम गई है।
जानकारी के अनुसार व्यापक जांच के लिए दो महीने पहले कागजों पर गठित हाई पावर कमेटी के लिए वित्त विभाग ने अपना नॉमिनी देने से इंकार कर दिया है। वित्तीय विभाग ने कह दिया है कि पूर्व में जो वित्तीय अधिकारी उपलब्ध कराए गए हैं , उन्हीं से काम चलाएं। हमारे पास स्वयं ही अधिकारियों की कमी है। वित्त के इस दो टूक जवाब के बाद फिलहाल व्यापक जांच की उम्मीद कम हो गई है। इसके अलावा कमेटी में शामिल अन्य सदस्य महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं और उनके पास भी पर्याप्त समय नहीं है। इन कारणों से जांच को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। उप सचिव तकनीकी शिक्षा विभाग के सोमेश मिश्रा का कहना है कि वित्त विभाग ने कमेटी के लिए सदस्य देने से मना कर दिया है। बाकी सदस्य अभी अपने-अपने काम में थोड़ा बिजी है। जल्द ही मिलकर आगे की प्लानिंग करेंगे। इस मामले में पुलिस मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। जबकि दलित संघ के सचिव रतन उमरे और पूर्व कुलसचिव प्रो. आरएस राजपूत अभी भी गिरफ्त से बाहर हैं। एसआईटी चीफ अनिल कुमार शुक्ला ने बताया कि दलित संघ सोहागपुर के अकाउंट में ट्रांसफर हुए विवि के 9.50 करोड़ रुपए उमरे ने किसे और कैसे पहुंचाए, इसकी जांच के लिए टीम, दलित संघ के पिपरिया आईसीआइसीआई बैंक और एक्सिस बैंक शाखा से रिकॉर्ड ले रही है। एसआईटी चीफ ने बताया कि अब तक गिरफ्तार आरोपी पूर्व फायनेंस कंट्रोलर ऋषिकेश वर्मा सहित अन्य आरोपी एक-दूसरे को दोषी बता रहे हैं। पूर्व कुलसचिव प्रो. आरएस राजपूत के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से केस डायरी मांगी है, जो उच्च अधिकारी देंगे। इन दोनों के गिरफ्तार होने के बाद पता लगेगा कि किस का कितना दोष था और 19.48 करोड़ कहां गए।
आगे नहीं बढ़ पा रही जांच
गौरतलब है कि निजी खातों में ट्रांसफर हुए करोड़ों रुपए की जांच के लिए गठित कमेटी में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के वीसी प्रो. राजेश शर्मा, उप सचिव तकनीकी शिक्षा सोमेश मिश्रा और तकनीकी शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक (वित्त) पुष्पलता शेखर शामिल थे। जांच में पाया गया कि विश्वविद्यालय के 19.48 करोड़ रुपए निजी खातों में ट्रांसफर हुए हैं। 19.48 करोड़ के गबन की एफआईआर हुई और पुलिस की एसआईटी विवेचना कर रही है। कमेटी का मत था कि घोटाले काफी व्यापक स्तर पर हुआ है और करोड़ों की हेराफेरी हुई है। इसलिए एक हाई पावर कमेटी बनाकर पिछले पाच-दस साल के वित्तीय लेनदेन की व्यापक जांच होना जरूरी है। बता दें कि हाई पावर कमेटी की मदद और दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए विवि ने अपने स्तर पर एक पांच सदस्यीय कमेटी बना दी है, लेकिन अभी हाई पॉवर कमेटी ही नहीं बन पाई है। उधर, तकनीकी शिक्षा विभाग ने इस हाई प्रोफाइल मामले में 13 बिंदुओं का निर्धारण कर जांच के दायरे में विस्तार किया है। व्यापक जांच के लिए हाई पावर कमेटी भी गठित कर दी, लेकिन दो महीने बीतने के बाद भी विभाग अपने आदेश का पालन नहीं कर सका है। खास बात यह है कि अब तक जांच कमेटी का ही कहीं अता पता नहीं है। विभाग की ओर से घोषित इस हाई पावर कमेटी में तीन सदस्य पूर्व जांच कमेटी के हैं। इनके अलावा ग्लोबल स्किल पार्क की संचालक सीए रोमा बाजपेई को जोड़ा गया। वहीं पांचवे सदस्य के रूप में वित्त विभाग द्वारा प्रस्तावित नॉमिनी को रखा जाना था, जिसके लिए वित्त विभाग ने दो टूक मना कर दिया है। यह भी बता दें कि आरजीपीवी में पिछले डेढ़ साल से फायनेंस कंट्रोलर का पद रिक्त पड़ा है। विवि द्वारा बार-बार मांगे जाने पर भी वित्त विभाग ने अधिकारी नियुक्त नहीं किया है।

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