
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार की विभाग पर पकड़ न होने की वजह से अफसरों की मनमर्जियां जारी हैं। हद तो यह है कि जिस महिला शिक्षक को हाल ही में कलेक्टर ने एसीपी पद से हटा दिया था, उसे विभाग के अफसरों ने उपकृत करते हुए डीपीसी बना डाला। अब इस नियुक्ति के बाद ईओडब्ल्यू सक्रिय हो गया है। इसके बाद से माना जा रहा है कि इस मामले में अब विभाग के अफसरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसकी वजह है उक्त महिला शिक्षिका के खिलाफ प्राइवेट स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति मामले में 19.5 करोड़ के घोटाले के मामले में जांच की जाना। इस मामले में अब ईओडब्ल्यू द्वारा नोटिस जारी कर उनके बारे में पूरी जानकारी तलब की गई है। दरअसल भोपाल में स्कूल शिक्षा विभाग के तहत आने वाले भोपाल जिला शिक्षा केंद्र में डीपीसी का पद बीते कई सालों से विवाद की वजह बना हुआ है। इस विवाद में अब एक नया दौर शुरु हो गया है डॉ. सीमा गुप्ता की नियुक्ति से। पूर्व में व्याख्याता डा. सीमा गुप्ता पूर्व में प्रतिनियुक्ति पर जिला शिक्षा केंद्र में एसीपी पद पर पदस्थ थीं। इस दौरान उनके कार्यकाल में 2015-16 में भोपाल जिले में प्राइवेट स्कूलों की फीस प्रतिपूर्ति मामले में 19.5 करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ था। इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू में हुई थी। जिस पर ईओडब्ल्यू ने शिकायत क्रमांक 02/18 पंजीबद्ध कर मामले की जांच शुरु की थी। उन्हें ं करीब एक माह पूर्व ईओडब्ल्यू में मामला चलने व एपीसी पद पर तय समय से अधिक कार्यकाल होने पर कलेक्टर भोपाल अविनाश लवानिया ने हटाकर मूल विभाग में भेज दिया था। विभाग के आला अफसरों की चहेती होने की वजह से मूल विभाग में वापिस जाने के करीब एक सप्ताह बाद ही राज्य शिक्षा केंद्र ने उन्हें एक बार फिर से प्रतिनियुक्ति पर लेते हुए पदस्थापना भोपाल डीपीसी के पद पर कर डाली। खास बात यह है कि प्रतिनियुक्ति पर लेते समय संबधित के खिलाफ कोई जांच लंबित नहीं होनी चाहिए। लेकिन राज्य शिक्षा केंद्र ने प्रतिनियुक्ति पर पदस्थापना करते समय ईओडब्ल्यू की जांच की भी पूरी तरह से अनदेखी कर दी गई है।
यह मांगी जानकारी
ईओडब्ल्यू ने फीस प्रतिपूर्ति घोटाले के मामले में भोपाल कलेक्टर को प्रति देते हुए तीन दिन पहले तत्कालीन डीपीसी समर सिंह राठौर व तत्कालीन एपीसी डा. सीमा गुप्ता को दो अलग-अलग नोटिस जारी कर जानकारी मांगी है। एक नोटिस में तीन बिंदुओ व दूसरे में चार बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। इसमें प्रमुख रूप से चल-अचल संपत्ति की जानकारी, वार्षिक आय नियुक्ति दिनांक से वर्तमान तक, पारिवारिक व्यवसाय व सर्विस के संबंध में जानकारी है।
इनका कहना है
इस मामले में विभागीय मंत्री इंदर सिंह परमार को कहना है कि भोपाल डीपीसी मामले में जो तथ्य विभाग को दिए है, उसके आधार पर पदस्थापना की गई है। तथ्यों में कोई जानकारी गलत होगी, तो कार्रवाई की जाएगी।